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Indian Penal Code: अग्निपथ योजना के विरोध में पूरे देश में उपद्रव की घटनाएं हो रही हैं. कई जगहों से आगजनी और हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. ऐसे में कई स्थानों पर उपद्रव रोक रहे अधिकारियों पर पथराव और हमले की घटनाएं भी सामने आई हैं. आईपीसी की धारा 152 के तहत बल्वा रोकने में जुटे अधिकारियों पर हमला करने और उनके काम में बाधा डालने जैसी कार्रवाई को लेकर प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 152 इस मामले में क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 152 (Indian Penal Code Section 152)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 152 (Section 152) में बताया गया है कि लोक सेवक (Public Servant) जब बल्वे इत्यादि को दबा रहा हो, तब उस पर हमला करना या उसे बाधित करना (to attack or obstruct) एक संगीन जुर्म है. IPC की धारा 152 के मुताबिक, जो कोई ऐसे किसी लोक सेवक पर, जो विधिविरुद्ध जमाव (Unlawful assembly) के बिखेरने का, या बल्वे या दंगे को दबाने का प्रयास (attempt to suppress a riot) ऐसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन (discharge of duty) में कर रहा हो, हमला (Attack) करेगा या उसको हमले की धमकी (Threaten to attack) देगा या उसके काम में बाधा (interruption of work) डालेगा या बाधा डालने का प्रयत्न (attempt to obstruct) करेगा या ऐसे लोक सेवक पर आपराधिक बल का प्रयोग (use of criminal force) करेगा या करने की धमकी देगा, या करने का प्रयत्न करेगा, वह सजा का हकदार (deserving of punishment) होगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले व्यक्ति को किसी भी तरह के कारावास से दंडित (punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी. या उस पर आर्थिक जुर्माना (monetary penalty) किया जाएगा. या फिर उसे दोनों ही प्रकार से दंडित (punished) किया जाएगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
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