Advertisement

IPC Section 171E: रिश्वत के मामलों में सजा का प्रावधान करती है आईपीसी की धारा 171E

आईपीसी की धारा 171E (IPC Section 171E) में रिश्वत के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171E इस संबंध में क्या कहती है?

 रिश्वत के लिए मिलने वाले दंड से जुड़ी है ये धारा रिश्वत के लिए मिलने वाले दंड से जुड़ी है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:03 PM IST
  • रिश्वत के लिए मिलने वाले दंड से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में लोक सेवकों (Public servants) से संबंधित कई तरह अपराधों को लेकर प्रावधान (Provision) मिलते हैं और उनकी सजा भी परिभाषित की गई है. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 171E (IPC Section 171E) में रिश्वत के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171E इस संबंध में क्या कहती है?

Advertisement

आईपीसी की धारा 171E (Indian Penal Code Section 171E) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 171E (Section 171E) में रिश्वत (Bribe) के लिए दण्ड का प्रावधान (Provision of punishment) किया गया है. IPC की धारा 171E के अनुसार, जो कोई रिश्वत का अपराध (Offense of bribery) करेगा, वह अपराधी (Offender) माना जाएगा.

सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा अपराध करने वाले को दोषी (Guilty) पाए जाने पर किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी. या उस पर जुर्माना (Fine) लगाया जाएगा. या फिर उसे दोनों प्रकार से दंडित (Punished) किया जाएगा. परन्तु सत्कार (Hospitality) के रूप में रिश्वत केवल जुर्माने से ही दण्डित (Punished with fine) की जाएगी. यह एक जमानती (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (First Class Magistrate) द्वारा विचारणीय है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

Advertisement

स्पष्टीकरण- सत्कार से रिश्वत का वह रूप अभिप्रेत (Intended) है जो परितोषण, खाद्य, पेय, मनोरंजन या रसद (Gratification, Food, Beverage, Entertainment or Logistics) के रूप में है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 171D: चुनाव में किसी और के नाम से डाला फर्जी वोट, तो लागू होती है ये धारा 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ेंः

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement