
8 जून, दिन शनिवार. नागदा महू इंदौर पैसेंजर ट्रेन, इंदौर रेलवे स्टेशन के यार्ड में खड़ी थी. बोगियों की साफ-सफाई का काम चल रहा था. इसी बीच एक जनरल बोगी में सीट के नीचे एक सफाई कर्मी की नजर एक बोरी पर गई. बोरी संदिग्ध थी. शायद इसलिए भी क्योंकि बोरी पर खून के धब्बे और मक्खियां मौजूद थीं. सफाई कर्मी ने तुरंत इसकी इत्तिला इंदौर जीआरपी को दी और पुलिसकर्मियों ने बोरी को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी. लेकिन जैसा कि डर था, वही हुआ था. बोरी में एक महिला की लाश के टुकड़े थे. जी हां लाश के टुकड़े. और टुकड़े भी क्या थे? सिर और धड़ का हिस्सा भर था, हाथ पांव गायब थे. जाहिर है मामला क़त्ल था. वारदात के बाद जिसे भयानक तरीके से ठिकाने लगाया गया था.
पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच शुरू कर दी, लेकिन इससे पहले कि पुलिस को इस महिला के बारे में कोई जानकारी मिल पाती, ठीक इसी से मिलती जुलती एक और कहानी सामने आई. इस बार जगह इंदौर से 1 हज़ार 150 किलोमीटर दूर उत्तराखंड का ऋषिकेश शहर था. 10 जून दिन सोमवार. उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर में भी दो दिन बाद ठीक वैसी ही एक वारदात हुई. यहां 10 जून को रेलवे स्टेशन पर खड़ी योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस एक बोरी में एक महिला की लाश के टुकड़े मिले. लाश के टुकड़े बोले तो सिर्फ हाथ और पैर का हिस्सा, जबकि यहां लाश का सिर और धड़ गायब था. ठीक इंदौर पुलिस की तरह ही अब ऋषिकेश पुलिस भी इस पहेली को सुलझाने को लेकर परेशान हो गई.
जाहिर है पहेली को सुलझाने के लिए उस स्टेशन का पता करना सबसे पहले जरूरी था, जहां से ये लाश के टुकड़े ट्रेन में रखे गए थे. उसके लिए ट्रेन के पूरे रूट की स्कैनिंग जरूरी थी. तो जो पहली ही बात पुलिस की नजर में आई, वो थी योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस के सोर्स और डेस्टिनेशन यानी चलने से पहुंचने तक की जगह. इत्तेफाक से ये ट्रेन भी उसी इंदौर शहर से चलती है, जिस इंदौर शहर में महज़ दो दिन पहले एक महिला की बगैर हाथ-पैर वाली लाश मिली थी. यानी इस बात संभावना बहुत ज्यादा थी कि ये कटे हुए हाथ पैर उसी महिला के हो सकते हैं, जिसकी लाश नागदा महू इंदौर पैसेंजर ट्रेन में मिली थी. अब लाश के इन टुकड़ों को लेकर दोनों स्टेशनों के जीआरपी की बातचीत शुरू हो चुकी थी.
दोनों ही शहर की पुलिस को ये लगने लगा था कि लाश के ये अलग-अलग टुकड़े एक ही महिला के हो सकते हैं. लेकिन दिक्कत ये थी ना तो इस महिला की पहचान पता थी और ना ही किसी ने इंदौर या आस-पास के किसी शहर में किसी को ट्रेन में लाश रखते हुए देखा ही था. सब सबूत के नाम पर पुलिस के पास महिला की बांह पर लिखे ये दो अल्फाज भर थे, जिस पर 'मीरा बेन और गोपाल भाई' लिखा हुआ था. वैसे तो सिर्फ हाथ पर गुदे इन दो नामों के सहारे किसी भी महिला की पहचान एक मुश्किल काम था, लेकिन फिर भी पुलिस ने अपनी कोशिश जारी रखी. पता चला कि मध्यप्रदेश और गुजरात के बॉर्डर के आस-पास के कई इलाकों में आदिवासी लड़कियां अपनी बांह पर अपना और अपने भाई का नाम लिखवा लेती हैं.
ख़ैर कोशिश जारी रही और आखिरकार पुलिस ने महिला की पहचान पता कर ली. 37 साल की ये महिला रतलाम जिले के बिलपांक थाना इलाके की गांव मऊ की रहने वाली थी मीरा बेन थी, जो 6 जून को अपने पति से झगड़ कर घऱ से निकल गई थी. उसके पति ने अपनी पत्नी के घर से चले जाने के बाद उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखवाई थी. लेकिन सवाल ये था कि जो मीरा बेन अपनी मर्जी से सही सलामत घर से निकली थी, वो महज दो दिनों में अलग-अलग टुकड़ों में बंट कर एक हज़ार किलोमीटर से ज्यादा के फासले में कैसे बिखर गई? आखिर उस महिला का क़त्ल किसने किया और क्यों? यानी अब मरने वाली महिला की पहचान हो चुकी थी, पुलिस को असली कहानी पता लगानी थी.
पुलिस ने इस कोशिश में महिला के पति से लंबी पूछताछ की और उससे पहला क्लू मिला. महिला के पति ने बताया कि मीरा बेन घर से जाते समय ये कह कर गई थी कि वो उज्जैन जा रही है. यानी इस बात की संभावना ज्यादा थी कि मीरा बेन अपने कत्ल से पहले उज्जैन में हो और संभावना इस बात की भी थी महिला का क़त्ल उज्जैन में ही हुआ और क़ातिल ने रेलवे स्टेशन से ही महिला की लाश के टुकड़े अलग-अलग ट्रेनों में रखे हों. अब पुलिस की सारी तफ्तीश उज्जैन रेलवे स्टेशन से इर्द-गिर्द सिमट गई. पुलिस ने मोबाइल फोन की लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज, रेलवे स्टेशन के आस-पास एक्टिव मुखबिर सबकी मदद से मीरा बेन के कत्ल का राज पता करने की शुरुआत कर दी.
इसी कोशिश में पुलिस को कुछ ऐसे सीसीटीवी फुटेज मिले, जिसमें 7 जून को मीराबेन एक संदिग्ध आदमी के साथ रेलवे स्टेशन से जाती नजर आई. लेकिन ये आदमी कौन था? मीरा बेन उसके साथ कहां जा रही थी? तो मुखबिरों से पूछताछ में उस आदमी की पहचान भी पता चल गई. वो आदमी उज्जैन रेलवे स्टेशन के पास के ही एक रिहायशी इलाके हीरा मिल की चाल में रहता था. नाम था कमलेश पटेल, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. लेकिन पिछले 15 सालों से वो उज्जैन में ही रहता था और कैटरिंग ठेकेदारों के साथ काम किया करता था. कमलेश ने मीरा बेन के मोबाइल में अपनी सिम भी डाली थी. पुलिस को इससे भी आरोपी के बारे में सुराग मिला.
अब पुलिस ने बगैर देर किए 55 साल के कमलेश पटेल को हिरासत में ले लिया. लेकिन इस बात से बेखबर कि पुलिस को उसके किए के सुराग और सबूत मिल चुके हैं, पटेल लगातार पुलिस से झूठ बोल रहा था. अब दो बड़े सवाल थे. पहला तो यही कि अगर पटेल ने ही मीरा बेन की जान ली, तो क्यों ली? और दूसरा ये कि अगर पटेल ने मीरा बेन का कत्ल कर अपने ही घर में उसकी लाश के टुकड़े किए, तो फिर उसे ऐसा करते हुए उसके घरवालों में से किसी ने तो जरूर देखा होगा, तो पुलिस को इस सवाल का भी जवाब मिला. पुलिस को पता चला कि पटेल शादीशुदा है, लेकिन उसकी बीवी मूक-बधिर है यानी वो सुन और बोल नहीं सकती. उन्हें कोई संतान भी नहीं है.
यानी यदि किसी को पटेल के क़त्ल का राज़ पता हो सकता था, तो वो उसकी मूक-बधिर बीवी ही हो सकती थी. लेकिन दिक्कत ये थी कि पटेल की मूक बधिर बीवी से पुलिस पूछताछ करती, तो कैसे करती? तो पुलिस ने इसका भी हल निकाला. पुलिस ने गूंगों बहरों की बातचीत की भाषा यानी साइन लैंग्वेज के कुछ एक्सपर्ट्स से संपर्क साधा और उन्हें कमलेश पटेल की बीवी से पूछताछ में मदद करने के बुलवा भेजा. एक्सपर्ट्स ने पटेल की बीवी से बात की और तब सामने आई एक ऐसी खौफनाक कहानी, जिस पर यकीन करना भी मुश्किल हो सकता है. पटेल की बीवी ने इशारों ही इशारों में पुलिस को बताया कि कैसे उसका पति 7 मई को मीरा बेन को अपने साथ घर लेकर आया था?
इसके बाद कैसे उसका कत्ल करने के बाद उसकी लाश के टुकड़े कर डाले? असल में पटेल ने जब मीरा बेन की जान ली, तब पटेल की बीवी घर में नहीं थी, लेकिन जब वो मीरा बेन की लाश के टुकड़े कर रहा था, तब तक उसकी बीवी घर लौट चुकी थी और उसने अपनी आंखों से सबकुछ देखा था. यानी पटेल की बीवी की 'गूंगी गवाही' से अब इस बात की तस्दीक हो चुकी थी कि क़ातिल कोई और नहीं बल्कि कमलेश पटेल ही है. अब बस पुलिस को पटेल से पूरी कहानी तफ्सील से सुननी थी और क़त्ल की वजह से लेकर लाश निपटाने के पूरे सिक्वेंस को समझना था.
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि अपने पति से झगड़ कर मीरा बेन रतलाम से निकल कर उज्जैन पहुंच चुकी थी. वो उज्जैन से मथुरा जाना चाहती थी. लेकिन ग्रामीण परिवेश से आने वाली मीरा बेन को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो मथुरा जाए तो कैसे जाए? इस बीच रेलवे स्टेशन पर कमलेश पटेल की नजर उस पर पड़ी. उसने उसे अकेला देख कर उससे बात करते हुए सहानुभूति जताई और मथुरा की ट्रेन पकड़ने से पहले उसे अपने साथ अपने घर चलने को कहा. असल पटेल उसके साथ ज्यादती करना चाहता था. वो पहले भी कई महिलाओं के साथ ऐसा कर चुका था. अपने अंजाम से बेखबर मीरा बेन उसके साथ उसके घर चलने को राजी हो गई.
अगले दिन पटेल ने उसके खाने में नींद की गोलियां मिला दी और उसके साथ बलात्कार की कोशिश करने लगा. लेकिन इत्तेफाक से इसी दौरान मीराबेन को होश आ गया और उसने अपने साथ हो रही ज्यादती का विरोध शुरू कर दिया. शोर मचाने लगी. गुस्से में आकर कमलेश पटेल ने अपने घर में रखे एक बड़े बोल्ट से मीरा बेन के सिर पर हमला कर दिया. मीरा बेन बेहोश हो गई और तब रस्सी से गला घोंट कर उसकी जान ले ली. कमलेश जब ये सब कर रहा था तो उसकी बीवी घर में नहीं थी. लेकिन जब तक वो घऱ लौटी, तब तक वो एक बड़े से चाकू से मीरा बेन की लाश के टुकड़े करने में लगा था. उसने पीड़िता की लाश को तीन हिस्सों में बांटा और उसे तीन बोरियों में पैक कर लिया.
इसके बाद वो सबूत मिटाने के लिए उज्जैन रेलवे स्टेशन के यार्ड में पहुंचा, जहां उसने पहली दो बोरियां नागदा महू इंदौर पैसेंजर ट्रेन की एक बोगी में रख दी. लेकिन अभी वो तीसरी बोरी रख पाता, तब तक ट्रेन चल दी. तीसरी बोरी यानी हाथ और पांव का हिस्सा उसके पास ही रह गया. कई घंटों के बाद उसे तब फिर से ट्रेन में तीसरी बोरी रखने का मौका मिला, जब योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस वहां पहुंची. इस बोरी में कटे हुए हाथ पांव थे, जो दिन बाद ऋषिकेश रेलवे पुलिस को मिले. यानी इस हिसाब से देखा जाए, तो क़ातिल ने लाश के टुकड़े अलग-अलग ट्रेनों की बोगियों में इसलिए नहीं रखा था कि वो इस मामले की जांच को और ज्यादा उलझा सके, लेकिन इत्तेफाक से दो बोरियों के रखते ही पहली ट्रेन रवाना हो गई.
इसके चलते उसे तीसरी बोरी एक दूसरे ट्रेन में रखनी पड़ी. बहरहाल, अब पुलिस ने इस केस को सुलझा लिया है और क़ातिल की निशानदेही पर उसके घर से महिला के कपड़े, उसकी घड़ी, चप्पल, मोबाइल की बैटरी जैसी चीज़ें बरामद कर ली हैं. पुलिस को वो नींद की गोलियों का पत्ता भी मिल गया है, जो गोलियां उसने खाने में मिला कर मीराबेन को दी थी. पुलिस इस खौफनाक हत्याकांड में ऐसा चार्जशीट तैयार करना चाहती है, जिससे कि दोबारा कोई अपराधी इस तरह का दुस्साहस न कर सके. आरोपी पटेल से कड़ी पूछताछ करके अन्य मामलों की जानकारी ली जा रही है.