
झारखंड के दुमका में 12वीं कक्षा की छात्रा अंकिता सिंह को जलाकर मारने के आरोप में गिरफ्तार किए गए आरोपी के खिलाफ पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. इस एक्ट के तहत आने वाले अपराध के दोषी को दस साल कैद की सजा से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है ये पॉक्सो (POCSO) एक्ट और इसमें सजा का क्या प्रावधान किया गया है.
देश के हिलाकर रख देने वाले निर्भयाकांड के बाद बच्चों और नाबालिगों के साथ आए दिन होने वाले यौन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए साल 2012 में सरकार एक विशेष कानून को वजूद में लेकर आई थी, जो बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है. उस कानून का नाम है पॉक्सो एक्ट.
पॉक्सो (POCSO) एक्ट और सजा का प्रावधान
पॉक्सो (POCSO) शब्द अंग्रेजी से आता है. इसका पूर्णकालिक मतलब होता है The Protection Of Children From Sexual Offences Act 2012 (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012) यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012. इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है.
वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. जिसका कड़ाई से पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है.
पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है. जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है.
इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो. इसमें सात साल सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है.
पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो. इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
इसी प्रकार पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है. इसके धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.
विशेष अदालत में सुनवाई
18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है. यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है. इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है.
ये था पूरा मामला
झारखंड की राजधानी रांची से पौने दो सौ किलोमीटर दूर दुमका की रहने वाली अंकिता सिंह को जलाकर मार डाला गया था. आरोप है कि शाहरुख को अंकिता से एकतरफा प्यार हुआ था. अंकिता ने इनकार किया तो 23 अगस्त की सुबह चार बजे शाहरुख अपने दोस्त के साथ दुमका के जरूवाडीह मोहल्ले में पहुंचा.
अंकिता सो रही थी. आरोप के मुताबिक, शाहरुख ने खिड़की से लड़की पर पेट्रोल फेंका और आग लगा दी. आग लगाकर आरोपी भाग गया. बेटी को पहले दुमका के अस्पताल में और उसके बाद रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. लड़की पांच दिनों तक हिम्मत दिखाती रही, मगर आखिर में वो जिंदगी की जंग हार गई.
घटना को लेकर राजनीति
इस वारदात को लेकर सियासी दलों ने राजनीति शुरू कर दी. नतीजा ये हुआ कि पूरा झारंखड इस घटना के बाद सुलग उठा. विपक्षी दल भाजपा (BJP) के अलावा बजरंग दल, करणी सेना जैसे संगठन सड़क पर उतरे हैं और आरोपी शाहरुख को फांसी की सजा दिलाए जाने की मांग करने लगे. जबकि पुलिस पहले ही आरोपी शाहरुख को गिरफ्तार कर चुकी है और उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की बात कह रही है.