Advertisement

भारत ने ऐसे साबित की बेगुनाही, अब जल्द कतर से स्वदेश लौटेंगे ओनिबा-शरीक

आजतक की मुहिम आखिरकार रंग लाई. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रधानमंत्री दफ्तर, विदेश मंत्रालय और कतर में भारतीय दूतावास की मेहनत का नतीजा आखिरकार सामने आ ही गया. जी हां, पिछले करीब दो साल से कतर की जेल में बंद मुंबई की ओनिबा और शरीक को ऐन होली और शबे बरात के दिन कतर की अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया.

ओनिबा और शरीक को क़तर की अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया है. ओनिबा और शरीक को क़तर की अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया है.
शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST
  • ड्रग्स तस्करी के आरोप में पकड़े गए थे ओनिबा-शरीक
  • NCB और पीएमओ ने की भारतीय कपल की मदद
  • भारतीय दूतावास ने कतर की कोर्ट को दिए सबूत

नीरव मोदी, विजय माल्या, दाऊद इब्राहिम और ना जाने ऐसे ही कितने अंडरवर्ल्ड डॉन, गैंगस्टर, चोर, लुटेरे, भगोड़े हैं, जो विदेशों में छुपे हैं. जिन्हें विदेश से भारत लाने के लिए सरकार और एजेंसियां हमेशा कोशिशें करती रही हैं. लेकिन शायद ये पहला मौका है, जब विदेश की जेल में बंद एक बेगुनाह हिंदुस्तानी जोड़े को बाइज्जत भारत लाने के लिए सरकार और एजेंसियों ने पूरी ताकत लगा दी और एक शानदार मिसाल पेश की. 

Advertisement

आजतक की मुहिम आखिरकार रंग लाई. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रधानमंत्री दफ्तर, विदेश मंत्रालय और कतर में भारतीय दूतावास की मेहनत का नतीजा आखिरकार सामने आ ही गया. जी हां, पिछले करीब दो साल से कतर की जेल में बंद मुंबई की ओनिबा और शरीक को ऐन होली और शबे बरात के दिन कतर की अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया. अब ओनिबा और शरीक कभी भी भारत भेज दिए जाएंगे. बहुत मुमकिन है कि वो अगले हफ्ते अपने घर में होंगे.

पुलिस, एनसीबी और दूसरी तमाम सरकार एजेंसियों पर वक्त बे वक्त ये इल्ज़ाम लगते रहे हैं कि कैसे उन्होंने किसी बेगुनाह को झूठे मुकदमे में फंसा कर उसे पकड़ लिया. लेकिन यहां कहानी ना सिर्फ़ उल्टी है, बल्कि दिल को छू लेनेवाली है. कतर की अदालत ने जिस हिंदुस्तानी जोड़े यानी ओनिबा और शरीक को ड्रग्स के साथ गिरफ्तार कर दस साल की सज़ा सुना दी. उस ओनिबा और शरीक की बेगुनाही के सबूत क़तर से दूर हिंदुस्तान में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने जुटाए. फिर इन सबूतों को प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय की मदद से कतर में भारतीय दूतावास भेजा गया. दूतावास के ज़रिए कतर के अधिकारियों तक पहुंचाया गया. नतीजा सामने है. ओनिबा और शरीक अब आज़ाद होने जा रहे हैं. इनकी आजादी की इसी मुहिम का हिस्सा आजतक भी बना. 

Advertisement

दरअसल, इस पूरे मामले में क़तर की अथोरिटी या अदालत भी गलत नहीं थी. छह जुलाई 2019 को कतर के हम्माद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ओनिबा और शरीक के बैग से चार किलो चरस मिला था. यानी ओनिबा और शरीक चरस के साथ एयरपोर्ट पर रंगे हाथों पकड़े गए थे. इन दोनों ने ये भी कबूल किया था कि जिस बैग में चरस रखा है, वो बैग इन्हीं का है. मगर साथ ही ये भी यकीन दिलाने की कोशिश की कि उन्हें नहीं मालूम ये चरस बैग में कहां से आया. 

चूंकि चरस के साथ दोनों रंगे हाथ पकड़े गए, लिहाज़ा दोनों के केस कमज़ोर थे. 2019 में ही कतर की एक अदालत ने दोनों को दस साल क़ैद की सज़ा सुना दी. ओनिबा ने कतर की जेल में ही एक बेटी को जन्म दिया. लगा इन दोनों की ज़िंदगी अब अगले दस सालों तक जेल में ही कटेगी. लेकिन कतर से दूर मुंबई में बैठे ओनिबा और शरीक के मां-बाप को अपने बच्चों की बेगुनाही का यकीन था. लिहाज़ा वो पहले मुंबई पुलिस के पास गए और फिर नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के.

उम्मीदें दम तोड़ रही थी. रास्ता सूझ नहीं रहा था. और तभी ऐसे में शरीक के मोबाइल ने वो उगल दिया जिसने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो  को भी ये मानने पर मजबूर कर दिया कि ओनिबा और शरीक बेक़सूर हैं. दरअसल, शरीक के मोबाइल में इस पूरी कहानी और साज़िश की विलेन यानी शरीक की सगी बुआ तबस्सुम की वो आवाज़ क़ैद थी, जो ये बता रही थी कि कैसे उसने पान के जर्दा के नाम पर शरीक के बैग में चरस रख दिया था. इस सबूत के हाथ लगते ही एनसीबी ने चंडीगढ़ में एक छापा मारा और यहां से ओनिबा और शरीक की बेगुनाही के और भी सबूत हाथ लगते गए.

Advertisement

कहानी अब साफ़ हो चुकी ती. दरअसल हनीमून पैकेज के नाम पर शरीक की अपनी ही बुआ ने शरीक और ओनिबा के बैग में चरस रखा और इन्हें कतर भेज दिया, जहां दोनों रंगे हाथ पकड़े गए. पर मामला विदेश का था, हिंदुस्तान के दायरे से बाहर. चरस के असली गुनहगार हिंदुस्तान में एनसीबी के कब्ज़े में थे. जबकि ओनिबा और शरीक हिंदुस्तान से दूर क़तर की जेल में. तब एनसीबी ने एक फैसला किया. फैसला ये कि इस बेगुनाह हिंदुस्तानी जोड़े को हिंदुस्तान वापस लाना है. भले ही इसके लिए असली गुनहगार को कतर को क्यों ना सौंपना पड़े. 

इसी के बाद एनसीबी के डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने पहले पीएमओ से संपर्क किया. पीएमओ से हरी झंडी मिलने के बाद विदेश मंत्रालय से बात की. फिर विदेश मंत्रालय के ज़रिए ओनिबा और शरीक की बेगुनाही के तमाम सबूत और दस्तावेज़ जिनमें फ़ोन कॉल असली गुनहगारों के बयान और टेक्निकल एविडेंस शामिल थे, उन्हें क़तर में भारतीय दूतावास के ज़रिए क़तर के अधिकारियों तक पहुंचाया. इन दस्तावेज़ों पर क़तर की ऊपरी अदालत में बाक़ायदा सुनवाई हुई.
 
इसके बाद इसी साल ग्यारह जनवरी को क़तर की ऊपरी अदालत ने नए सबूतों की रौशनी में निचली अदालत को फिर से मामले की सुनवाई का हुक्म दिया. ये वही निचली अदालत थी, जिसने ओनिबा और शरीक को दस साल की सज़ा सुनाई थी. ऊपरी अदालत के आदेश के बाद निचली अदालत ने 29 मार्च यानी होली और शबे-बारात के दिन अपना फ़ैसला सुनाया. फैसला ये कि ओनिबा और शरीक बेगुनाह हैं. लिहाज़ा उन्हें बरी किया जाता है. बहुत मुमकिन है कि इस हफ्ते के आखिर में या अगले हफ्ते ओनिबा और शरीक अपने घर में होंगे. उन दोनों के परिवार वाले इस ख़बर से बेहद खुश हैं. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement