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मुम्बई: बच्ची को पोर्न दिखाने के मामले में अरबी टीचर दोषी करार, हुई एक साल जेल

मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत एक 30 वर्षीय टीचर को नाबालिग को पॉर्न दिखाने और मास्टरेबट करने के आरोप में एक साल की जेल की सजा सुनाई है.

अरबी टीचर ने बच्ची को अश्लील कंटेंट दिखाया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर) अरबी टीचर ने बच्ची को अश्लील कंटेंट दिखाया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
विद्या
  • मुंबई ,
  • 25 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 9:59 AM IST
  • आरोपी ने लगाया था फीस ना चुकाने का फर्जी आरोप
  • बच्ची ने घर आकर खोली थी टीचर की पोल

मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत एक 30 वर्षीय टीचर को नाबालिग को पॉर्न दिखाने और मास्टरबेट करने के आरोप में एक साल की जेल की सजा सुनाई है. अरबी टीचर ने 30 अगस्त 2016 को बच्ची को अश्लील कंटेंट दिखाया था, उस समय बच्ची की उम्र पांच साल थी. बच्ची अरबी सीख रही थी. उसके चाचा ने उसे पास की एक मस्जिद में शाम 5:30 छोड़कर आए थे.

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शाम को सात बजे बच्ची के पिता उसे घर लेकर आए तो उसकी मां ने उससे पूछा कि आज उसने क्या क्या सीखा? बच्ची ने जो बताया उससे मां के होश उड़ गए. बच्ची ने अपनी मां को बताया कि टीचर ने उसको अश्लील तस्वीरें दिखाईं और वह 'कुछ करने' के बाद अपना प्राइवेट पार्ट साफ कर थे.

इसके बाद बच्ची की मां ने उसके पिता को इस बात की जानकारी दी और अगले दिन चेंबूर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराया गया. इसके बाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए टीचर को गिरफ्तार किया था और उसका फोन भी सीज कर दिया था. चार्जशीट दाखिल होने के बाद शख्स ने खुद को निर्दोष बताया था और कहा था कि बच्ची के माता-पिता फीस नहीं भर पा रहे इसलिए उसे फंसाया जा रहा है. उसने यह भी आरोप लगाया कि बच्ची केे माता पिता चाहते हैं कि बच्ची को अगली क्लास में प्रमोट कर दिया जाए. बच्ची की मां ने आरोप को झूठा बताया था और कहा था कि समर वैकेशन के दौरान फीस ना भरने को लेकर आरोपी और जमात से उसके पति और देवर की बहस हुई थी.

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कोर्ट में बच्ची ने बताया कि घटना के समय उसकी बेंच के आगे एक और छात्र बैठा था. आरोपी ने उससे गलत काम करने के लिए कहा था. स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर गीता शर्मा ने कोर्ट से कहा कि बच्ची को जो कंटेंट दिखाया गया वो अश्लील था. आरोपी वाजिब कारण नहीं बताया है कि बच्ची के माता पिता उसे क्यों फंसाएंगे. सिर्फ फीस के लिए वो ऐसा नहीं करेंगे.

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इसके बाद जज भारती काले ने कहा कि इसके कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि पीड़ित पक्ष ने फीस जमा नहीं की है. जमात ने बच्ची की मां से फीस भरने का दबाव भी नहीं डाला. फीस के लिए कोई मां अपनी बच्ची का भविष्य दाव पर नहीं लगाएगी. जज ने कहा कि ऐसी घटनाएं बच्चियों की पढ़ाई पर असर डालती हैं. इसके बाद जज ने अरबी टीचर को एक साल की जेल और दस हजार का जुर्माना भरने की सजा सुनाई. 10 हजार जुर्माने की रकम में से 8 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर पीड़ित पक्ष को देने का आदेश दिया गया.

 

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