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IPC Section 95: मामूली नुकसान पहुंचाने वाले कार्य से संबंधित है IPC की धारा 95

आईपीसी (IPC) की धारा 95 (Section 95) में तुच्छ अपहानि कारित करने वाले कार्य को परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 95 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

मामूली नुकसान करने वाले काम से संबंधित है आईपीसी की धारा 95 मामूली नुकसान करने वाले काम से संबंधित है आईपीसी की धारा 95
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2022,
  • अपडेटेड 10:30 PM IST
  • तुच्छ अपहानि कारित करने वाले कार्य से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धाराएं (Sections) अपराध (Offence) और उनकी सजा (Punishment) के लिए प्रावधान करती है. साथ ही कई शासकीय पदों पर आसीन अधिकारियों की शक्ति को भी परिभाषित (Define) करती हैं. इसी प्रकार आईपीसी (IPC) की धारा 95 (Section 95) में तुच्छ अपहानि कारित करने वाले कार्य को परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 95 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 95 (Indian Penal Code Section 95)
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 95 (Section 95) में मामूली नुकसान (Slight harm) पहुंचाने वाला कार्य (Act) बताया गया है. IPC की धारा 95 के अनुसार, कोई बात इस कारण से अपराध (Offence) नहीं है कि उससे कोई अपहानि (Harm) कारित होती है या कारित की जानी आशयित (Intended) है या कारित होने की संभाव्यता (Feasibility) ज्ञात है, यदि वह इतनी तुच्छ है कि मामूली समझ (Modest understanding) और स्वभाव वाला कोई व्यक्ति उसकी शिकायत (Complain) न करेगा.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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