
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI एजेंसियों के रडार पर है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले दिनों PFI के सौ से अधिक ठिकानों पर रेड की थी. अब पीएफआई पर बैन की तलवार लटक रही है. अब पीएफआई पर बैन की तलवार लटक रही है. सूत्रों की मानें तो सरकार की ओर से आने वाले कुछ दिनों में बैन का ऐलान हो सकता है.
सूत्रों के मुताबिक 15 राज्यों में 106 जगह रेड और इस दौरान मिले सबूतों के बाद सरकार अब पीएफआई को बैन करने की तैयारी में है तो वहीं दूसरी तरफ एजेंसियां भी अलर्ट हैं. पीएफआई की हर गतिविधि पर एजेंसियों की नजर है. सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में पीएफआई पर बैन का ऐलान किया जा सकता है. कई राज्य सरकारें भी PFI को बैन करने की मांग कर चुकी हैं.
NIA, ED और राज्यों की पुलिस ने 22 सितंबर को कई जगह रेड कर PFI से जुड़े 106 लोगों को गिरफ्तार किया था. इससे पहले भी NIA ने PFI से जुड़े लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे. 22 सितंबर को देशभर में PFI के खिलाफ एक्शन में NIA ने UAPA के तहत 5 FIR दर्ज की हैं. एनआईए के इस एक्शन के बाद अब पीएफआई पर बैन का खतरा गहरा गया है.
क्यों लग सकता है बैन
ऐसे कई मामलों में PFI की भूमिका सामने आई थी जिनकी जांच NIA कर रही है. पटना-फुलवारी शरीफ में गजवा-ए-हिंद स्थापित करने के लिए बड़ी साजिश के मामले में भी PFI की भूमिका संदिग्ध होने की बात कही जा रही थी. NIA ने इस मामले में हाल ही रेड भी की थी. तेलंगाना के निजामाबाद में कराटे ट्रेनिंग के नाम पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग, कर्नाटक के प्रवीण नेत्तरू की हत्या के मामले में भी पीएफआई कनेक्शन सामने आया था.
हिजाब विवाद और हालिया प्रदर्शन के दौरान PFI की फंडिंग को लेकर भी जांच हुई थी. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में भी PFI से जुड़े आरोपियों के यहां से आपत्तिजनक सामग्री, साहित्य और सीडी मिले थे. इनको आधार बनाकर उत्तर प्रदेश सरकार ने PFI को बैन करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था. बताया जा रहा है कि PFI 15 राज्यों में सक्रिय है.