
दिल्ली दंगों का एक साल पूरा हो गया है. 23 फरवरी 2020 को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगा भड़क उठा था. जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी. इस दंगे को लेकर दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग 755 एफआईआर दर्ज की थीं. जिनमें से 400 मामलों को पुलिस ने सुलझा लिया है. 349 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है. 102 सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल की गई हैं. 303 मामलों की चार्जशीट पर अदालत ने संज्ञान लिया है.
दिल्ली दंगों में शामिल कुल 1825 लोग गिरफ्तार किए गए. जिनमें 869 हिन्दू समुदाय के हैं. बाकि 956 मुस्लिम समुदाय के. इन सभी पर दंगों में शामिल होने का आरोप है. दरअसल, 23 फरवरी 2020 को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगों की शुरुआत हुई थी, जो 53 लोगों की मौत के बाद 25 फरवरी को जाकर थमे थे. इन दंगों में पब्लिक और प्राइवेट प्रॉपर्टी का काफी नुकसान हुआ था.
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली जिले के जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन के इलाकों में 23 फरवरी के बाद दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक दंगों के पीछे बड़ी साजिश थी. दंगों के मास्टरमाइंड जानते थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान दंगों पर इंटरनेशनल मीडिया का ध्यान जाएगा और इससे दुनियाभर में भारत की बदनामी होगी. अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत विजिट के दौरान चक्का जाम का प्लान बनाया गया था. वो भी ऐसे इलाकों में जो कम्यूनल तौर पर बेहद संवेदनशील इलाके थे.
दंगों में दिल्ली पुलिस ने 11 पुलिस थाना इलाकों में कुल 755 एफआईआर दर्ज की थीं. दिल्ली में ये अब तक सबसे ज्यादा एफआईआर दर्ज करने का पहला मामला था. यहां तक कि 1984 के दंगों में भी इतनी एफआईआर दर्ज नहीं की गईं थी. 755 मामलों की जांच के लिए क्राइम ब्रांच के अंडर में 3 अलग-अलग एसआईटी टीम गठित की गई थीं.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक दंगों की जांच के लिए 945 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज समेत हजारों की तादाद में दंगे के वीडियो वैज्ञानिक तरीकों से जांचे गए. इसके बाद आधुनिक तकनीक की मदद से आरोपियों की पहचान की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया. दिल्ली पुलिस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी के जरिये सीसीटीवी कैमरों में कैद दंगाइयों की पहचान की थी.
दंगे के बाद क्लेम कमिश्नर अपॉइंट किया गया. रिटायर जस्टिस एस.एन गौड़ को क्लेम कमिश्नर बनाया गया. दंगों में हुए प्रॉपर्टी के नुकसान की भरपाई के लिए अब तक 2000 क्लेम एप्लिकेशन मिल चुकी हैं. जबकि दंगा पीड़ितों को अब तक 26 करोड़ रुपये का मुआवजा दिल्ली सरकार दे चुकी है.