
Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं में भीड़ द्वारा किए जाने वाले अपराध (Offence) और उनकी सजा (Punishment) को लेकर भी प्रावधान (Provisions) किए गए हैं. इसी कड़ी में आईपीसी की धारा 146 के तहत बल्वा करने को परिभाषित किया गया है. आइए जान लेते हैं कि आईपीसी की धारा 146 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 146 (Indian Penal Code Section 146)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 146 (Section 146) में परिभाषित किया गया है कि बल्वा करना (Rioting) किसे कहते हैं? आईपीसी की धारा 146 के अनुसार, जब कभी विधिविरुद्ध जमाव (unlawful assembly) द्वारा या उसके किसी सदस्य (Member) द्वारा, ऐसे जमाव के सामान्य उद्देश्य (General Purpose) को अग्रसर करने में बल या हिंसा का प्रयोग (Use of force or violence) किया जाता है, तब ऐसे जमाव का हर सदस्य बल्वा करने (Rioting) के अपराध का दोषी (Guilty of crime) माना जाएगा.
इसे भी पढ़ें--- IPC Section 145: तितर-बितर होने का आदेश लागू हो जाने के बाद भी किया ये काम तो मिलेगी सजा
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.