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IPC Section 18: जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 18?

आईपीसी की धारा 18 का संबंध देश के नाम से है. उसी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 18 (Section 18) क्या है? इसमें क्या प्रावधान है?

आईपीसी की धारा 18 भारत को परिभाषित करती नजर आती है आईपीसी की धारा 18 भारत को परिभाषित करती नजर आती है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:02 PM IST
  • भारत से संबंधित है IPC की धारा 18
  • भारत को परिभाषित करती है धारा 18
  • ब्रिटिश काल में लागू की गई थी IPC

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC में 23 अध्याय (23 Chapter) और उनमें 511 धाराएं (511 Sections) मौजूद हैं. जो अपराध (Crime) और सजा (Punishment) के अलावा कई महत्वपूर्ण शब्दों (words) को भी परिभाषित करती हैं. ऐसी ही आईपीसी की धारा 18 है, जिसका संबंध देश से है. उसी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 18 (Section 18) क्या है?

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ये है आईपीसी की धारा 18 (IPC Section 18)
भारतीय दंड संहिता यानी Indian Penal Code की धारा 18 (Section 18) के अनुसार, भारत से जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय भारत का राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है. 

साधारण भाषा में कहें तो आईपीसी की धारा 18 भारत को परिभाषित करती है, मतलब ये है कि आईपीसी के मुताबिक भारत क्या है, अगस्त 2019 से पहले भारत का मतलब था, जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर भारत. लेकिन अब इस सेक्शन का मतलब हो गया है जम्मू कश्मीर व अन्य राज्यों समेत पूरा भारत. आपको याद दिला दें कि अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद सेक्शन 18 का मतलब ही बदल गया है. 

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 17: जानें, क्या होती है आईपीसी की धारा 17, क्या है प्रावधान?

ये होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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