
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) अपराध (Offence) और उसकी सजा (Punishment) को परिभाषित करती है. साथ ही कानून (Law) और उससे जुड़े प्रावधानों (Provisions) के बारे में भी जानकारी देती है. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 45 (Section 45) 'जीवन' शब्द को परिभाषित करती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 45 इस शब्द की व्याख्या कैसे करती है?
आईपीसी की धारा 45 (IPC Section 45)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 45 (Section 45) हमें कानूनी तौर (legally) पर जीवन का अर्थ (Meaning of Life) समझाती है. IPC की धारा 45 के अनुसार 'जब तक कि संदर्भ (context) से तत्प्रतिकूल प्रतीत (contrary appears) न हो, जीवन शब्द (Life Word) मानव (human) के जीवन का द्योतक (Denotes the life) है.' साधारण शब्दों में कहें तो IPC में जीवन (Life) सीधा मानव जीवन (Human life) को इंगित (Pointed) करता है.
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क्या है आईपीसी (IPC)?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.