
केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके 8 सहयोगी संगठनों को 5 साल के लिए बैन कर दिया. सरकार ने ये कदम PFI के ठिकानों पर एनआईए समेत तमाम जांच एजेंसियों की ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद उठाया गया. एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस और एटीएस ने देशभर में पीएफआई के ठिकानों पर 22 सितंबर और 27 सितंबर को छापेमारी की थी. इस दौरान करीब 350 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. जांच एजेंसियों को छापे के दौरान PFI के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले थे. इसके आधार पर गृह मंत्रालय ने PFI पर बैन लगाने का फैसला किया.
NIA के रडार पर ऐसे आया PFI
पिछले कुछ सालों में देशभर में कई मामले में PFI का नाम सामने आया था. नागरिकता कानून को लेकर उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा हो या फिर दिल्ली के दंगे, इन सबका कनेक्शन पीएफआई से जुड़ा. इतना ही नहीं बिहार में फुलवारी शरीफ में गजवाएहिन्द स्थापित करने की साजिश में भी पीएफआई का नाम सामने आया था. आरोप लगाय था कि पीएफआई के कार्यकर्ताओं के निशाने पर पीएम मोदी की पटना में रैली थी. इसके बाद बिहार में कई जगहों पर छापेमारी भी हुई थी. कर्नाटक में भी बीजेपी नेता प्रवीण नेत्तरू हत्या में PFI कनेक्शन सामने आया था. इसके साथ ही तेलंगाना के निजामाबाद में कराटे ट्रेनिंग के नाम पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का भी आरोप PFI पर लगा. इनमें से कई मामलों में तो NIA जांच भी कर रही है.
22 सितंबर: देशभर में हुई छापेमारी
NIA, ईडी समेत राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने 22 सितंबर को देशभर में 15 राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस दौरान देशभर में पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों और लोगों के दफ्तरों, घरों समेत 93 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. अधिकारियों ने PFI के खिलाफ इसे अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया था.
जांच एजेंसियों ने केरल से पीएफआई चेयरमैन ओएमए सालम समेत 22 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसके अलावा महाराष्ट्र-कर्नाटक से 20-20, तमिलनाडु से 10, असम से 9, उत्तर प्रदेश से 8, आंध्र से 5, मध्यप्रदेश से 4, पुडुचेरी और दिल्ली से 3-3 लोगों को गिरफ्तार किया था. इतना ही नहीं जांच एजेंसियों ने इस दौरान कई अहम सबूत और दस्तावेज भी जब्त किए थे. जब देशभर में पीएफआई के खिलाफ छापेमारी हो रही थी, तब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में उनके आवास पर एनएसए, एनआईए डीजी समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों की मौजूदगी में बैठक हो रही थी.
27 सितंबर को फिर हुई रेड
PFI के ठिकानों पर 27 सितंबर को दूसरे राउंड की छापेमारी की गई थी. इस दौरान 7 राज्यों में छापे मारे गए थे. PFI से जुड़े 247 लोगों को हिरासत या गिरफ्तार किया गया. NIA से मिले इनपुट के आधार पर महाराष्ट्र, असम, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली, केरल, मध्यप्रदेश में राज्य की पुलिस और जांच एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इन दो राउंड की ताबड़तोड़ रेड के बाद PFI पर ये कार्रवाई की गई थी. इन कार्रवाई के बाद गृह मंत्रालय ने एनआईए, ईडी समेत सभी जांच एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी थी.
NIA-ED को मिले ये सबूत
इसके बाद एनआईए ने आरोपियों को कोर्ट में पेश करते हुए बताया था कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पीएफआई ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, इस्लामिक स्टेट (आईएस) और अल- कायदा सहित आतंकवादी संगठन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है. वहीं, ईडी ने कोर्ट को बताया था कि आरोपियों को पीएफआई के अन्य सदस्यों, हवाला, बैंकिंग चैनलों आदि के माध्यम से यह राशि मिली है. इस धन का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों और अपराधों को अंजान देने के लिया गया है. पीएफआई के पदाधिकारियों की साजिश के तहत सालों से विदेश से फंड ट्रांसफर गुप्त या अवैध चैनल के जरिए किया जा रहा था.
IS जैसे आतंकी संगठनों से लिंक
- गृह मंत्रालय के मुताबिक, जांच में पता चला है कि पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता रहे हैं और पीएफआई का संबंध जमात उल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश से भी रहा है. ये दोनों संगठन प्रतिबंधित संगठन हैं. पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समूहों जैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया के साथ अंतरराष्ट्रीय संपर्क के कई उदाहरण हैं. इतना ही नहीं मंत्रालय का कहना है कि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन चोरी छिपे देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं.