
Indian Penal Code यानी भारतीय दंड संहिता कानून (Law) और उनसे जुड़े प्रावधानों (Provisions) की जानकारी देती है, साथ ही जुर्म (Offence) और उसकी सजा (Punishment) के बारे में भी बताती है. आईपीसी (IPC) की धारा 37 (Section 37) में किसी एक काम को करके जुर्म (Crime) करने में सहयोग (Support) देने के बारे में जानकारी दी गई है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 37 इस बारे में क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 37 (IPC Section 37)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 37 (Section 37) कई कार्यों में से किसी एक कार्य (one of several acts) को करके अपराध गठित (Constituting an offence) करने में सहयोग (Co-operation) करना बताती है. कानूनी भाषा में कहें तो “जब कि कोई अपराध (offence) कई कार्यों द्वारा किया जाता है, तब जो भी कोई या तो अकेले (Singly) या किसी अन्य व्यक्ति के साथ सम्मिलित होकर (Jointly) उन कार्यों में से कोई एक कार्य करके उस अपराध के किए जाने में सहयोग (intentionally co-operates) करता है, तो वह उस अपराध (offence) को करता है.“
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क्या है आईपीसी (IPC)?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.