
Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में कई प्रकार के जुर्म (Offence) परिभाषित किए गए हैं और साथ ही सजा का प्रावधान भी किया गया है. ऐसे ही आईपीसी की धारा 178 (IPC Section 178) में शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाए. चलिए जान लेते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 178 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 178 (Indian Penal Code Section 178)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 178 (Section 178) में शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाए. IPC की धारा 178 के अनुसार, जो कोई सत्य कथन करने के लिए शपथ या प्रतिज्ञान (Oath or affirmation) द्वारा अपने आप को आबद्ध करने से इंकार (Refuse) करेगा, जबकि उससे अपने को इस प्रकार आबद्ध करने की अपेक्षा (Expected to bind) ऐसे लोक सेवक (Public Servant) द्वारा की जाए जो यह अपेक्षा करने के लिए वैध रूप से सक्षम (Legally capable) हो कि वह व्यक्ति इस प्रकार अपने को आबद्ध करे, वह अपराधी (Offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसे करने वाले को दोषी पाए जाने पर साधारण कारावास से दंडित (Punished with simple imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी. या उस पर जुर्माना (Fine) लगाया जाएगा, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा. या फिर उसे दोनों प्रकार से दंडित किया जाएगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.