
संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले सभी आरोपियों से पुलिस हिरासत में पूछताछ की जा रही है. सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयाल की अध्यक्षता में बनी कमेटी की देखरेख में दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट इस मामले की जांच में लगी हुई है. इसी सिलसिले में यूनिट की एक स्पेशल टीम लखनऊ स्थित संसद में कलर स्प्रे करने के आरोपी सागर शर्मा के घर पहुंची है. वहां उसके परिजनों से पूछताछ की जा रही है. सागर जिस जूते में स्प्रे छुपाकर संसद परिसर में लाया था, उसे लखनऊ के आलमबाग के सडाना फुट वियर से खरीदा गया था. बताया जा रहा है कि जूते लांसर कंपनी के थे, जिनकी कीमत 600 रुपए है. इससे पहले पुलिस ने सभी आरोपियों के जले हुए मोबाइल राजस्थान के नागौर से बरामद कर लिए थे.
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने आरोपी सागर शर्मा के घर पहुंचकर उसके माता-पिता और बहन से पूछताछ की है. इस दौरान उनके घर का दरवाजा अंदर से बंद रहा. सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पुलिस ने वीडियो कॉल करके सागर से उसके परिजनों की बात कराई है. पूछताछ के दौरान दिल्ली पुलिस के जवान सादे कपड़े में घर के बाहर मौजूद रहे. एक पुलिसकर्मी ने बताया कि सागर ने आलमबाग के सडाना फूट वियर से जूते खरीदे थे. उधर दुकानदार दीपक सडाना का कहना है कि उनके दुकान पर सैकड़ों लोग आते हैं. उनको हर किसी का चेहरा याद नहीं रहता.
दीपक सडाना का कहना है कि हो सकता है कि सागर भी आया हो. उनसे पूछताछ के लिए पुलिसवाले आए थे. वो लोग वीडियो कॉल के जरिए सागर से जुड़े हुए थे. इस दौरान उन्होंने सागर को कई जूते दिखाएं तो उसमें से एक जूते को उसने पहचाना. यह जूता लांसर कंपनी का है, जिसकी कीमत 600 रुपए है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम दुकान में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालने के लिए अपने साथ डीवीआर ले गई है. दुकानदार ने कहा, ''इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है. बड़ी संख्या में लोग उसके वहां खरीददारी करने आते थे. ऐसे में किसी एक व्यक्ति की पहचान करना मुश्किल है.''
दिल्ली पुलिस का दावा है कि आरोपियों को पहले से पता था कि साधारण जूतों में कलर स्प्रे ले जाना संभव नहीं है. ऐसे में उन्होंने लखनऊ में स्पेशल जूते बनवाने का प्लान बनाया था. इसकी जिम्मेदारी सागर को सौंपी की गई थी. उसके द्वारा बनवाए गए जूतों में स्प्रे छुपाकर आरोपी संसद में पहुंचे थे. खास बनावट के जूते होने की वजह से उसके बारे में सुरक्षाकर्मियों को पता नहीं चल पाया और वे चकमा देने में कामयाब रहे. सागर और मनोरंजन संसद की वेल में कूदने के बाद हंगामा करने लगा. सांसदों ने जब घेराबंदी करके उनको पकड़ने की कोशिश की तो जूते से कलर स्प्रे निकालर हवा में उड़ा दिया.
सागर शर्मा के घर से मिली है एक सीक्रेट डायरी
इस सनसनीखेज कांड की बिखरी कड़ियों के सिरों को पकड़कर लखनऊ पहुंची दिल्ली पुलिस को सागर शर्मा के घर से एक सीक्रेट डायरी मिली. पुलिस को यकीन है कि वो डायरी कई रहस्यों को खोल सकती है. साजिश के उलझे हुए तारों को सुलझा भी सकती है. सागर की डायरी के पन्नों को गौर से देखने पर पता चला कि उसके दिल की गहराई में कैसे कैसे अरमान करवटें ले रहे थे. एक पन्ने पर लिखा था, ''घर से विदा लेने का समय आ गया है. एक तरफ डर भी है और दूसरी तरफ कुछ भी कर गुजरने की आग भी दहक रही है.' सने जो बात डायरी में बड़ी ही इमानदारी से लिखी वो अपने डर की बात है.
सीक्रेट डायरी में सागर शर्मा ने लिखा है, "काश मैं अपनी स्थिति माता पिता को समझा सकता. मगर ऐसा नहीं है कि मेरे लिए संघर्ष की राह चुनना आसान रहा. हर पल उम्मीद लगाई है.'' पुलिस के लिए उस डायरी में लिखी इबारत का एक एक हिस्सा साजिश की बिखरी हुई कड़ियों को जोड़ने में मददगार हो सकता है. एक जगह लिखा है, "5 साल मैंने प्रतीक्षा की है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब मैं अपने कर्तव्य की ओर बढ़ूंगा. दुनिया में ताकतवर व्यक्ति वह नहीं जो छीनना जानते हैं, ताकतवर व्यक्ति वह है, जो सुख त्यागने की क्षमता रखता है.'' उसकी लिखी बातों से ही उसके हिंसक विचारों का पता चलता है.
लखनऊ में किराए पर रहता है सागर का परिवार
संसद भवन की सुरक्षा चक्र तोड़ने के आरोपी सागर शर्मा का परिवार लखनऊ के आलमबाग में किराए के घर में रहता है. गिरफ्तारी से पहले वो बैटरी रिक्शा चलाता था. उसके पिता कारपेंटर का काम करते हैं. उनका परिवार पिछले 15 वर्षों से लखनऊ में रह रहा है. उसकी मां का कहना है कि उनका बेटा धरना प्रदर्शन करने की बात कहकर दिल्ली गया था. हालांकि, उसने अपनी योजना के बारे में परिजनों को नहीं बताया था. दिल्ली जाकर मैसूर से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के गेस्ट के रूप में पास लेकर दर्शक दीर्घा तक पहुंचा था. अब पुलिस उसकी पूरी कुंडली खंगाल रही है. उसके चार बैंक अकाउंट के बारे में पता चला है.
बंगलुरु से लौटकर ई-रिक्शा चलाने लगा सागर
सागर शर्मा की बहन पायल ने बताया था, ''मैंने अपने भाई को अपनी मां से यह कहते हुए सुना कि वह कुछ दिन पहले एक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए दिल्ली जा रहा है. भाई ई-रिक्शा चलाता था. वह पहले बंगलुरु में काम करता था. सागर के मामा प्रदीप शर्मा ने कहा था, ''मुझे कुछ नहीं पता. इससे पहले ऐसा कभी कुछ हुआ नहीं. कोई कुछ बता नहीं सकता.'' मानक नगर के थानाध्यक्ष शिव मंगल सिंह ने कहा था, ''सागर अपने माता-पिता और बहन के साथ रामनगर इलाके में किराए के मकान में रहता है. उसके पिता रोशन लाल बढ़ई का काम करते हैं. वो खुद ई-रिक्शा चलाता है. परिवार एक दशक से अधिक समय से रह रहा है.''
एक सोशल मीडिया ग्रुप और सात किरदार
सागर शर्मा, मनोरंजन डी, नीलम आजाद, अमोल शिंदे, ललित झा और विक्की...ये वो नाम हैं जिन्होंने संसद को धुआं-धुआं करके रख दिया. संसद की तमाम चाक चौबंद सुरक्षा को हवा में गुब्बारे की तरह उड़ाकर रख दिया. नीचे से लेकर ऊपर तक सभी को हिलाकर रख दिया. अब ये तमाम आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है. इन सभी से पूछताछ चल रही है. बड़ी बात ये है जो नाम संसद कांड में सामने आए हैं, वो सभी अलग अलग राज्यों के हैं. पहला आरोपी सागर शर्मा लखनऊ का रहने वाला है. परिवार के मुताबिक बैटरी रिक्शा चलाता है. 12वीं पास है. पिता कारपेंटर हैं. दूसरा आरोपी मनोरंजन पेशे से इंजीनियर है. कर्नाटक के मैसूर का रहने वाला है.
ललित झा है इस कांड का 'मास्टरमाइंड'
तीसरी आरोपी नीलम हरियाणा के जींद की रहने वाली है. हिसार में सिविल सर्विसेज़ की तैयारी कर रही थी. उसने 6 डिग्रियां ले रखी हैं. चौथा आरोपी अमोल शिंदे महाराष्ट्र के लातूर का है. उसने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है. पुलिस और सेना की भर्ती के लिए तैयारी कर चुका है. पांचवां आरोपी विक्की गुरुग्राम का रहने वाला है. घटना को अंजाम देने से पहले सागर, मनोरंजन, अमोल, नीलम उसके घर रुके थे. छठा आरोपी ललित झा इस पूरे कांड का 'मास्टरमाइंड' बताया जा रहा है. सातवां आरोपी महेश राजस्थान के नागौर जिले का रहने वाला है. घटना के बाद दोनों एक साथ फरार हुए थे. इसके बाद राजस्थान में छिप गए थे.
एंटी टेरर यूनिट कर रही है कांड की जांच
13 नवंबर को संसदा का शीतकालीन सत्र चल रहा था. इसी दौरान सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक गैलरी से लोकसभा में कूद गए. उन्होंने वहां पीला धुआं फैला दिया और नारे भी लगाए. इसी दौरान सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया. लगभग उसी समय, दो अन्य लोग अमोल शिंदे और नीलम देवी ने संसद परिसर के बाहर "तानाशाही नहीं चलेगी" चिल्लाते हुए भी पीला धुआं छोड़ा. इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस की पूछताछ पता चला कि आरोपी सरकार को अपनी मांगें पूरी करने के लिए मजबूर करने के लिए देश में "अराजकता पैदा करना चाहते थे". इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट कर रही है.
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सीआरपीएफ डीजी की निगरानी में जांच
गृहमंत्रालय ने सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयाल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है, जिसकी निगरानी में जांच हो रही है. इस कमेटी में कई एक्सपर्ट शामिल हैं. सीआरपीएफ के पास संसद के बाहरी लेयर की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है. सीआरपीएफ जवान संसद परिसर में मौजूद रहते हैं. संसद की सुरक्षा से जुड़ी हर योजना को बनाने में उनकी भूमिका अहम होती है. यही वजह है कि इस कमेटी का प्रमुख सीआरपीएफ के डीजी बनाया गया है. वैसे भी अनीश दयाल लंबे वक्त तक आईबी में तैनात रहे हैं. इस जांच में उनका अनुभव भी काम आ रहा है. दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट इस कमेटी के निर्देशन में ही अपनी जांच कर रही है.
हंगामे के बाद होगा सिक्योरिटी रिव्यू
सूत्रों के मुताबिक, ऑल पार्टी फ्लोर लीडर्स की मीटिंग में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसे बहुत गंभीर मामला बताया है. उन्होंने गृह मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेटरी को पत्र भी लिखा है. नई संसद भवन के सिक्योरिटी सिस्टम का नए सिरे से रिव्यू किया जाएगा. बताया जा रहा है कि एंट्री गेट पर अब फुल बॉडी स्कैनर लगाने की व्यवस्था की जाएगी. इसके साथ ही नई संसद में अलग-अलग गेट से एंट्री की व्यवस्था की जाएगी. हालांकि, पहले भी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद ही थी. संसद भवन में तीन लेयर की सुरक्षा होती है. इसमें संसद परिसर की सुरक्षा सीआरपीएफ के पास रहती है. मुख्य भवन की सुरक्षा का जिम्मा जॉइंट सिक्योरिटी सेक्रेटरी के पास होता है.
तीन लेयर में है संसद की सुरक्षा व्यवस्था
इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में अपने डायरेक्टर सिक्योरिटी सिस्टम होते हैं. विजिटर पास के लिए लोकसभा सचिवालय के फॉर्म पर किसी सांसद का रिकमेंडेशन सिग्नेचर जरूरी होता है. इसके साथ ही विजिटर को पास के लिए आधार कार्ड ले लाना होता है. विजिटर जब रिसेप्शन पर पहुंचता है, तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड महिला और पुरुष को अलग-अलग फ्रिस्किंग करके जांच करते हैं. इसके बाद रिसेप्शन पर फोटो आईडी कार्ड बनता है. मोबाइल फोन को रिसेप्शन पर ही जमा कर लिया जाता है. इसके बाद विजिटर फोटो आइडेंटिटी कार्ड के साथ सिक्योरिटी कमांडो के जरिए गैलरी तक पहुंचता है. विजिटर गैलरी में ठहरने के लिए एक समयावधि होती है, जिसके बाद उसे बाहर कर दिया जाता है.