
झारखंड के पलामू में पुलिस ने एक कारोबारी और उसके ड्राइवर की हत्या के मामले का खुलासा कर दिया है. पुलिस ने 3 माह बाद इस अपहरण और हत्याकांड के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया. जो खुद एक पुलिसवाला है. पुलिस ने आरोपी जवान के अलावा उसके राइट हैंड, दो रिश्तेदार और एक सहयोगी को भी गिरफ्तार किया है.
दरअसल, इसी साल 25 मई की रात पलामू के नावाबाजार थाना क्षेत्र के कंडा घाटी से अगवा किए गए कारोबारी और उसके ड्राइवर का क्षत-विक्षत कंकाल पुलिस ने गढ़वा जिले के रमकंडा थाना इलाके के पुनदाग से बरामद किया था. पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार सिन्हा ने सोमवार को इस सिलसिले में बताया कि इस पूरे हत्याकांड का मास्टरमाइंड पुलिस का एक जवान है. यह जवान देवघर जिला बल में तैनात हैं. उसकी गिरफ्तारी रविवार को देवघर से कर ली गई है.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपी जवान पूर्व में भी कई मामलों में जेल जा चुका है. प्रेमनाथ यादव नामक यह जवान ग्राम पुनदाग थाना रमकंडा जिला गढ़वा का रहने वाला है. यह 2005 में पुलिस में बहाल हुआ है. इसने अभी चैनपुर थाना क्षेत्र के अंकड़ाही में घर भी बनाया है. उसके इस अपहरण गिरोह में उसका दाहिना हाथ शफीक अंसारी है. वह बेलवादामर, ग्राम बुढ़ीवीर चैनपुर का रहने वाला हैं. इस अपहरण के वक्त प्रेमनाथ यादव के बताए लोगों को हथियार उपलब्ध कराता था. इसके अलावा इस गिरोह में शामिल अजय यादव और अमरेश यादव दोनों पुलिस जवान प्रेमनाथ यादव के रिश्तेदार हैं. दोनों रमकंडा के पुनदाग के रहने वाले हैं.
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पांचवा आरोपी ओमप्रकाश चन्द्रवंशी है, वह चैनपुर के बीढ़ीवीर के बेलवादामर का रहने वाला है. प्रेमनाथ यादव ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस को बताया कि एक जून को ही ड्राइवर एवं व्यवसायी की हत्या कर दी गयी थी. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि लाश को गढ़े में डालकर यूरिया, नमक, और पानी वाले नमी स्थान पर गाड़ दिया गया था, ताकि लाश का अस्तित्व ना बचे। पुलिस व्यवसायी एवं चालक के घर वालों का डीएनए टेस्ट करायेगी.
बताते चलें कि घटना के दिन बिहार के व्यवसायी मिथिलेश प्रसाद अपने ड्राइवर श्रवण प्रजापति के साथ छतीसगढ़ के अंबिकापुर से बिहार जा रहे थे. उसी दौरान बदमाशों ने उनका अपहरण कर लिया था. जबकि व्यवसायी की पत्नी रीता देवी को घटनास्थल के पास छोड़ दिया गया था. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि उक्त पुलिस जवान बहुत शातिर किस्म का अपराधी है. इसे पकड़ने के लिए पुलिस की एसआइटी टीम के अलावा 23 पुलिस अधिकारी एवं जवान लगाए गये थे. छापामारी दल में शामिल टीम पिछले 15 दिनों में मात्र 2 घंटे ही सोए हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा कई घटनाओं का अंजाम दिया गया है. इनमें रेहला थाना के नसउव्वर अंसारी, राजेश दास का अपहरण, चैनपुर के कंकारी के पास इमरान अंसारी से दो मोबाइल की लूट, चैनपुर थाना के नेनुआ से बालू ठेकेदार के लड़के शकील का अपहरण और 29 जनवरी 2019 को दिल्ली के एक व्यक्ति का अपहरण भी शामिल है.
क्या-क्या हुआ बरामद
पुलिस ने अपराधियों के पास से 315 बोर का चार पीस बोल्ट एक्शन रायफल, 315 बोर का 80 जीवित कारतूस, घटना में प्रयक्त काला प्लसर, स्वीफ्ट कार, कांड में फिरौती मांगने वाले चार मोबाइल फोन, अपहृत को बांधने में प्रयुक्त दो जंजीर एवं दो ताले, व्यवसायी और उनके चालक के कंकाल का अवशेष को पुलिस ने बरामद किया है.
टीम को मिलेगा इनाम
पुलिस अधक्षक चंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि एसआइटी में शामिल सभी सदस्यों को पुरस्कृत किया जायेगा. सभी ने दिन-रात एक कर पलामू के लिए सिर दर्द बनने वाले अपहरण गिरोह को जड़ से उखाड़ दिया है। उन्होंने कहा कि छापामारी दल के कई अधिकारियों को डिजी स्तर पर सम्मानित किया जायेगा.
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देवघर से पकड़ा गया सरगना
अपहरणकांड में पकड़ा गया मुख्य सगरण पुलिस जवान जिस वक्त पुलिस के हत्थे चढ़ा उस वक्त वह देवघर जिले के एक स्कूल में परीक्षा डयूटी में लगा था. यहां भी पुलिस को पकड़ने में काफी मशक्त हुई. जैसे ही पुलिस के अधिकारियों ने उसे दबोचा, उसने वहां हंगाम खड़ा कर दिया. काफी मशक्कत के बाद मुख्य अपहरणकर्ता पुलिस जवान को पकड़ा जा सका.
महंगी गाड़ियों को देखकर सेट होता था टारगेट
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यह अपहरण गिरोह महंगी गाड़ियों को देखकर टारगेट सेट करता था. यह गिरोह सड़क किनारे बिना किसी योजना के बैठता था और कीमती गाड़ियों को देखकर अपनी स्वीफ्ट कार से उनसे आगे साइड लेता था. साइड लेकर संबंधित वाहन के आगे अपना वाहन लगा देता था और अपहरणकर्ता अपने टारगेट को आसानी से उठा लेते थे. उन्होंने कहा कि बिहार के व्यवसायी जिसकी हत्या हुई है, उसका अपहरण भी कीमती गाड़ी ही देखकर हुआ था. संयोग से जिस गाड़ी से अपहृत सफर कर रहा था, वह गाड़ी किराये की थी.
दस लाख लेने के बाद भी हत्या
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बिहार के व्यवसायी और उसके चालक का अपहरण करने के बाद गिरोह के मुख्य सरगना पुलिस जवान ने अपहृत के पुत्र से 10 लाख रूपए फिरौती भी ले ली थी. बावजूद उसकी जान भी अपहरणकर्ताओं ने ले ली उन्होंने यह भी बताया कि फिरौती की पूरी रकम पुलिस जवान डकार गया और अपने सदस्यों को गुमराह किया कि फिरौती की रकम हीं नहीं मिली है.
आवाज बदलने में माहिर
मुख्य सरगना पुलिस जवान आवाज बदलने में माहिर था. इस कारण पुलिस की तकनीकी शाखा को अनुसंधान में भारी परेशानी आई. आवाज को चिन्हित करने में समय लगा.