
लखनऊ के चर्चित अजीत सिंह हत्याकांड के बाद शूटर गिरधारी का एनकाउंटर किए जाने के मामले में पुलिसकर्मियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने पुलिसवालों को राहत देते हुए मुकदमा दर्ज करने के फरमान पर स्टे आर्डर दे दिया है. इस मामले में यूपी सरकार की तरफ से AAG विनोद शाही ने अपना पक्ष रखा था.
पुलिस अजीत सिंह हत्याकांड में आरोपियों की तलाश कर रही थी. इसी दौरान अजीत सिंह हत्याकांड के मुख्य सूत्रधार और शूटर गिरधारी ने नाटकीय ढंग से दिल्ली में सरेंडर कर दिया था. इसके बाद गिरधारी को लखनऊ लाया गया था. 14 फरवरी की रात पुलिस हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी के लिए उसे विभूतिखंड लेकर गई थी.
लखनऊ पुलिस का दावा है कि जब पुलिस के जवान गिरधारी को गाड़ी से उतार रहे थे, तब गिरधारी ने सब इंस्पेक्टर अख्तर उस्मानी की पिस्टल छीन ली थी, पिस्टल छीनने के बाद वह भागने की कोशिश करने लगा, मौके पर कई थानों की पुलिस पहुंच गई. खुद को पुलिस से घिरा हुआ देख कर गिरधारी ने फायरिंग शुरू कर दी, पुलिस की जवाबी कार्रवाई में गिरधारी घायल हो गया था. बाद में उसकी मौत हो गई थी.
इस मामले में कोर्ट ने एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का फरमान सुना दिया था. मंगलवार को कोर्ट ने उन पुलिसकर्मियों को राहत देते हुए मुकदमा दर्ज करने के आदेश पर स्टे आर्डर दिया है. यह स्टे ऑर्डर राज्य सरकार की तरफ से दायर की गई याचिका पर जस्टिस डीके सिंह ने दिया है.
सरकार की तरफ से मामले की पैरवी एएजी विनोद शाही कर रहे थे. इस मामले में एनकाउंटर के बाद पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश हुए थे, जिस पर कोर्ट ने स्टे आर्डर दिया है.
जानकारी के मुताबिक एनकाउंटर में मारे गए गिरधारी से पूर्व सांसद धनंजय की नजदीकियां पाई गई हैं. इसलिए 20 फरवरी को लखनऊ की सीजेएम कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था. धनंजय सिंह पर ही अजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने का आरोप है.