Advertisement

IPC Section 10: जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 10, क्या है प्रावधान?

आज हम बात करेंगे आईपीसी (IPC) की धारा 10 (Section 10) के बारे में... तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस सेक्शन (Section) का क्या काम होता है, और इसमें क्या प्रावधान (Provisions) बताए गए हैं.

आईपीसी के सभी सेक्शन अलग मामलों को परिभाषित करते नजर आते हैं आईपीसी के सभी सेक्शन अलग मामलों को परिभाषित करते नजर आते हैं
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:43 PM IST
  • पुरुष और स्त्री शब्द के उच्चारण से संबंधित है IPC की धारा 10
  • आईपीसी में हर आयु वर्ग के पुरुष और स्त्री के लिए होता है इस्तेमाल
  • ब्रिटिश काल में बनाई गई थी आईपीसी (IPC)

हम आपको हर दिन भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC की धाराओं और उनके प्रावधानों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इसी कड़ी में हम अब बात करेंगे आईपीसी (IPC) की धारा 10 (Section 10) के बारे में.. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस सेक्शन (Section) का क्या काम होता है, और इसमें क्या प्रावधान (Provisions) बताए गए हैं. 

Advertisement

क्या होती है आईपीसी (IPC) की धारा 10
 
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 10 के मुताबिक, 'पुरुष' शब्द किसी भी आयु के मानव नर का द्योतक है; 'स्त्री' शब्द किसी भी आयु की मानव नारी का द्योतक है.

साधारण भाषा में हम अगर इस धारा के मतलब को समझने की कोशिश करें तो यह धारा कहती है कि आईपीसी में हर आयु वर्ग के मर्द को 'पुरुष' रूप में जाना जाएगा. फिर चाहे वो एक नाबालिग कम उम्र का किशोर हो या जवान लड़का या फिर कोई बुजुर्ग शख्स. इस सभी के लिए 'पुरुष' शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा. इसी प्रकार कोई छोटी बच्ची हो, किशोरी व महिला हो या युवती या फिर कोई बुजुर्ग महिला सभी के लिए 'स्त्री' शब्द का प्रयोग होगा. सबको ऐसे ही नाम से जाना जाएगा.

Advertisement

इसे भी पढ़ें--- Law and Order: थानों में कौन होता है एसएसआई (SSI), क्या होता है उनका काम? 

क्या है आईपीसी (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

1862 में लागू हुई थी IPC

ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement