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Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में मतदान (Voting) और चुनाव (Election) से जुड़े कई तरह के प्रावधान (Provision) किए गए हैं. साथ ही उनकी सजा भी परिभाषित की गई है. इसी प्रकार से आईपीसी की धारा 171i (IPC Section 171i) में निर्वाचन यानी चुनावी संबंधी लेखा रखने में विफल हो जाना बताया गया है. आइए जान लेते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171i इस बारे में क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 171i (Indian Penal Code Section 171i)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 171i (Section 171i) में निर्वाचन संबंधी लेखा जोखा (Election account) रखने में असफलता (Failure) के बारे में बताया गया है. IPC की धारा 171-I के मुताबिक, जो कोई किसी तत्समय प्रवृत्त विधि (law for the time being in force) द्वारा या विधि का बल (Force of law) रखने वाले किसी नियम द्वारा इसके लिए अपेक्षित (Expected) होते हुए कि वह निर्वाचन में या निर्वाचन के सम्बन्ध में किए गए व्ययों का लेखा रखे, ऐसा लेखा रखने में असफल रहेगा, तो वह अपराधी (Offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को जुर्माने से दण्डित (Punished with Fine) किया जाएगा. जो पांच सौ रुपये तक का हो सकेगा. यह एक जमानती (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (First Class Magistrate) द्वारा विचारणीय है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.