Advertisement

IPC Section 196: पता होने के बावजूद झूठे सबूत का इस्तेमाल करने पर लगती है ये धारा

आईपीसी की धारा 196 (IPC Section 196) में ऐसे सबूत के उपयोग को परिभाषित किया गया है, जिसके झूठा होने की जानकारी उपयोगकर्ता को होती है. चलिए जान लेते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 196 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

झूठे सबूत के इस्तेमाल से संबंधित है ये धारा झूठे सबूत के इस्तेमाल से संबंधित है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST
  • झूठे सबूत के इस्तेमाल से संबंधित है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में पुलिस (Police) और कोर्ट (Court) से जुड़े कई तरह के कानूनी प्रावधान (Legal provisions) किए गए हैं. जिनमें सबूतों (Evidence), बयानों (Statements) और जांच (Investigations) के बारे में भी जानकारी मिलती है. ऐसे ही आईपीसी की धारा 196 (IPC Section 196) में ऐसे सबूत के उपयोग को परिभाषित किया गया है, जिसके झूठा होने की जानकारी उपयोगकर्ता को होती है. चलिए जान लेते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 196 इस बारे में क्या जानकारी देती है? 
 
आईपीसी की धारा 196 (Indian Penal Code Section 196) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 196 (Section 196) में उस सबूत के इस्तेमाल के बारे में बताया गया है, जिसके झूठे होने की जानकारी होती है. IPC की धारा 196 के अनुसार, जो कोई किसी साक्ष्य को, जिसका मिथ्या होना या गढ़ा होना (False fabricated) वह जानता है, सच्चे या असली साक्ष्य (Genuine evidence) के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग (Corrupt use) में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, वह ऐसे दण्डित किया जाएगा मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो या गढ़ा हो.

Advertisement

सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास (Imprisonment) से दंडित किया जाएगा. जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) भी किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक गैर-जमानतीय (Non-Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई उसी न्यायालय (Court) द्वारा की जा सकती है. जहां झूठे सबूत (False evidence) पेश किए गए हों. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 195A: किसी व्यक्ति को झूठे सबूत देने के लिए धमकाया तो लागू होगी ये धारा
 
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
 
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ेंः

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement