
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सीबीआई की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है. इस मामले की जांच में कई खुलासे हो रहे हैं. लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि तहकीकात के दौरान अभी तक कोई ऐसा पुख्ता सुराग सामने नहीं आया है, जो सुशांत की मौत को कत्ल साबित कर सके. हालांकि इस मामले के तीन पहलू ऐसे भी हैं, जो सुशांत की मौत की थ्योरी को सुसाइड की तरफ ले जाते हैं. आइए आपको बतातें है वो तीन बातें जो इस केस की सुसाइड थ्योरी को सही बताती हैं.
मजबूत था फांसी का फंदा बनाने वाला कपड़ा
14 जून को उस कमरे में दाखिल होने वाले चश्मदीदों के मुताबित मौका-ए-वारदात पर सुशांत की लाश एक हरे रंग के कपड़े के फंदे पर लटकी हुई थी. लाश पंखे से सीधे ना लटकर बेड के साइड में लटकी हुई थी. तफ्तीश के दौरान पता चला है कि जिस कपड़े का फंदा बनाकर सुशांत ने आत्महत्या की, वो कपड़ा दो सौ किलो तक वजन आराम से उठा सकता है. लिहाजा ये बात तो पुख्ता मानी जा रही है कि उस कपड़े का फंदा बनाकर ही सुशांत ने अपने गले में डाला था. और चूंकि बेड पर खड़े होकर सुशांत और पंखे के बीच का फासला केवल एक इंच का था, लिहाजा वो गले में फंदा डालकर बेड के साइड वाली खाली जगह की ओर लटक गए थे.
उस कमरे में मुश्किल नहीं था सुसाइड
अब जरा उस कमरे में पड़े बेड और हालात पर गौर करें. मौका-ए-वारदात वाले कमरे में लगे छत के पंखे और वहां पड़े बेड के बीच का कुल फासला 5 फीट 11 इंच था. जबकि सुशांत की हाइट 5 फीट 10 इंच थी. यानी बेड पर खड़े होने के बाद सुशांत और पंखे के बीच सिर्फ 1 इंच का फर्क रह जाता है. जब कमरे का दरवाजा खुला तो सुशांत की लाश बेड के दूसरी तरफ यानी बेड के किनारे हवा में झूल रही थी. यानी सुशांत की लाश न तो बेड पर थी और ना ही उसके पैर बेड की तरफ थे. बेड के दूसरी तरफ जहां सुशांत की लाश झूल रही थी, वहां से पंखे की दूरी और ऊंचाई 8 फीट 1 इंच थी. कुल मिलाकर वो दूरी और हालात इस तरफ इशारा करते हैं कि वहां पंखे से लटकर खुदकुशी करना मुश्किल नहीं था.
सुशांत के गले पर थे हरे कपड़े के रेशे
पुलिस ने जब सुशांत सिंह राजपूत की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और फोरेंसिक टीम ने भी लाश की जांच की तो पाया कि उसके जिस्म पर चोट का एक भी निशान नहीं था. ना ही किसी तरह की खरोंच के निशान उसके शरीर पर थे. अगर कमरे में उसके साथ हाथापाई हुई होती, तो ऐसे निशान जरूर मिलते. सुशांत के दोनों हाथों की उंगलियों के सारे नाखून भी बिल्कुल साफ थे. अगर कोई झगड़ा या हाथापाई हुई होती, तो नाखून अपने अंदर कुछ सबूत जरूर छुपा लेते. पोस्टमार्टम के बाद फोरेंसिक टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सुशांत के गले पर जो निशान थे, वो उसी फंदे के थे, जो हरे रंग के एक कपड़े से बनाया गया था. जिससे ये साफ हो जाता है कि सुशांत ने उसे फंदे से लटकर ही जान दी है.
उन तमाम चीजें की जांच भी की जा रही है, जो आखिरी वक्त में उनके साथ थीं. बकौल मुंबई पुलिस उसने इन तमाम चीजों की फोरेंसिक जांच कराई है. मगर चूंकि सुशांत के घरवालों को मुंबई पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं था. घरवालों की गुहार पर यह केस सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा है. अब सीबीआई की एसआईटी इस मामले का हर पहलू खंगालने की कोशिश कर रही है.