
जब इंसान अंधविश्वास के अंधेरे में गुम हो जाता है, तो उसे हकीकत की रोशनी दिखाई नहीं देती. अंधविश्वास लोगों को अपनी आगोश में कुछ तरह से जकड़ता है कि लोग उसकी पकड़ से बाहर निकलना ही नहीं चाहते. ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में. जहां इसी अंधविश्वास ने एक मुर्दे को डेढ़ साल तक जिंदा रखा, जो कोरोना की वजह से डेढ़ साल पहले ही मर चुका था. 10 लोगों का परिवार उसी शख्श की लाश के साथ डेढ़ साल तक जीता रहा. उन्हें लगता रहा कि उसकी धड़कने अभी चल रही हैं, बस इसी वजह से उन्होंने उसका अंतिम संस्कार भी नहीं किया.
शुक्रवार, 23 सितंबर 2022
कानपुर के रावतपुर इलाके में कृष्णापुरम मोहल्ला. जहां इस रोज लोगों की भीड़ लगी थी. असल में वहां एक मकान से एक ऐसी खबर बाहर आई थी कि जिसे कोई भी सुनता तो कुछ देर के लिए रुक जाता. सो, मोहल्लेवालों को जब ये खबर मिली, तो वो भी कौतुहल के मारे इस मकान के बाहर जमा हो गए. हुआ यूं कि उस मकान में एक लाश पड़ी थी लेकिन कोई घंटे-चौबीस घंटे से नहीं बल्कि पूरे डेढ़ साल साल से.
पुलिस-प्रशासन की टीम पहुंची थी मौके पर
उस रोज़ कानपुर पुलिस, स्वास्थ्य विभाग की टीम समेत कई अलग-अलग सरकारी महकमों के लोग उसी लाश का पता लगाने पहुंचे थे, उसे घर से निकाल कर उसे उसके आखिरी अंजाम तक यानी उसका अंतिम संस्कार करवाने के इरादे से आए थे. और बस, यही वो अजीब बात थी, जिसके बारे में सुनकर वहां लोगों की भीड इकट्ठी हो गई थी. लोग इस बारे में सबकुछ जानना चाहते थे.
डेढ़ साल पहले कोरोना से हुई थी मौत
असल में उस मकान में रहनेवाले विमलेश सोनकर अहमदाबाद में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में एओ के पद पर काम करते थे. 22 अपैल 2021 को कोरोना की लहर के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें शहर के मोती अस्पताल में भर्ती करवाया गया. लेकिन इलाज के दौरान जून 2021 को अस्पताल में ही उनकी मौत हो गई. अस्पताल वालों ने उनका डेथ सर्टिफिकेट जारी कर लाश घरवालों के हवाले कर दी. लेकिन लाश को घर लाने के बाद विमलेश के घरवालों को लगा कि उनकी उनकी दिल की धड़कन वापस आ गई है और उन्होंने विमलेश का अंतिम संस्कार टाल दिया.
डेढ़ साल तक की लाश की देखभाल
बस.. एक वो दिन था और एक आज का दिन. दस लोगों का भरा-पूरा परिवार पूरे डेढ़ साल तक लगातार बिस्तर पर पड़ी एक लाश की साज संभाल करता रहा और इतने दिन गुजरने के बावजूद उसका अंतिम संस्कार नहीं किया. अब आप पूछेंगे कि डेढ़ साल तक एक लाश घर में पड़ी रही, घरवालों की छोड़िये.. पड़ोसियों को इसका पता चलना चाहिए था. क्योंकि इतनी पुरानी लाश से भयानक बदबू आनी चाहिए थी.
लाश से बदबू नहीं आने की अजब कहानी
तो डेढ़ साल तक एक लाश को घर में रखने की ये वारदात जितनी चौंकाने वाली है, लाश से बदबू नहीं आने के पीछे भी कहानी भी उतनी ही अजीब. तो आपको इस अजीब कहानी के बारे में बताएंगे, लेकिन पहले ये जान लीजिए कि आखिर डेढ़ साल बाद अचानक इस मामले का खुलासा कैसे हुआ?
विभाग के लोगों को पत्नी ने बताया सच
असल में विमलेश की पत्नी मिताली को ऑपरेटिव बैंक में मैनेजर हैं. अपने पति की मौत के बाद उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि वो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके ससुरालवाले उनकी एक सुनने को राजी नहीं थे. ऐसे में मिताली के पास उनकी बात मानने के सिवाय कोई चारा नहीं था. लेकिन जब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से विमलेश को लेकर इनक्वायरी हुई तो उन्हें सच बताना पड़ा. इसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जिला प्रशासन को डेढ़ साल से विमलेश की लाश उसके मकान में पड़ी होने की जानकारी दे दी.
लाश का चौंकानेवाला राज
इसके बाद इनकम टैक्स, जिला प्रशासन, मेडिकल टीम और पुलिस ने मिलकर उनकी लाश को बरामद कर उसकी मेडिकल जांच करवाई और लाश को दोबारा घरवालों के हवाले कर उसका अंतिम संस्कार करवाया. लेकिन एक मकान में डेढ़ साल तक एक लाश रखी रही और उससे बदबू नहीं आई? असल में 35 साल के विमलेश कुमार की लाश के साथ ही ये राज भी उस मकान से बाहर निकला. जिसका सच जानकार सभी लोग सन्न रह गए.
ये था लाश से बदबू ना आने का राज़
पुलिस की शुरुआती जांच में इनमें से कुछ सवालों के जवाब मिल चुके हैं. जानकारी के मुताबिक घरवालों ने डेढ़ साल तक विमलेश की लाश को एक बिस्तर पर लिटा कर रखा. फिर उसकी ऐसी साज संभाल शुरू की, जैसे आदमी जिंदा इंसान की करता है. रोज़ घर की बच्ची उनका पल्स रेट चेक करती और उसके ठीक-ठाक चलने की जानकारी घरवालों को देती और घरवाले लाश की देखभाल करते. सुबह शाम डेटोल से लाश की सफ़ाई की जाती. उसकी तेल मालिश होती. रोज कपड़े बदले जाते और बिस्तर भी चेंज किया जाता और तो और लाश को खराब होने से बचाने के लिए डेढ़ साल से कमरे का एसी लगातार चौबीसों घंटे चल रहा था.
लोगों को बताई विमलेश के कोमा में होने की बात
अब सवाल ये है कि क्या इस तरह से किसी लाश को सड़ने से बचाया जा सकता है? तो जवाब है शायद नहीं. लेकिन इस मामले में घरवालों की साज संभाल की वजह से लाश सड़ने की जगह सूख कर ममी जैसी बन गई थी. डॉक्टरों को अंदेशा है कि लाश के सड़ने के दौरान जब-जब उससे पानी निकलता, घरवाले उसे डेटोल से साफ कर देते. उसकी मालिश भी करते. शायद इसी वजह से लाश पर बैक्टीरिया नहीं पनप पाए और लाश की बदबू आस-पड़ोस के लोगों तक भी नहीं पहुंची. वैसे तो ये इस परिवार के लोग अपने पड़ोसियों से कम ही घुलते मिलते थे, लेकिन पूछने पर बता देते थे कि विमलेश कोमा में हैं.
घरवालों की मानसिक स्थिति की जांच
फिलहाल पुलिस ने लाश घरवालों के हवाले करने के बाद उसका अंतिम संस्कार तो करवा दिया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतना पेचीदा मामला होने के बावजूद पुलिस ने लाश का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं करवाया? लेकिन कानपुर पुलिस का कहना था कि चूंकि ये कोई क्रिमिनल केस नहीं था, इसलिए लाश बगैर पोस्टमॉर्टम के ही घरवालों के हवाले कर दी गई. फिलहाल, कानपुर पुलिस प्रशासन विमलेश के घरवालों से बातचीत कर उनकी मानसिक स्थिति का पता लगाने की कोशिश कर रहा है. शासन का कहना है कि जरूरत पड़ने पर उनकी काउंसिलिंग और इलाज की व्यवस्था भी की जाएगी.