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IPC Section 171B: निर्वाचन के दौरान रिश्वत का लेन-देन परिभाषित करती है धारा 171बी

आईपीसी की धारा 171बी (IPC Section 171B) में निर्वाचन के दौरान रिश्वत के प्रयोग को अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171बी इस बारे में क्या बताती है?

निर्वाचन में रिश्वत दिए जाने से संबंधित है ये धारा निर्वाचन में रिश्वत दिए जाने से संबंधित है ये धारा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2022,
  • अपडेटेड 12:47 AM IST
  • निर्वाचन में रिश्वत दिए जाने से संबंधित है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में कई तरह अपराध और उनकी सजा को लेकर प्रावधान (Provision) किए गए हैं. इसके अलावा चुनाव के दौरान होने वाले अपराध को लेकर भी आईपीसी जानकारी देती है. इसी तरह से आईपीसी की धारा 171बी (IPC Section 171B) में निर्वाचन के दौरान रिश्वत के प्रयोग को अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171बी इस बारे में क्या बताती है?

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आईपीसी की धारा 171बी (Indian Penal Code Section 171B) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 171बी (Section 171B) में निर्वाचन का अधिकार रखने वाले व्यक्ति के लिए रिश्वत जैसे अपराध को परिभाषित किया गया है. आईपीसी की धारा 171बी के मुताबिक -

(1) जो कोई 
(क) किसी व्यक्ति को इस उद्देश्य से परितोषण देता है कि वह उस व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को किसी निर्वाचन अधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्प्रेरित करे या किसी व्यक्ति को इसलिए इनाम दे कि उसने ऐसे अधिकार का प्रयोग किया है, अथवा

(ख) स्वयं अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई परितोषण ऐसे किसी अधिकार को प्रयोग में लाने के लिए या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसे किसी अधिकार को प्रयोग में लाने के लिए उत्प्रेरित करने या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करने के लिए इनाम के रूप में प्रतिगृहीत करता है, वह रिश्वत का अपराध करता है.

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परन्तु लोक नीति की घोषणा या लोक कार्यवाही का वचन इस धारा के अधीन अपराध न होगा.

(2) जो व्यक्ति परितोषण देने की प्रस्थापना करता है या देने को सहमत होता है या उपाप्त करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करता है, यह समझा जाएगा कि वह परितोषण देता है.

(3) जो व्यक्ति परितोषण अभिप्राप्त करता है या प्रतिगृहीत करने को सहमत होता है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करता है, यह समझा जाएगा कि वह परितोषण प्रतिगृहीत करता है और जो व्यक्ति वह बात करने के लिए, जिसे करने का उसका आशय नहीं है, हेतुस्वरूप, या जो बात उसने नहीं की है, उसे करने के लिए इनाम के रूप में परितोषण प्रतिगृहीत करता है, यह समझा जाएगा कि उसने परितोषण को इनाम के रूप में प्रतिगृहीत किया है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 171A: उम्मीदवार और निर्वाचन अधिकार को परिभाषित करती है ये धारा 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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