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भारत के दुश्मनों को चुन-चुन कर मार रहा है 'अनजान कातिल', अब PAK में भी महफूज नहीं आतंकी!

इसी 8 सितंबर को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की एक मस्जिद में बेजान पड़े रियाज़ अहमद उर्फ अबू कासिम की डरावनी तस्वीर सामने आई थी. उसके चारों तरफ खून बिखरा हुआ था. जुमे की नमाज के दौरान उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

अंकित कुमार/अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:38 PM IST

भारत के वो दुश्मन, जो कभी समझते थे कि वो सुरक्षित पनाहगाहों में हैं. उन्हें अब पता चल रहा है कि उनकी पनाहगाह भी महफूज़ नहीं है. क्योंकि पाकिस्तान के आतंक का ठिकाना अब अंदरुनी तौर पर ढह गया है. इंडिया टुडे की ये विशेष रिपोर्ट उस खुफिया दुनिया की पड़ताल करती है, जहां आतंक ने जड़ें जमा ली हैं. 

असल में आतंकियों ने जिस जगह को अपनी पनाहगाह बना लिया था, उसे अब पतन का सामना करना पड़ रहा है. ये रिपोर्ट आतंक की दुनिया से जुड़े लोगों के पतन का खुलासा करती है. एक्सपर्ट बताते हैं कि पाकिस्तान के सरबरा अब सत्ता संघर्ष में फंस गए हैं, जिसकी वजह से सारा इल्जाम वक्त और हालात पर लगाया जा रहा है.

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पीओके में गोली मारकर हत्या
इस आतंकी दुनिया के बेपर्दा होने की शुरुआत 8 सितंबर को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की एक मस्जिद में बेजान पड़े रियाज़ अहमद उर्फ अबू कासिम की डरावनी तस्वीर से होती है. उसके चारों तरफ खून बिखरा हुआ था, जो जुमे की नमाज के दौरान उसकी खात्मे की कहानी बयां कर रहा था. पीओके के रावलकोट में अज्ञात हमलावरों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी.

मोस्ट वॉन्टेड लश्कर आतंकवादियों में से एक रियाज़ उर्फ अबू कासिम 1999 में सरहद पार कर पाकिस्तान में घुस गया था. इसके बाद उसने भारत में कई आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया था. जिसमें पिछले जनवरी में राजौरी जिले का भयानक ढांगरी आतंकी हमला भी शामिल था.

जैश और हिज्बुल से हिसाब
IC-814 विमान के अपहरण से लेकर संसद पर हमले तक, पठानकोट एयरबेस हमले से पुलवामा की बमबारी तक.. एक नाम लगातार उभरता है और वो नाम है पाकिस्तान में मौजूद नामित आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर का. जो आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक भी है. फरवरी 2019 में जब भारतीय युद्धक विमानों ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, तब फरार मसूद अज़हर को पेशावर के एक मदरसे में पनाह मिली थी. हालांकि, ठीक दो महीने बाद एक विस्फोट से उस इलाके की ज़मीन हिल गई थी, जहां मसूद अज़हर ने पनाह ले रखी थी और वह बाल-बाल बच गया था. तब से आतंक का आका मसूद अजहर लोगों की नज़रों से लापता है.

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अलग-अलग घटनाएं या कोई बड़ा पैटर्न?
हिज्ब-उल-मुजाहिदीन आतंकी संगठन के कमांडर बशीर अहमद पीर का भी दुखद अंत हुआ. वो जम्मू-कश्मीर में हथियारबंद आतंकवादियों की भर्ती करने और घुसपैठ कराने के लिए जिम्मेदार था. पीर ने अपने बॉस सैयद सलाहुद्दीन के साथ पाकिस्तानी सरकार के संरक्षण में वर्षों तक काम किया. लेकिन इस साल की शुरुआत में उसे बिल्कुल नजदीक से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई. अब सवाल यह है कि क्या ये मामले अलग-अलग घटनाएं हैं या किसी बड़े पैटर्न का हिस्सा हैं? 

सुरक्षित ठिकानों में अब कोई सुरक्षित नहीं
हाल की सुर्खियों पर करीब से नजर डालने पर इसी तरह की ट्रेंड का पता चलता है. अल-बद्र के कमांडर सैयद खालिद रजा और जैश-ए-मोहम्मद के मिस्त्री जहूर इब्राहिम को कराची में अलग-अलग हमलों में गोली मार दी गई. ये दोनों ही इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 184 के अपहरणकर्ताओं में से एक थे. खालिस्तान कमांडो फोर्स के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवार उर्फ मलिक सरदार सिंह का भी लाहौर में ऐसा ही हश्र हुआ.

आतंकी लाल मोहम्मद, रियाज़ उर्फ कासिम और बशीर अहमद पीर अनजान कातिल के हाथों मारे गए

भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों का खात्मा
जाली भारतीय मुद्रा के कारोबार में शामिल एक संदिग्ध आईएसआई ऑपरेटिव लाल मोहम्मद का पीछा किया गया और पिछले साल नेपाल में काठमांडू के बाहरी इलाके में उसे गोली मार दी गई. पिछले कुछ वर्षों में भारत के मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शुमार कुछ सबसे खूंखार लोगों पर सीधे हमले देखे गए हैं. जून 2021 में वैश्विक आतंकवादी हाफ़िज़ सईद के पड़ोस में एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ. इससे पहले उसका बेटा तल्हा सईद भी लाहौर में हुए एक धमाके में घायल हो गया था. कनाडा के सरे में अलगाववादी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की हत्या इस डरावनी सूची को और बढ़ा देती है.

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PAK ने रॉ और बबलू श्रीवास्तव पर लगाया था आरोप
इन सब वारदातों के बाद पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने न केवल भारतीय एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) को दोषी ठहराया, बल्कि बरेली जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व गैंगस्टर बबलू श्रीवास्तव पर भी उंगली उठाई है. हालांकि, नई दिल्ली में खुफिया विशेषज्ञों ने इन दावों को सख्ती से खारिज कर दिया और इस बात पर जोर दिया है कि रॉ इन हत्याओं में शामिल नहीं है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये घटनाएं पाकिस्तानी एजेंसियों की समझ से बाहर होती नियंत्रित अराजकता का नतीजा हो सकती हैं.

पाकिस्तान के घर में ही दुश्मन 
भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तानी प्रतिष्ठान और एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए विभिन्न गैर-राज्य गुट अब खुद अपने अस्तित्व, शक्ति और महत्व के संघर्ष में उलझ गए हैं. पाकिस्तान के खुफिया ब्यूरो ने हाल ही में पाकिस्तान के अंदर हुए कुछ हमलों के पीछे अर्धसैनिक संघीय कानून प्रवर्तन कोर के पूर्व कमांडो मुहम्मद अली की संलिप्तता स्वीकार की है. यह खुलासा उस आतंकी इमारत के ढहने की कहानी बयां करता है, जिसे पाकिस्तान ने वर्षों से एतियात के साथ बनाया था.

रॉ के एक पूर्व अधिकारी एनके सूद ने कहा, "रॉ एक खुफिया एजेंसी है जो देश की सुरक्षा के लिए काम करती है. यह लोगों या आतंकवादियों की हत्या में शामिल नहीं होती है." उन्होंने कहा “विभिन्न देशों में आतंकवादियों को भेजना पाकिस्तान की आईएसआई की नीति है. वे अपने ही लोगों को खत्म कर देते हैं. इनके ऐसे ही कई लोग पाकिस्तान, पीओके या कनाडा में मारे गए हैं. वे पाकिस्तान के लिए दायित्व बन गए थे.''

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