
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (ISIS) पर शिकंजा कसते हुए पिछले साल दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था. इनकी गिरफ्तारी के साथ ही NIA ने आईएसआईएस झारखंड मॉड्यूल का खुलासा किया था. अब एजेंसी ने एक आरोपी के खिलाफ सोमवार को चार्जशीट दायर कर दी है.
एनआईए ने सोमवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत रांची की विशेष अदालत के समक्ष आरोपी फैजान अंसारी उर्फ फैज के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है.
एनआईए की जांच के अनुसार, फैज़ प्रतिबंधित वैश्विक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) की हिंसक उग्रवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रूप से शामिल था, जो पूरे भारत में अपनी गतिविधियों को बढ़ाने के कोशिश कर रहा था. आरोपियों ने आईएसआईएस के स्वयंभू खलीफा (नेता) के प्रति निष्ठा की शपथ भी ली थी.
फ़ैज़ संगठन और उसके मकसद को पूरा करने के लिए लोगों की भर्ती और उसके जरिए आतंकवादी हिंसा की तैयारी में लगा हुआ था. जांच में पाया गया कि उसने प्रभावशाली युवाओं को प्रभावित करने और उन्हें भर्ती करने के मकसद से आईएसआईएस की पत्रिकाओं 'वॉयस ऑफ हिंद' और 'वॉयस ऑफ खुरासान' सहित आतंकवादी प्रचार सामग्री के प्रसार के लिए टेलीग्राम और इंस्टाग्राम प्लेटफार्म पर आईएसआईएस से जुड़े कई साइबर ग्रुप बनाए और संचालित किए.
झारखंड में रांची के रहने वाले फैज़ को 20 जुलाई 2023 को गिरफ्तार किया गया था, जबकि उसके सहयोगी मध्य प्रदेश के रतलाम निवासी उमर बहादुर उर्फ राहुल सेन को सितंबर में एजेंसी ने पकड़ा था. ये दोनों आईएसआईएस के सदस्य हैं. आरोप है कि ये दोनों लोगों में डर और आतंक पैदा करना चाहते थे. ये लोग भारत की सुरक्षा और इसकी धर्मनिरपेक्ष संस्कृति और शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली को खतरे में डालने के इरादे से गैरकानूनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की साजिश रच रहे थे.
इस साजिश के सिलसिले में गृह मंत्रालय (MHA) को जानकारी मिलने के बाद एनआईए ने 19 जुलाई 2023 को फैजान अंसारी उर्फ फैज और अन्य के खिलाफ झारखंड आईएसआईएस आतंकी मॉड्यूल केस में मामला दर्ज किया था. एजेंसी के मुताबिक, आईएसआईएस आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देकर देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को भंग करना चाहता है.
इस मामले में अब तक की जांच के दौरान अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेशों में मौजूद आईएसआईएस संचालकों की मिलीभगत वाली एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है. इस जांच में भारत के भीतर आईएसआईएस की चरमपंथी और हिंसक विचारधारा का प्रचार करने के लिए प्रतिबद्ध व्यक्तियों के एक जटिल नेटवर्क का भी पता चला है. यही वजह है कि इस मामले में सीआरपीसी की धारा 173(8) के प्रावधानों के अनुसार जांच पड़ताल अभी जारी है.
गौरतलब है कि आईएसआईएस को इस्लामिक स्टेट (IS), इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवंत (ISIL), दाएश, इस्लामिक स्टेट इन खुरासान प्रोविंस (ISKP), आईएसआईएस विलायत खोरासन और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड शाम खुरासान (ISIS-K) के नाम से भी जाना जाता है. यह संगठन पूरे भारत में आतंक फैलाने के लिए विभिन्न मॉड्यूल के ज़रिए काम कर रहा है.