
हमारे देश में पुलिस (Police) कानून व्यवस्था (Law and Order) बनाए रखने का काम करती आ रही है. जब कोई व्यक्ति किसी आपराधिक घटना (criminal incident) का शिकार होता है, तो वह पुलिस (Police) के पास शिकायत (Complaint) दर्ज कराने जाता है. पुलिस मामले की गंभीरता को परखने (test) और समझने (understand) के बाद दो तरह से केस दर्ज करती है. जिसमें से एक होती है एफआईआर (FIR) और दूसरी होती है एनसीआर NCR. तो आज हम जानेंगे कि आखिर ये एनसीआर (NCR) क्या होती है?
क्या होती है NCR
हमारे देश की पुलिस प्रणाली (police system) में पुलिस थाने (Police Station) बहुत अहम होते हैं. हर राज्य (State) के जिलों (districts) में कई थाने होते हैं. थानों में शिकायत करने की एक अलग प्रक्रिया है. इसी प्रक्रिया में नाम आता है 'एनसीआर' का. यह अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट (non cognizable report) होती है. हिंदी में इसका अर्थ होता है 'गैर-संज्ञेय अपराध सूचना.'
एनसीआर का मतलब
असंज्ञेय अपराध (non cognizable offense) का मतलब होता है, ऐसे अपराध (Crime) जिनमें किसी के साथ हुए मामूली झगड़े (minor fights), गाली-गलौच (abuse) या कोई दस्तावेज (Document) आदि खो जाने की शिकायत (Complaint) दर्ज कराई जाती है. शांति भंग (disturb the peace) करने के मामले भी इस गैर संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं.
इस प्रकार के अपराध (Crime) होने पर पीड़ित व्यक्ति (victim) पुलिस स्टेशन (Police Station) में शिकायत दर्ज कराने जाता है तो वहां पुलिस ऐसे मामले को एफआईआर में दर्ज नहीं करती बल्कि इसके लिए एनसीआर (NCR) दर्ज कर ली जाती है.
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इसमें सबसे अहम बात ये होती है कि एफआईआर (FIR) कोर्ट में पेश की जाती है, लेकिन एनसीआर (NCR) सिर्फ और सिर्फ पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड तक ही सीमित रहती है.
दरअसल, ये इसलिए होता है कि किसी के साथ मामूली झगड़े या शांति भंग करने के मामले की जानकारी पुलिस को मिल जाए और उसे आरोपी को चेतावनी भी मिल जाए. यानी पुलिस के संज्ञान में आ जाए. ऐसे मामलों में अगर आरोपी दोबारा उसी तरह से मारपीट या लड़ाई करते हैं तो पुलिस एनसीआर के बजाय एफआईआर दर्ज कर जेल भी भेज देती है.
पुलिस द्वारा FIR दर्ज करने के बाद उन्हें तमाम कानूनी शक्तियां मिल जाती है, जिससे पुलिस बिना वॉरंट के गिरफ्तार कर सकती है, जबकि NCR दर्ज करने के बाद पुलिस को गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता है.
आपको बता दें कि असंज्ञेय अपराध के मामलों में किसी के साथ धोखा-धड़ी, पॉकेट कट जाना, मोबाइल चोरी हो जाना, दस्तावेज चोरी होना, मामूली झगड़ा या मारपीट होना आदि जैसे मामले आते हैं. इन सभी में पीड़ित व्यक्ति की शिकायत पर पुलिस एनसीआर ही दर्ज करती है. क्योंकि पुलिस इन्हें मामूली अपराध मानती है, इसी के लिए एनसीआर का नियम बनाया गया है.