
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) कानून (Law) और उनसे जुड़े प्रावधानों (Provisions) की जानकारी देती है. साथ ही अपराध (Offence) और उसकी सजा (Punishment) की व्याख्या भी करती है, ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 44 (Section 44) क्षति (Injury) के बारे में जानकारी देती है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 44 क्षति के बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 44 (IPC Section 44)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 44 (Section 44) हमें क्षति का अर्थ (meaning of Injury) बताने का काम करती है. आईपीसी (IPC) की धारा 44 के मुताबिक “क्षति शब्द (Injury Word) किसी प्रकार की चोट का द्योतक (sign of injury) है, जो किसी व्यक्ति के शरीर (in Body), मन (Mind), ख्याति (Reputation) या सम्पत्ति (Property) को गैर-क़ानूनी रूप (illegally caused) से पहुंचाई गई हो.“
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क्या है आईपीसी (IPC)?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.