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केरल ट्रेन अग्निकांडः आरोपी शाहरुख सैफी पर लगी हैं ये धाराएं, जानें कितनी हो सकती है सजा

केरल अग्निकांड के आरोपी शाहरुख सैफी के खिलाफ यात्रियों की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307, 326ए, 436 और 438 के तहत केस दर्ज किया है. साथ ही उसके खिलाफ रेलवे एक्ट 1989 की धारा 151 भी लगाई गई है.

आरोपी शाहरुख को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है आरोपी शाहरुख को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 9:10 PM IST

केरल के कोझिकोड में बीती 2 अप्रैल को अलप्पुझा-कन्नूर एक्जीक्यूटिव एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में एक अज्ञात व्यक्ति ने आग लगा दी थी. जिससे 3 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि 9 लोग जख्मी हो गए थे. बताया गया था कि आरोपी का सह यात्रियों से सीट पर बैठने को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद उसने केमिकल से भरी बोतल फेंकी और कोच में आग लग गई थी.

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इस मामले के आरोपी की पहचान दिल्ली निवासी शाहरुख सैफी के तौर पर हुई है. जिसके खिलाफ यात्रियों की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307, 326ए, 436 और 438 के तहत केस दर्ज किया है. साथ ही उसके खिलाफ रेलवे एक्ट 1989 की धारा 151 भी लगाई गई है. तो चलिए जान लेते हैं कि इन धाराओं में दोषी पाए जाने पर आरोपी को कितनी सजा दिए जाने का प्रावधान है.

आईपीसी की धारा 307
जब कोई इंसान किसी दूसरे इंसान की हत्या की कोशिश करता है. और वह हत्या करने में नाकाम रहता है. तो ऐसा अपराध करने वाले को धारा 307 आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा दिए जाने का प्रावधान है. आसान लफ्जों में कहें तो अगर कोई किसी की हत्या की कोशिश करता है, लेकिन जिस शख्स पर हमला हुआ है, उसकी जान नहीं जाती तो इस तरह के मामले में हमला करने वाले शख्स पर धारा 307 के अधीन मुकदमा चलता है.

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हत्या की कोशिश करने वाले आरोपी को आईपीसी की धारा 307 में दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है. आम तौर पर ऐसे मामलों में दोषी को 10 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं. जिस आदमी की हत्या की कोशिश की गई है अगर उसे गंभीर चोट लगती है, तो दोषी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

आईपीसी की धारा 326ए
एसिड अटैक के मामलों में पहले आईपीसी की धारा 326 के तहत गंभीर रूप से जख्मी करने पर ही केस ही दर्ज होता था. लेकिन एसिड अटैक को लेकर बाद में आईपीसी की धारा 326 का विस्तार किया गया और उसमें 326ए और बी जोड़ी गईं. जिसके तहत तेजाबी हमला करने के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया और गुनहगार को कम से कम दस साल और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास की सजा देना तय किया गया. इसके अलावा उससे जुर्माना वसूल कर पीड़िता की मदद करने का नियम भी बनाया गया. 

आईपीसी धारा 326बी
इसी तरह आईपीसी की धारा 326 बी के तहत अगर किसी को तेजाब से हमला करने की कोशिश करने का गुनहगार पाया जाता है, तो भी उसके खिलाफ गैरजमानती मुकदमा दर्ज कर उस पर कार्रवाई किेए जाने का प्रावधान है. हमले की कोशिश करने पर भी कम से कम पांच साल की सजा और जुर्माने का नियम है. यानी इस लिहाज से देखा जाए, तो कानून काफी सख्त है.

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आईपीसी की धारा 436
भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी (IPC) की धारा 436 के मुताबिक, जो भी कोई किसी ऐसे निर्माण का, जो मामूली तौर पर उपासनास्थल के रूप में या मानव-विकास के रूप में या संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के तौर पर इस्तेमाल किया जाता हो, नष्ट करने के आशय से, या यह सभ्भाव्य जानते हुए कि वह उसका नाश करेगा, आग या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा करेगा, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा का प्रावधान है, जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही दोषी पर आर्थिक दण्ड भी लगाया जा सकता है.

आईपीसी की धारा 438
भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के मुताबिक, जो कोई भी आग या किसी विस्फोटक पदार्थ से ऐसी कुचेष्टा करेगा या करने की कोशिश करेगा, जैसे पूर्ववर्ती धारा 437 में वर्णित है, तो उसे आजीवन कारावास या दस वर्ष तक के कारावास की सजा से दंडित किया जाएगा. और साथ ही उस पर आर्थिक दण्ड भी लगाया जाएगा. यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है.

रेलवे एक्ट की धारा 151
रेलवे एक्ट, 1989 की धारा 151 के अनुसार, अगर कोई भी व्यक्ति जानबूझकर रेलवे की किसी भी संपत्ति को आग लगाकर, विस्फोटक के जरिए या किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाता है तो ऐसा करने पर उसे 5 साल कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
 

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