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पहले बैंक से दिलाते थे लोन, फिर अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे रकम, दिल्ली-नोएडा में बैठकर फैला रखा था ठगी का साम्राज्य

Crime News: मध्य प्रदेश पुलिस ने दिल्ली और नोएडा में दबिश देकर आरोपी आमिर खान, राहुल देव शर्मा, फिरोज आलम और फराज को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी यूपी के बदायूं के रहने वाले हैं. न्यू अशोक नगर दिल्ली और सेक्टर 39 नोएडा में रहकर ठगी का गिरोह चला रहे थे. 

ठगों से बरामद सामान. ठगों से बरामद सामान.
विजय कुमार विश्वकर्मा
  • रीवा ,
  • 19 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

मध्य प्रदेश की रीवा पुलिस ने अंतर्राज्यीय ठग गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए ठगी की रकम सहित चार आरोपियों को दिल्ली और नोएडा से गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इनसे 28 लाख रुपए कैश, क्रेडिट कार्ड, 14 मोबाइल और अन्य बैंकिंग दस्तावेज बरामद किए हैं. यह गिरोह बैंक का कर्मचारी बनकर लोगों को कम बयाज पर लोन दिलाकर रुपए ठगी करते थे. गिरोह से पुलिस को एक डायरी मिली है जिसमे किए गए फ्रॉड का लेखा-जोखा है. 

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समान थाना क्षेत्र में रहने वाले पेशे से शिक्षक कैलाशचंद्र अवधिया को रुपयों की जरूरत थी. वह मकान निर्माण करना चाहते थे. इसी दौरान उनके मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आया. फोन करने वाले ने FDFC बैंक से 0 पर्सेंट ब्याज पर उन्हें लोन दिलाने का प्रलोभन दिया. इसके बाद बैंकिंग संबंधी आवश्यक दस्तावेज, आधार, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, सैलरी स्लिप लिया. इसके बाद बैंक खातें में नेट बैंकिग एक्टिवेट कर उसका एक्सेस अपने पास ले लिया.

इसके बाद 20 अप्रैल 23 से 31 मई 23 के बीच आरोपियों ने 30 लाख 89 हजार 700 रुपए राशि को अन्य खातों में ट्रांसफर कर निकाल लिया. कैलाशचंद्र ने आरोपियों के विरुद्ध समान थाना में शिकायत दर्ज कराई. 

दिल्ली और नोएडा से चला रहे थे गिरोह 

पुलिस ने धारा 419, 420, 66D, 66C आईटी एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया. पुलिस और साइबर सेल ने अज्ञात मोबाइल नंबरों की लोकेशन ट्रेस कर सारे सुराग जुटा लिए. दिल्ली और नोएडा में दबिश देकर आरोपी आमिर खान, राहुल देव शर्मा, फिरोज आलम और फराज को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी बदायूं (उ.प्र) के रहने वाले हैं. न्यू अशोक नगर दिल्ली और सेक्टर 39 नोएडा में रहकर ठगी का गिरोह चला रहे थे. 

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ठगी करने का तरीका

एसपी विवेक सिंह ने खुलासा करते हुए बताया कि गिरोह विधिवत रजिस्टर बनाकर उसमें कस्टमर के मोबाइल नंबर लिखता था फिर उन्हें बैंक का कर्मचारी बनकर फोन लगाता और कम ब्याज पर लोन दिलाने का लालच देता था. 

कस्टमर की सहमति मिलने पर आवश्यक दस्तावेज कस्टमर से प्राप्त कर विभिन्न बैंकों में लोन के लिए एप्लाई करते थे. कस्टमर के खाते पर नेटबैंकिंग चालू करते और मोबाइल पर फोन क्लोनिंग एप डाउनलोड करा कर एक्सेस प्राप्त कर लेते थे. 

बैंक से लोन होने के बाद  कस्टमर की राशि को अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे. पुलिस ने 28 लाख रुपए कैश, 2 लैपटॉप,  14 मोबाइल, 7 फर्जी आधारकार्ड, 4 क्रेडिट, 3 बैंक पासबुक और एक डायरी बरामद की है. जिसमें फ्रॉड का लेखा-जोखा है. 

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