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IPC Section 204: सबूत के तौर पर किसी दस्तावेज को पेश करने से पहले नष्ट किया तो मिलेगी सजा

आईपीसी की धारा 204 (IPC Section 204) के अधीन साक्ष्य के रूप में किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख का पेश किया जाना निवारित करने के लिये उसको नष्ट करना परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 204 इस विषय में क्या कहती है?

पेशी किए जाने से पूर्व सबूतों को नष्ट करने से जुड़ी है ये धारा पेशी किए जाने से पूर्व सबूतों को नष्ट करने से जुड़ी है ये धारा
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 9:00 PM IST
  • पेशी किए जाने से पूर्व सबूतों को नष्ट करने से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अपराध और सजा (Crime and Punishment) के साथ अपराधी (Offender) के बारे में भी कई तरह के प्रावधान (Provision) मौजूद हैं. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 204 (IPC Section 204) के अधीन साक्ष्य के रूप में किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख का पेश किया जाना निवारित करने के लिये उसको नष्ट करना परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 204 इस विषय में क्या कहती है?

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आईपीसी की धारा 204 (Indian Penal Code Section 204)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 204 (Section 204) के तहत ऐसे दस्तावेजों को नष्ट (Destroy documents) करने पर सजा का प्रावधान किया गया है, जिन्हें सबूत के तौर पर पेश किया जाना हो. IPC की धारा 204 के अनुसार, जो कोई किसी ऐसे दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख (Document or electronic record) को छिपायेगा या नष्ट (Hide or destroy) करेगा, जिसे किसी न्यायालय (Court) में या ऐसी कार्यवाही में, जो किसी लोक-सेवक के समक्ष (before public servant) उसकी वैसी हैसियत में विधिपूर्वक (Lawfully) की गई है, साक्ष्य के रूप में पेश करने के लिये उसे विधिपूर्वक विवश किया जा सके, या पूर्वोक्त न्यायालय (the aforesaid court) या लोक-सेवक के समक्ष साक्ष्य के रूप में पेश किये जाने या उपयोग में लाये जाने से निवारित करने के आशय से, या उस प्रयोजन (Purpose) के लिये उस दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख को पेश करने को उसे विधिपूर्वक समनित या अपेक्षित (Summoned or expected) किये जाने के पश्चात्, ऐसे सम्पूर्ण दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख को, या उसके किसी भाग को, मिटायेगा, या ऐसा बनायेगा, जो पढ़ा न जा सके, वह अपराधी माना जाएगा. 

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सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी (First class) के मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 203: अंजाम दिए गए जुर्म के बारे में झूठी इत्तिला देने पर लागू होती है ये धारा 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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