
NCRB Report: राजस्थान में चुनाव नतीजों के बमुश्किल दो दिन बाद, जयपुर में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की दिनदहाड़े हत्या से पूरा देश सन्न है. इस संगीन वारदात के मद्देनजर, इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपराध दर पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का विश्लेषण किया.
अपराध में वृद्धि
पिछले दस वर्षों में मध्य प्रदेश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर अपराध की दर में लगातार वृद्धि देखी गई है. 2013 में 303.8 से शुरू होकर, आंकड़े लगातार बढ़ते गए और 2021 में लगभग 358.3 तक पहुंच गए. हालांकि इसमें साल 2018 और 2019 में थोड़ी गिरावट थी.
पिछले एक दशक में राजस्थान की अपराध दर में उतार-चढ़ाव का पैटर्न देखा गया है. शुरुआत में 2013 में 279.2 प्रति लाख पर, राज्य में गिरावट का रुझान देखा गया, जो 2018 में 224.4 तक पहुंच गया. हालांकि, बाद के वर्षों में उलटफेर देखा गया और 2022 में ये दर बढ़कर 293.5 हो गई.
पिछले दशक में छत्तीसगढ़ की अपराध दर में एक दिलचस्प बात देखने को मिलती है. साल 2013 में 227.3 प्रति लाख से शुरू होकर, राज्य में शुरुआत में गिरावट देखी गई. ये दर साल 2016 में 211.7 तक पहुंच गई और साल 2018 तक यह दर ज्यादातर स्थिर रही. हालांकि, बाद के वर्षों में एक अलग तस्वीर सामने आई, ये दर लगातार बढ़ती गई और 2022 में 299.5 पर पहुंच गई.
बाल यौन शोषण
पिछले दशक का एक व्यापक विश्लेषण तीन राज्यों में बच्चों के साथ बलात्कार के मामलों में चिंताजनक वृद्धि को उजागर करता है. प्रति एक लाख जनसंख्या पर ऐसी घटनाओं की दर को दर्शाने वाला डेटा मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बच्चों की सुरक्षा की एक गंभीर तस्वीर पेश करता है.
2013 में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 7.1 मामलों से शुरू होकर, मध्य प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है. आंकड़े लगातार बढ़ते हुए 2022 में 13.2 तक पहुंच गए.
हालांकि, राजस्थान में शुरुआत में अपेक्षाकृत कम दरों का अनुभव होने के बावजूद, ऐसे मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है. साल 2013 में 3.1 प्रति लाख से शुरू होकर, 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 5.8 हो गया.
यौन शोषण के मामले
पिछले दशक में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बलात्कार के मामलों की वार्षिक घटनाओं के हालिया आंकड़ों से एक जटिल और बदलते परिदृश्य का पता चलता है. मध्य प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में बलात्कार के दर्ज मामलों में उतार-चढ़ाव का अनुभव हुआ है. 2013 में 4,335 मामलों से शुरू होकर, 2017 में ये आंकड़े 5,562 के शिखर पर पहुंच गए, जो एक महत्वपूर्ण वृद्धि का संकेत है. बाद के वर्षों में गिरावट देखी गई, 2019 में 2,485 मामले दर्ज किए गए लेकिन 2022 में संख्या में नए सिरे से वृद्धि देखी गई, जो 3,029 तक पहुंच गई.
राजस्थान में भी बलात्कार के दर्ज मामलों में उतार-चढ़ाव देखा गया. 2013 में 3,285 मामलों से शुरू होकर, 2019 में यह संख्या बढ़कर 5,997 हो गई, जो कि बड़ी वृद्धि है. इसके बाद के वर्षों में गिरावट देखी गई. 2022 में 5,399 मामले दर्ज किए गए और 2021 में बलात्कार के मामलों की संख्या चरम पर गई, जो 6,337 तक पहुंची.
छत्तीसगढ़ में बलात्कार के दर्ज मामलों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई, जो 2013 में 1,380 से घटकर 2019 में 1,036 हो गई. साल 2018 दो हजार से अधिक मामलों के साथ चरम वर्ष रहा. हालांकि, 2020 में ये संख्या 1,210 मामलों तक रही. और 2022 में 1,246 मामलों के साथ समान स्तर बनाए रखा.
महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक राज्य
ये तीनों राज्य शीर्ष 10 राज्यों में शुमार हैं, जहां बलात्कार के मामले अधिक हैं. 2013 से 2022 तक कुल 45,027 मामलों के साथ राजस्थान इस सूची में शीर्ष पर है. साल 2013 में 3,285 मामलों से 2022 में 5,399 मामलों तक इसमें चिंताजनक वृद्धि देखी गई.
इसी अवधि में कुल 40,479 मामलों के साथ मध्य प्रदेश ने दूसरा स्थान हासिल किया. पिछले कुछ वर्षों में एमपी में महिलाओं के खिलाफ रिपोर्ट किए गए अपराधों में उतार-चढ़ाव का पैटर्न देखा गया है. साल 2013 में 4,335 मामलों से शुरू होकर, 2017 में यह संख्या चरम पर पहुंची, जिसके बाद इसमें गिरावट आई. हालांकि, एक बदलाव हुआ, साल 2022 में 3,029 मामले दर्ज किए गए.
इस अवधि में कुल 14,586 मामलों के साथ छत्तीसगढ़ सातवें स्थान पर था. छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों में साल 2013 में 1,380 मामलों से उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई, जो साल 2019 में 1,036 हो गई. हालांकि, साल 2020 में बदलाव हुआ और ये संख्या 1,210 तक पहुंची. और 2022 में 1,246 मामलों के साथ समान स्तर बनाए रखा.
टॉप 10 की अगर बात करें तो अन्य राज्यों में 34,919 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश, उतार-चढ़ाव वाले पैटर्न के साथ महाराष्ट्र, गिरावट के साथ असम, 16,545 मामलों के साथ ओडिशा, 15,242 मामलों के साथ दिल्ली, 13,673 मामलों के साथ केरल और 13,153 बलात्कार के मामलों के साथ हरियाणा एक दशक के आंकडों में शामिल हैं.
(अंकिता तिवारी की रिपोर्ट)