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खालिस्तान समर्थित संगठन पर पुलिस का एक्शन, 112 समर्थक अरेस्ट... जानें अमृतपाल केस का हर अपडेट

पंजाब पुलिस खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह पर तेजी से शिकंजा कस रही है. उसके संगठन से जुड़े 112 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पांच साथियों पर NSA लगाया गया है. इसी बीच जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के 'वारिस पंजाब दे' संगठन ने जम्मू-कश्मीर से कुछ हथियार खरीदे हैं.

खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह. (फाइल फोटो) खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • चंडीगढ़,
  • 20 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:05 AM IST

पंजाब पुलिस खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह पर तेजी से शिकंजा कस रही है. 18 मार्च से 20 मार्च तक उसके संगठन से जुड़े 112 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पांच साथियों पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाया गया है. अमृतपाल सिंह मामले में जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा है कि वो पंजाब पुलिस की पूरी मदद करेंगे.

दिलबाग सिंह ने कहा कि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के 'वारिस पंजाब दे' संगठन ने जम्मू-कश्मीर से कुछ हथियार खरीदे हैं. इस मामले में पंजाब पुलिस को हर तरह की मदद दी जाएगी. कहा, "पंजाब पुलिस को जहां भी जरूरत होगी, जम्मू-कश्मीर पुलिस हर संभव मदद करेगी. पता चला है कि यहां (जम्मू-कश्मीर) से कुछ हथियार वहां ('वारिस पंजाब दे') के लोगों को जारी किए गए हैं. ऐसे मामले हमारे संज्ञान में हैं''.

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पुलिस ने अमृतपाल को पकड़ने के लिए गाड़ी में टक्कर भी मारी थी

अमृतपाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर है, लेकिन पुलिस समेत कई एजेंसियां उसका पूरा रिकॉर्ड खंगालने में लगी हुई हैं. अमृतपाल महंगी मर्सिडीज GL गाड़ी में चलता था. जिस दिन पुलिस उसका पीछा कर रही थी, तब अमृतपाल के काफिले में उसकी मर्सिडीज समेत एंडेवर गाड़ियां शामिल थीं. पुलिस ने अमृतपाल को पकड़ने के लिए एंडेवर गाड़ी में टक्कर भी मारी थी, लेकिन उसकी गाड़ी की स्पीड करीब 140 किलोमीटर प्रति घंटा थी. इस तरह वो पुलिस की आंखों में धूल झोंककर भाग निकला. 

उसके चार सहयोगियों को डिब्रूगढ़ शिफ्ट किया गया है. इस मामले में डिब्रूगढ़ के अधिकांश पुलिस अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि, उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया है कि चारों आरोपी वर्तमान में डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं. साथ ही ये भी पता चला है कि अमृतपाल के संगठन से जुड़े सात और सदस्यों को डिब्रूगढ़ ले जाया जाएगा. डिब्रूगढ़ जेल परिसर के अंदर और बाहर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. सुरक्षा का कड़ा पहरा रखने के लिए असम पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों को तैनात किया गया है.

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'युवाओं को आत्मघाती हमले के लिए तैयार कर रहा था अमृतपाल'

अमृतपाल भारत के खिलाफ खतरनाक साजिश रच रहा था. खुफिया एजेंसियों के डोजियर में सामने आया है कि अमृतपाल नशामुक्ति केंद्रों और गुरुद्वारों का इस्तेमाल हथियार जमा करने और युवाओं को आत्मघाती हमले के लिए तैयार करने में कर रहा था. अलग-अलग एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर तैयार इस डोजियर में दावा किया गया है कि अमृतपाल आईएसआई और विदेशों में बैठे खालिस्तानी समर्थकों के इशारे पर काम कर रहा था. वो युवाओं को 'खड़कूस' यानी मानव बम बनाने के लिए उकसा रहा था. 

ये भी पढ़ें- 'अमृतपाल सिंह को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया, उसकी जान को खतरा है...', वकील का दावा

जांच में अधिकारियों को हथियार, गोला-बारूद और यूनिफॉर्म मिली

इतना ही नहीं, अमृतपाल 'आनंदपुर खालसा फ्रंट' यानी एकेएफ के नाम से प्राइवेट आर्मी भी बना रखी थी. अब तक की जांच में अधिकारियों को हथियार, गोला-बारूद, यूनिफॉर्म और जैकेट मिली हैं. इन पर AKF लिखा हुआ है. अधिकारियों ने बताया कि 'वारिस पंजाब दे' की ओर से चल रहे नशामुक्ति केंद्रों और अमृतसर के गुरुद्वारे में अवैध रूप से हथियार जमा कर रखे थे. नशामुक्ति केंद्रों में आने वाले युवाओं को बहला-फुसलाकर 'गन कल्चर' की ओर धकेला जा रहा था. 

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इन युवाओं को आतंकवादी दिलावर सिंह का रास्ता चुनने के लिए उकसाया जा रहा था. दिलावर सिंह सुसाइड बॉम्बर था. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या आत्मघाती हमले में हो गई थी. ये हमला दिलावर सिंह ने ही किया था.

पिछले साल खुद को घोषित किया था 'वारिस पंजाब दे' का मुखिया

अमृतपाल ने पिछले साल ही खुद को 'वारिस पंजाब दे' संगठन का मुखिया घोषित किया था. इस संगठन को पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने बनाया था. फरवरी 2022 में दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. अमृतपाल खुद को जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह दिखाता है. भिंडरावाले खालिस्तानी समर्थक था. जून 1984 में स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाकर भिंडरावाले को मार गिरा दिया गया था. 

भिंडरावाले की तरह ही अमृतपाल भी नीली पगड़ी पहनता है, तलवार रखता है. पिछली साल सितंबर में अमृतपाल ने मोगा जिले के रोडे गांव में एक कार्यक्रम किया था. ये भिंडरावाले का पैतृक गांव है. यही वजह है कि अमृतपाल को 'भिंडरावाले 2.0' भी कहा जाता है.

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