
जब साल 1861 में अंग्रेजों ने भारत में भारतीय पुलिस अधिनियम यानी पुलिस एक्ट लागू किया था तो दिल्ली में पांच थाने स्थापित किए गए थे. जिनमें थाना सब्जी मंडी, महरौली, कोतवाली, सदर बाजार और नांगलोई शामिल था. उस वक्त थानों में प्रथम सूचना रिर्पोट यानी FIR उर्दू में दर्ज की जाती थी. जिसमें अरबी और फारसी के शब्दों का इस्तेमाल भी होता था. दिल्ली पुलिस के इतिहास में कई ऐसे मामले दर्ज हैं, जिनकी एफआईआर भी काफी रोचक हैं. जिनमें से कुछ मामलों का संकलन सहायक पुलिस आयुक्त राजेंद्र सिंह कलकल ने किया है. आइए आपको बताते हैं, कुछ ऐसे ही दिलचस्प मामले.
11 सतंरों की चोरी
16 फरवरी 1891, थाना- सब्जी मंडी, दिल्ली
मुल्जिम राम बक्श वल्द अल्ला बक्श ने अपने चार पांच साथियों के साथ मिलकर मुद्दई राम प्रसाद वल्द दीन सिंह के 11 संतरे चुरा लिए. मुद्दई ने छज्जू की मदद से मुल्जिम राम बक्श को पकड़ लिया और थाने लाया. इस संबंध में आईपीसी की धारा 379 के तहत मुकदमा संख्या-125 उस रोज थाने में दर्ज किया गया. नतीजा ये निकला कि 23 फरवरी 1891 को मुल्जिम राम बक्श को 1 महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई.
चार आने की जेब तराशी
13 दिसंबर 1894, थाना- सब्जी मंडी, दिल्ली
उस दिन थाने में चार आने की जेब तराशी का मामला दर्ज किया गया था. जिसका मुकदमा संख्या-125 थी. और यह केस आईपीसी की धारा 379 के तहत दर्ज किया गया था. इस मामले में तुलसी वल्द सबी जाट ने शिकायत दर्ज कराई थी कि मुल्जिम हरवेंद्र वल्द हरबख्श उसकी जेब से चार आने निकाल रहा था. जिसे मुस्समी (श्री) जीत ने रंगे हाथों पकड़ लिया. इसका नतीजा ये हुआ कि मुल्जिम के एक आदतन अपराधी होने की वजह से उसे 19 दिसंबर 1894 को 2 साल की सख्त कैद की सजा सुनाई गई.
एक हुक्का चोरी
20 सितंबर 1898, थाना- नांगलोई, दिल्ली
उस रोज थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के तहत मुकदमा संख्या- 6/39 दर्ज हुआ था. जिसके मुताबिक, बदलू वल्द दाना जाट निवासी मुंडका ने थाना में आकर बयान किया कि वह चौपाल में चारपाई पर लेटा हुआ था. मुल्जिम हरनाम आया और उसका हुक्का उठाकर भागने लगा. जिसे 500 कदम की दूरी पर पकड़ लिया गया. हरनाम ने थाने में कहा कि उसे माफ कर दो, उस वक्त उसका दिमाग खराब हो गया था. नतीजा ये निकला कि मुल्जिम को 2 सप्ताह का कठोर दंड सुनाया गया.
वैसे आपको यह भी बता दें कि पुलिस ने जो पहली एफआईआर 18 अक्टूबर 1861 को दिल्ली में दर्ज की थी, उसमें भी खाना बनाने के कुछ बर्तनों के अलावा एक हुक्का चोरी का जिक्र था.
एक थाली की चोरी
29 सितंबर 1873, थाना- महरौली, दिल्ली
उस दिन थाने पर आईपीसी की धारा 379 के तहत मुकदमा संख्या- 2/32 दर्ज किया गया. जिसमें मुद्दई नन्हें वल्द शंभू भान हलवाई ने मुल्जिम कुल्लू वल्द मायका माली पर आरोप लगाया कि उसने उसकी एक थाली, जिसकी कीमत एक रूपया थी, चुरा ली. मुद्दई ने मुल्जिम को मय थाली पकड़ कर थाने में पेश किया. बाद में सजा के तौर पर मुल्जिम को 16 अक्टूबर 1873 को एक महीने का कठोर कारावास सुनाया गया.
चादर की चोरी
10 अप्रैल 1878, थाना- महरौली, दिल्ली
उस रोज थाने पर आईपीसी की धारा 379 के तहत मुकदमा संख्या- 40 दर्ज किया गया. जिसमें मुद्दई भमरा वल्द गुरसहाय, निवासी बदरपुर, मेले में चादर बेच रहा था. मुल्जिम हीरा सिंह वल्द सैब राम उसकी नज़र बचाकर एक चादर चोरी से ले जाने लगा. तभी मुस्समात (श्रीमती) मुस्समो पुत्री उल उमर ने उसे देख लिया और शोर मचाया. शोर सुनकर कांस्टेबल नं. 1073 अकरम ने उसे 40 कदम की दूरी पर पकड़ लिया. 11 अप्रैल 1878 को मुकदमे का नतीजा ये निकला कि मुल्जिम को 5 बेंत मारकर कर रिहा किया जाये.
चोरी का लोटा बरामद
4 फरवरी 1892, थाना- सब्जी मंडी, दिल्ली
इस तारीख पर थाने में आईपीसी की धारा 380 के तहत मुकदमा संख्या- 1/22 दर्ज हुआ. जिसके मुताबिक, मुद्दई वजीरूलद्दीन वल्द मन्शेकलन मुल्जिम को मय लोटा पकड़ कर थाने में लाया और बताया कि उसका लोटा चोरी हो गया था, जो खुदा बक्श के पास मिला है. मुल्जिम खुदा बक्श ने बताया कि उसने तो यह लोटा चावड़ी बाजार से खरीदा था और उसे नहीं पता था कि ये चोरी का है.
बिस्तरों की चोरी
3 जनवरी 1876, थाना- सब्जी मंडी, दिल्ली
साल का तीसरा दिन था और थाने में नए साल का दूसरा मुकदमा लिखा गया. मुकदमा संख्या- 02 आईपीसी की धारा 380 के तहत दर्ज हुआ. जिसमें मोहम्मद खान वल्द जुमा खान ने शिकायत दर्ज कराई कि पिछली रात शेरा, कालू खान और मोहम्मद खां उसके घर आये और कहने लगे कि वे आराम करना चाहते हैं. उसने उन्हें बिस्तरे दे दिए और अपने ही घर में एक कमरे में सुला दिया. सुबह वे तीनों आदमी बिस्तरे समेत गाय मिले. बाद में उन तीनों मुल्जिमों को 3 महीने का कठोर कारावास मिला.