
मेघालय के री-भोई जिले में प्रतिबंधित संगठन हिनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (HNLC) को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब पुलिस ने उसके हथियार और गोला-बारूद का जखीरा जब्त कर लिया. यह बरामदगी संगठन से जुड़े चार लोगों की निशानदेही पर की गई, जिन्हें शिलांग के विवादित पंजाबी लेन इलाके में आईईडी विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
री-भोई जिले के पुलिस अधीक्षक जगपाल धनोआ सिंह ने इस संबंध में जानकारी देते हुए पीटीआई को बताया कि बुधवार को जिले में एचएनएलसी के झंडे के साथ आग्नेयास्त्र, जिलेटिन की छड़ें, डेटोनेटर और इग्निशन फ़्यूज़ जब्त किए गए हैं. बीते शनिवार की रात विवादित पंजाबी लेन इलाके में हुए विस्फोट में कम से कम एक शख्स घायल हो गया था.
एसपी जगपाल धनोआ सिंह ने आगे बताया कि सोमवार को गिरफ्तार किए गए चारों आरोपी बांग्लादेश से सटे संगठन से जुड़े अपने आकाओं के निर्देशों के अनुसार काम कर रहे थे. आईईडी विस्फोट में उनकी संलिप्तता के लिए रविवार रात को हाइनीवट्रेप नेशनल यूथ फ्रंट के एक नेता सहित दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था, जिनकी पहचान इसके अनुशासनात्मक सचिव टार्ज़न लिंबा के रूप में की गई है.
मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने हाल ही में विस्फोट के अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था. उन्होंने कहा था कि कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और कड़ी कार्रवाई की जा रही है. वे यह सुनिश्चित करेंगे कि जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए.
विवादित पंजाबी लेन में रहने वाले सिखों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हाल ही में लिखे एक पत्र में आरोप लगाया है कि क्षेत्र से निवासियों को स्थानांतरित करने और नगर निगम की भूमि पर उनके पुनर्वास के लिए बातचीत प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए वहां विस्फोट किया गया था.
ये था पुराना मामला
साल 2018 में एक बस ड्राइवर पर सिखों ने कथित तौर पर हमला किया था. इसके बाद इलाके में हिंसा भड़क गई थी. करीब एक महीने तक कर्फ्यू लगा रहा था. सरकार ने उन सिखों को दूसरे इलाके में स्थानांतरित करने की पेशकश की थी, जिन्हें लगभग 200 साल पहले ब्रिटिश सफाई के काम के लिए शिलांग लाए थे. पहले उन्होंने आना-कानी की थी, लेकिन बाद में सिख इसके लिए सहमत हो गए थे, लेकिन उन्होंने मांग रखी थी कि सरकार उनके घरों के निर्माण का खर्च भी उठाए.