Advertisement

IPC Section 200: जान बूझकर झूठी घोषणा को सच के रूप में इस्तेमाल करने पर लगेगी ये धारा

आईपीसी की धारा 200 (IPC Section 200) में ऐसी घोषणा के बारे में बताया गया है, जिसे सत्य के रूप में प्रयोग किया जाता है, यह जानते हुए कि वह असत्य है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 200 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

सच के रूप में झूठी घोषणा करने से संबंधित है ये धारा सच के रूप में झूठी घोषणा करने से संबंधित है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:39 AM IST
  • सच के रूप में झूठी घोषणा करने से संबंधित है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अदालती कार्यवाही (Court proceedings) से जुड़े कई तरह की कानूनी जानकारी (Legal Information) मिलती है. जिनमें सबूतों (Evidence) और जांच (Investigations) के बारे में भी जानकारी मिलती है. आईपीसी की धारा 200 (IPC Section 200) में ऐसी घोषणा के बारे में बताया गया है, जिसे सत्य के रूप में प्रयोग किया जाता है, यह जानते हुए भी कि वह असत्य है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 200 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

Advertisement

आईपीसी की धारा 200 (Indian Penal Code Section 200)

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 200 (Section 200) के अधीन बताया गया है कि किसी ऐसी घोषणा का मिथ्या होना (False declaration) जानते हुए भी उसे सच्ची के रूप में उपयोग करना दंडनीय अपराध (Punishable offence) है. IPC की धारा 200 के अनुसार, जो कोई किसी ऐसी घोषणा को, यह जानते हुए कि वह किसी तात्विक बात के सम्बंध (Relation to matter) में मिथ्या है, भ्रष्टतापूर्वक (Corruptly) सच्ची के रूप में उपयोग (use as true) में लाएगा या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, वह उसी प्रकार दंडित किया जाएगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य (False evidence) दिया हो.

स्पष्टीकरण- कोई घोषणा, जो केवल किसी अप्ररुपिता के आधार (Non-proprietary basis) पर अग्राह्य है, धारा 199 और धारा 200 के अर्थ के अंतर्गत घोषणा है.

सजा का प्रावधान (Punishment provision)

Advertisement

ऐसा करने वाले दोषी को कारावास (Imprisonment) से दंडित किया जाएगा. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) भी किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई उसी न्यायालय (Court) द्वारा की जा सकती है, जहां झूठे सबूत (False evidence) पेश किए गए हों.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 199: कानूनी घोषणा के दौरान शामिल पाया गया झूठा बयान तो लागू होगी ये धारा 

क्या होती है आईपीसी (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) की ओर से किए गए कुछ अपराध (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू और कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई है. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
 
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC

ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement