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IPC Section 190: अधिकारी से सुरक्षा मांगने पर किसी को धमकी देने से जुड़ी है ये धारा

आईपीसी की धारा 190 (IPC Section 190) में लोक सेवक से सुरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी दिए जाने को लेकर प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 190 इस संबंध में क्या जानकारी देती है?

लोक सेवक से संरक्षा मांगने वाले से संबंधित है ये धारा  लोक सेवक से संरक्षा मांगने वाले से संबंधित है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:43 PM IST
  • लोक सेवक से संरक्षा मांगने वाले से संबंधित है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं में लोक सेवकों (Public servants) से संबंधित कानूनी प्रावधानों (Legal provisions) को परिभाषित (Define) किया गया है. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 190 (IPC Section 190) में लोक सेवक से सुरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी दिए जाने को लेकर प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 190 इस संबंध में क्या जानकारी देती है? 

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आईपीसी की धारा 190 (Indian Penal Code Section 190) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 190 (Section 190) में लोक-सेवक से संरक्षा के लिये आवेदन करने से विरत रहने के लिये किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिये क्षति की धमकी देना परिभाषित किया गया है. IPC की धारा 190 के अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति को इस प्रयोजन से क्षति (Damage on purpose) की कोई धमकी देगा कि वह उस व्यक्ति को उत्प्रेरित (inspired) करे कि वह किसी क्षति से संरक्षा (Protection against damage) के लिये कोई वैध आवेदन किसी ऐसे लोक-सेवक (Public Servant) से करने से विरत रहे, या प्रतिविरत (Reflex) रहे, जो ऐसे लोक-सेवक के नाते ऐसी संरक्षा करने या कराने के लिये वैध रूप से सशक्त (Legally empowered) हो, वह अपराधी (Offence) माना जाएगा.

सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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