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भाई के हत्यारे से दाऊद गैंग ने मिलाया हाथ, जानिए क्या है पठान गैंग और D कंपनी की 41 साल पुरानी अदावत

बात 1981 की है. उस वक्त पठान गैंग के सरगना अमीरजादा खान, उसके चचेरे भाई आलमजेब खान और मान्या सुर्वे ने मुंबई के प्रभादेवी इलाके में मौजूद एक पेट्रोल पंप पर दाऊद इब्राहिम के छोटे भाई शब्बीर की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

दाऊद से दुश्मनी के चलते पठान गैंग के कई लोग मारे गए थे दाऊद से दुश्मनी के चलते पठान गैंग के कई लोग मारे गए थे
दिव्येश सिंह/परवेज़ सागर
  • मुंबई,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:53 PM IST

हाल ही में मुंबई पुलिस ने मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के एक गुर्गे सलीम फ्रूट को गिरफ्तार किया है. खबर सलीम की गिरफ्तारी की नहीं बल्कि ये है कि डी कंपनी का सलीम फ्रूट दाऊद इब्राहिम के जानी दुश्मन पठान गैंग के सरगना के छोटे भाई के साथ एक मामले में शामिल था. इन दोनों पर ही धोखाधड़ी और संपत्ति हड़पने के लिए जालसाजी करने का इल्जाम है. दोनों के साथ पकड़े जाने से कयास लगाए जा रहे हैं कि अब डी कंपनी ने पठान गैंग के साथ हाथ मिला लिया है. आइए आपको बताते हैं, यह पूरा मामला. 

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28 नवंबर 2022, मुंबई
मुंबई पुलिस अपराध शाखा ने गैंगस्टर आलमजेब खान के छोटे भाई शहजादा जांगरेज खान को धोखाधड़ी और संपत्ति हड़पने के लिए जालसाजी के मामले में गिरफ्तार किया है. खास बात ये है कि आलमजेब खान के छोटे भाई शहजादा खान को मुंबई पुलिस के एंटी एक्सटॉर्शन सेल ने दाऊद इब्राहिम के करीबी सलीम के साथ गिरफ्तार किया है.

फर्जी वाड़ा करने का आरोप
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कहा कि साल 2011 से वर्ष 2021 के बीच गिरफ्तार और वॉन्टेड अभियुक्तों ने शिकायतकर्ता अहमद युसूफ लांबत के साथ धोखाधड़ी को अंजाम दिया था. आरोपियों ने खान के पिता की संपत्ति से जुड़े फर्जी दस्तावेज़ बनाकर ठगी करने के लिए आपराधिक साजिश रची थी. उक्त दस्तावेजों को असली बताकर इन शातिर अपराधियों ने सब-रजिस्ट्रार, मुंबई सिटी के कार्यालय में जमा कराया था. वो ये दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि उनके सारे दस्चावेज असली हैं. 

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आर्थिक अपराध शाखा ने दर्ज किया था केस 
पुलिस को इस मामले की शिकायत दर्ज कराने वाले अहमद युसूफ लांबत के पिता की अचल संपत्ति लांबट बिल्डिंग, उमरखाडी रूट, सर्वे नं. 3646, बबुला टैंक रोड़, मुंबई पर आरोपियों ने कब्जा कर लिया था. वे उस संपत्ति को हड़पना चाहते थे. इस मामले को लेकर 22 सितंबर 2022 को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मुकदमा अपराध संख्या- 141/22 दर्ज किया था. जिसमें आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420, 465, 467, 471, 474, 120-बी लगाई गई थी.

यह मामला मुंबई पुलिस या संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) के नेतृत्व में की गई जांच के बाद दर्ज किया गया था. इस मामले की जांच के दौरान पता चला था कि ये चार लोग इस केस में आरोपी हैं और उक्त अपराध में शामिल थे, जिन्हें तकनीकी जांच के आधार पर गिरफ्तार किया गया-

1) मुस्लिम असगर अली उमरेवाला, 62 साल
2) शहजादा जांगरेज़ खान, 63 वर्ष
3) असलम अब्दुल रहमान पाटनी, 56 वर्ष
4) रिजवान अलाउद्दीन शेख, 35 वर्ष

इस मामले में एक अन्य अभियुक्त मोहम्मद सलीम इकबाल कुरैशी उर्फ ​​सलीम फ्रूट (49 वर्ष) जो दाऊद इब्राहिम के करीबी शकील का बहनोई है, वो गिरोह के खिलाफ एनआईए के एक मामले में तलोजा सेंट्रल जेल में था, उसे भी 28 नवंबर 2022 को हिरासत में लिया गया. इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया. जहां से उसे 30 नवंबर तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया.

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डी कंपनी और पठान गैंग में दुश्मनी
बात 1981 की है. उस वक्त पठान गैंग के सरगना अमीरजादा खान, उसके चचेरे भाई आलमजेब खान और मान्या सुर्वे ने मुंबई के प्रभादेवी इलाके में मौजूद एक पेट्रोल पंप पर दाऊद इब्राहिम के बड़े भाई शब्बीर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. तभी से डी गैंग और पठान गैंग के बीच दुश्मनी का आगाज़ हो गया था.

ऐसे हुआ था शब्बीर इब्राहिम का मर्डर
वो 12 फरवरी, 1981 की रात थी. लगभग 11 बजे शब्बीर अपनी प्रेग्नेंट बीवी शहनाज का मेडिकल चेकअप कराकर वापस घर लौटा था. तभी उसके घर का फोन बजा, जो लपकर शब्बीर ने उठाया. दूसरी तरफ से उसकी महबूबा या यूं कहें कि रखेल चित्रा की आवाज़ आई, वो बोली कि उसे उसकी याद सता रही है. शब्बीर ने उसे जल्द आने की बात कहकर फोन रखा और घर से निकल गया. वो जाते हुए शहनाज को कह गया था कि सुबह तक वापस लौटेगा. शहनाज के लिए उसका यूं बाहर जाना कुछ नया नहीं था. हालांकि इस बात पर दोनों का झगड़ा होना भी आम बात थी.

अब शब्बीर घर से निकलकर अपनी सफेद प्रीमियर पदि्मनी फिएट कार से कमाठीपुरा की तरफ रवाना हो चुका था. वो वहां पहुंचा और चित्रा को साथ लेकर कमाठीपुरा से बाहर निकल गया. जब वो हाजी अली की दरगाह के चौराहे की तरफ जाने वाले रास्ते पर मुड़ा तो उसने आदतन रेयर मिरर में झांककर देखा. एक फूलों से सजी एंबेसेडर कार उनके क़रीब पीछे–पीछे चल रही थी. शब्बीर ने सोचा कि कोई नवविवाहित जोड़ा होगा.

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आधी रात हो चुकी थी और उसके बग़ल में बैठी चित्रा शरारती मूड में थी. वो शब्बीर को उकसा रही थी. तभी उसका ध्यान गाड़ी के फ्यूल मीटर पर गया. पेट्रोल खत्म होने वाला था. मगर वहां आस-पास कोई पेट्रोल पंप नहीं था. तभी वो कुछ किलोमीटर दूर प्रभावती इलाके की तरफ बढ़ने लगा. जहां एक पट्रोल पंप था. फूलों से सजी एंबेसेडर कार अभी भी उसके पीछे थी. उसे लगा कि वो शहर से बाहर जाने के लिए इस रास्ते पर आए हैं.

मगर जैसे ही शब्बीर ने कार लेजाकर पेट्रोल पंप पर रोकी, तभी वो एंबेसेडर कार ठीक उसके पीछे आकर रूक गई. जो एक प्लान का हिस्सा था. कार में सवार अमीरज़ादा खान, आलमज़ेब खान और मनोहर सुर्वे उर्फ मान्या सुर्वे समेत पांच लोग हाथ में पिस्तौल और तेजधार हथियार लेकर बाहर निकल आए. ये देखकर शब्बीर घबरा गया, उसने फौरन चित्रा को गाड़ी से उतारा और डेशबोर्ड से अपनी पिस्तौल निकालने के लिए झुका. मगर तब तक देर हो चुकी थी.

सभी हमलावरों ने मिलकर उस पर हमला कर दिया. कार अगला शीशा चकनाचूर हो गया और कई गोलियां एक साथ शब्बीर के जिस्म में समा गई. ये खौफनाक हमला देखकर पेट्रोल पंप के कर्मचारी और चित्रा सहम गए थे. चित्रा चीख चीखकर मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन कोई बचाने नहीं आया. कार की अगली सीट शब्बीर के खून से रंग चुकी थी. अब शब्बीर मर चुका था. हमले के बाद हमलावर भी फरार हो चुके थे. इस वारदात ने पठान गैंग और डी कंपनी के बीच ऐसी दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी थी, जिसकी भेंट दोनों तरफ से कई लोग चढ़ चुके हैं.

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मुंबई में अंडरवर्ल्ड का आगाज़
वो 1970 का दौर था. तब मुंबई में केवल करीम लाला, हाजी मस्तान और वरदाराजन मुदलियार सक्रीय थे. तीनों ही एक दूसरे से कम नहीं थे. इसलिय तीनों ने मिलकर काम और इलाके बांट लिए थे. करीम लाला की जानदार शख्सियत को देखकर हाजी मस्तान उसे असली डॉन के नाम से बुलाया करता था. तीनों बिना किसी खून खराबे के अपने अपने इलाकों में काम किया करते थे. उस दौरान उनके अलावा बंबई में कोई गैंगस्टर नहीं था.

मगर कुछ वर्षों बाद मुंबई पुलिस के हैड कांस्टेबल इब्राहिम कासकर के बेटे दाऊद इब्राहिम कासकर और शब्बीर इब्राहिम कासकर तस्करी के धंधे में कूद पड़े. दोनों भाईयों ने इस धंधे में आते ही करीम लाला को चुनौती देने का काम किया. नतीजा यह हुआ कि पठान गैंग और दाऊद गैंग के बीच दुश्मनी शुरू हो गई. 

मुंबई में पहली गैंगवार
अंडरवर्ल्ड में दाऊद की एंट्री से पहले खून खराबा नहीं होता था. लेकिन करीम लाला से दुश्मनी लेकर दाऊद को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा. दोनों के बीच दुश्मनी और नफरत इस कदर बढ़ गई कि 1981 में करीम लाला के पठान गैंग ने दाऊद इब्राहिम के भाई शब्बीर की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी. शब्बीर के कत्ल से दाऊद इब्राहिम तिलमिला उठा था. मुंबई की सड़कों पर गैंगवार शुरू हो गई थी. दाऊद गैंग और पठान गैंग के बीच खूनी जंग का आगाज़ हो चुका था. 

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ऐसे लिया था भाई की मौत का बदला
दाऊद इब्राहिम कासकर अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता था. और शब्बीर की मौत के ठीक पांच साल बाद 1986 में दाऊद इब्राहिम के गुर्गों ने करीम लाला के भाई रहीम खान को बेरहमी के साथ मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद भी गैंगवार नहीं थमी.

करीम लाला ने की थी दाऊद की पिटाई
तस्करी के धंधे में दाऊद के आने से करीम लाला परेशान था. दोनों के बीच दुश्मनी खुलकर सामने आ चुकी थी. बताते हैं कि एक बार में दाऊद इब्राहिम मुंबई में ही करीम लाला के हत्थे चढ़ गया था. दाऊद को पकड़ने के बाद करीम लाला ने जमकर उसकी पिटाई की थी. इस दौरान दाऊद को गंभीर चोटें आई थीं. यह बात मुंबई के अंडरवर्ल्ड में आज भी प्रचलित है.

 

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