
Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता (IPC) में कई धाराएं (Section) शामिल की गई हैं, जो हमें जुर्म (Offence) और उनकी सजा (Punishment) के साथ-साथ कई शब्दों (words) और मामलों (cases) की कानूनी जानकारी (legal Information) भी देती है. मगर आईपीसी में कई धाराएं ऐसी भी हैं, जिन्हें बदले वक्त (Time) और हालात (circumstances) के मुताबिक निरस्त (Repealed) कर दिया गया. ऐसी ही आईपीसी (IPC) की धारा 56 (Section 56) जो य़ूरोपियों तथा अमरीकियों को दण्ड दासता की सजा दिए जाने को परिभाषित (defined) करती थी. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 56 क्या कहती थी?
आईपीसी की धारा 56 (IPC Section 56)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 56 (Section 56) में यूरोपियों तथा अमेरिकियों (Europeans and Americans) को दण्ड दासता की सजा (punishment slavery sentence) दिए जाने का प्रावधान (Provision) किया गया था. हालांकि, बाद में आपराधिक कानून (नस्लीय भेदभाव का निराकरण) अधिनियम, 1949 (Criminal Law (Removal of Racial Discriminations) Act, 1949) के तहत 6 अप्रैल, 1949 को आईपीसी की इस धारा 56 को निरसित (repealed) कर दिया गया था.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
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