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IPC Section 160: दंगा करने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान करती है ये धारा

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 160 में दंगे यानी दंगा करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 160 इसके बारे में क्या कहती है?

दंगा करने के लिए सजा बताती है आईपीसी की ये धारा दंगा करने के लिए सजा बताती है आईपीसी की ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2022,
  • अपडेटेड 7:28 AM IST
  • दंगा करने के लिए सजा बताती है आईपीसी की ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में गैरकानूनी जमाव (Unlawful gathering), सभा, बलवा, दंगा और उपद्रव (Riot) को लेकर कई तरह के कानूनी प्रावधान (Provision) दर्ज किए गए हैं. पुलिस दंगे से संबंधित मामलों में इनका इस्तेमाल करती है. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 160 में दंगे यानी दंगा करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 160 इसके बारे में क्या कहती है? 

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आईपीसी की धारा 160 (Indian Penal Code Section 160) 

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 160 (Section 160) के में दंगा करने के लिए सजा (Punishment for rioting) का प्रावधान मिलता है. IPC की धारा 160 के अनुसार, जो भी कोई दंगा (Riot) करेगा, उसमें शामिल (Involved) होगा. वह दंगा करने का दोषी (Guilty of rioting) माना जाएगा. ऐसा करने पर उसे किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा, जिसकी अवधि एक माह तक की हो सकेगी. या उस पर आर्थिक जुर्माना (Monetary penalty) किया जाएगा, जो एक सौ रुपये तक का हो सकता है. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित (Punished) किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 159: दंगे को परिभाषित करती है आईपीसी की धारा 159 

क्या होती है आईपीसी (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC

ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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