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IPC Section 150: गैरकानूनी सभा में भाड़े पर लोगों को लाना भी जुर्म, लगती है धारा 150

आईपीसी की धारा 150 के तहत गैरकानूनी सभा में शामिल होने के लिए व्यक्तियों को काम पर रखना यानी भाड़े पर लाना, या काम पर रखने में साठगांठ करना आता है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 150 इस विषय पर क्या बताती है?

विधिविरुद्ध जमाव में भाड़े पर लोगों को लाने से जुड़ी है ये धारा विधिविरुद्ध जमाव में भाड़े पर लोगों को लाने से जुड़ी है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:58 PM IST
  • विधिविरुद्ध जमाव में भाड़े पर लोगों को लाने से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: हम आपको भारतीय दंड संहिता (IPC) की उन धाराओं में बारे में बता रहे हैं, जिनमें बल्वा, दंगा और उपद्रव जैसे अपराधों को लेकर कानूनी प्रावधान (Provisions) किए गए हैं. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 150 के तहत गैरकानूनी सभा में शामिल होने के लिए व्यक्तियों को काम पर रखना यानी भाड़े पर लाना, या काम पर रखने में साठगांठ करना आता है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 150 इस विषय पर क्या बताती है?

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आईपीसी की धारा 150 (Indian Penal Code Section 150) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 150 (Section 150) में ऐसे लोगों को बारे में बताया गया है, जो किसी गैरकानूनी सभा या भीड़ (unlawful assembly or crowd) में भाड़ा देकर लोगों को लेकर आते हैं, या भाड़े पर लोगों को लाए जाने की सांठगांठ में शामिल होते हैं. IPC की धारा 150 के मुताबिक, जो कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को किसी विधिविरुद्ध जमाव में सम्मिलित (involved in unlawful assembly) होने या उसका सदस्य बनाने के लिए भाड़े पर लेगा (will hire) या वचनबद्ध (committed) या नियोजित करेगा (will employ) या भाडे पर लिए जाने का वचनबद्ध या नियोजित करने का संप्रवर्तन करेगा (Will promote) या के प्रति मौनानुकूल बना रहेगा (will remain accommodating), वह ऐसे विधिविरुद्ध जमाव के सदस्य के रूप में, और किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ऐसे विधिविरुद्ध जमाव के सदस्य के नाते ऐसे भाडे पर लेने, वचनबद्ध या नियोजन के अनुसरण में किए गए किसी भी अपराध (any offense committed in pursuance) के लिए उसी प्रकार दंडनीय (Punishable) होगा, मानो वह ऐसे विधिविरुद्ध जमाव का सदस्य (Member) रहा था या ऐसा अपराध उसने स्वयं किया (he committed the crime himself) था. यह एक संज्ञेय अपराध है और इसकी जमानत तथा अदालती कार्यवाही (bail and court proceedings) अपराध अनुसार होगी. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं (not negotiable) है.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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