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मुंबई हमलाः जानिए, हाफिज को नज़रबंद किए जाने का पूरा सच

26/11 के मुंबई हमले का जिम्मेदार आतंकी हाफिज सईद हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है. सैकड़ों बेगुनाहों के क़त्ल का जिम्मेदार है वो. यूनाइटेड नेशंस की तरफ़ से उसके सिर पर 10 मिलियन यूएस डॉलर का इनाम घोषित है. उसके सितारे इस साल की शुरूआत में अचानक गर्दिश में आ गए थे, जब पाकिस्तानी सरकार ने 30 जनवरी को उसे अचानक नज़रबंद कर दिया था.

हाफिज को नजरबंद किया जाना केवल एक दिखावा मात्र था हाफिज को नजरबंद किया जाना केवल एक दिखावा मात्र था
परवेज़ सागर/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:26 PM IST

26/11 के मुंबई हमले का जिम्मेदार आतंकी हाफिज सईद हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है. सैकड़ों बेगुनाहों के क़त्ल का जिम्मेदार है वो. यूनाइटेड नेशंस की तरफ़ से उसके सिर पर 10 मिलियन यूएस डॉलर का इनाम घोषित है. उसके सितारे इस साल की शुरूआत में अचानक गर्दिश में आ गए थे, जब पाकिस्तानी सरकार ने 30 जनवरी को उसे अचानक नज़रबंद कर दिया था. पाक सरकार का ये कदम तब सचमुच चौंकाने वाला था, क्योंकि जो पाकिस्तान अब तक हाफ़िज़ सईद के खिलाफ़ अनगिनत सुबूतों की अनदेखी करता रहा आख़िर उसने हाफ़िज़ सईद को अचानक नज़रबंद क्यों कर दिया था? तो इसकी भी एक कहानी थी.

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बेगुनाहों का कातिल

हाफिज के हाथ सैकड़ों बेगुनाहों के ख़ून से रंगे हैं. वो हमेशा दहशतगर्दी की ज़ुबान बोलता है. उसके सिर पर है 10 मिलियन यूएस डॉलर का इनाम है, क्योंकि वो है 'इंटरनेशनली डेज़िग्नेटेड टेररिस्ट'. अब वो केवल भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे ताकतवर देश का भी मोस्टवॉन्टेड आतंकी है.

रंग बदलता हाफिज

हाफ़िज़ सईद की ज़िंदगी में इस साल जनवरी तक तो सब कुछ ठीक चल रहा था. वो कभी बेगुनाहों का ख़ून बहा कर चुप-चाप बिल में जा घुसता तो कभी जेहाद के नाम पर कश्मीर के अलगाववादियों को भड़काने की कोशिश करता. कभी हिंदुस्तान और अमेरिका को अपना दुश्मन बता कर खुद का रुतबा बढ़ाता और कभी अपने ही मुल्क के हुक्मरानों की खुल कर मज़्जमत भी करता.

निजाम बदलने पर हुई थी कार्रवाई

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लेकिन तभी तारीख़ बदली. निज़ाम बदला और इसी के साथ हाफ़िज़ सईद की तक़दीर भी बदल गई. शायद तभी, जो हाफ़िज़ सईद कल तक अपने सिर पर दस मिलियन यूएस डॉलर का इनाम लेकर भी पाकिस्तान में छुट्टा घूम रहा था. उसे रातों-रात अपने ही बाड़े में नज़रबंद होना पड़ गया. पहले सरकार ने मोस्ट अर्जेंट के टैग लाइन के साथ उस पर शिकंजा कसने का फरमान जारी किया और फिर अगले ही दिन पाकिस्तान की पुलिस लाहौर में उसके ठिकाने पर जा पहुंची वो भी उसे नज़रबंद करने के लिए. लेकिन कहते हैं न, चोर चोरी से जाए मगर सीनाज़ोरी से ना जाए. तो जाते-जाते भी हाफ़िज़ सईद एक बार फिर ज़हर उगल कर गया.

पाकिस्तान का ड्रामा

एक तो हाफ़िज़ को नज़रबंद किए जाने की ख़बरों के बीच उसकी बयानबाज़ी और ऊपर से पाकिस्तान की पुरानी फितरत. दुनिया में कम ही ऐसे लोग होंगे, जिन्हें वाकई हाफ़िज़ सईद के खिलाफ़ हुई ये कार्रवाई, उस वक्त भी असरदार कार्रवाई लगी होगी. बल्कि जानकारों की मानें तो उसे नज़रबंद करने की ये कवायद सिवाय पाकिस्तानी ड्रामे के और कुछ भी नहीं था. वरना हाफ़िज़ सईद के खिलाफ़ अकेले हिंदुस्तान ने ही पाकिस्तान को इतने सबूत सौंपे हुए है कि अगर एक बार भी पाकिस्तान ने उन्हें संजीदगी से लिया होता, तो हाफ़िज़ की बाकी की उम्र सलाखों के पीछे ही निकल जाती.

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हाफिज की नजरबंदी केवल दिखावा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पहले ही दिन से आतंकवाद के खिलाफ़ सख्ती से पेश आने की बात कहते रहे हैं. आतंकवाद के मसले पर नरेंद्र मोदी और ट्रंप एक-दूसरे के साथ खड़े नज़र आए थे. इसी के बाद पाकिस्तान पर दबाव बना. जानकारों की मानें तो यही वजह थी जिससे घबरा कर पाकिस्तान ने हाफिज सईद को इस साल के शुरू में नज़रबंद कर दिया था. लेकिन दस महीने बाद अब उसकी रिहाई ने ये साबित कर दिय़ा है कि तब की वो कार्रवाई बस हवा हवाई ही थी.

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