
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में एक ऐसे किरदार का नाम भी आया है, जिसका जिक्र महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड लैटर में भी किया है और आरोपी आनंद गिरि ने भी उनका नाम लिया है. उस किरदार का प्रयागराज कनेक्शन इस पूरे मामले में अहम माना जा रहा है.
महंत नरेंद्र गिरि केस में आए उस किरदार का नाम है आईपीएस केपी सिंह, जो इस वक्त प्रयागराज के आईजी हैं. उन पर महंत नरेंद्र गिरि और बाघम्बरी मठ के तमाम कर्ता-धर्ता और शिष्य भरोसा करते थे. वहीं इस मामले में आरोपी आनंद गिरि ने भी आईजी प्रयागराज केपी सिंह का नाम लेकर उसे फंसाने की साजिश का आरोप लगाया था. अब सवाल उठता है कि आखिर दोनों ही पक्षों की जुबान पर आईजी प्रयागराज केपी सिंह का ही नाम क्यों है?
केपी सिंह ने प्रयागराज में ही गुजारे 18 साल 6 महीने 14 दिन
इस मामले में एसएसपी या एडीजी जोन का नाम क्यों नहीं लिया गया? वजह जो भी हो लेकिन आईजी केपी सिंह का प्रयागराज से गहरा नाता है. अपनी नौकरी के कुल 31 सालों में 18 साल 6 महीने 14 दिन केपी सिंह ने प्रयागराज में ही गुजारे हैं. 1987 में पीपीएस से अपनी नौकरी की शुरुआत करने वाले केपी सिंह इलाहाबाद में कब-कब किस विभाग में कितने दिनों के लिए रहे, आपको बताते हैं...
- केपी सिंह 16 अगस्त 1991 से 20 जनवरी 1994 यानी 2 साल 5 महीने और 4 दिन इलाहाबाद में सीओ के पद पर रहे.
- 8 मई 1995 से 28 मई 1997 तक यानी 2 साल 20 दिन वह इलाहाबाद पीएचक्यू में सीओ थे.
- एडिशनल एसपी बने तो 16 जुलाई 2004 से 31 जनवरी 2006 तक यानी 1 साल 5 महीना और 15 दिन तक वह इलाहाबाद में ही एडिशनल एसपी यमुनापार रहे.
- 31 जनवरी 2006 से 4 फरवरी 2009 तक पूरे 3 साल 4 दिन तक वह एडिशनल एसपी पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद रहे.
- 5 महीने यूपी एसटीएफ में एडिशनल एसपी रहने के बाद केपी सिंह वापस इलाहाबाद आ गए.
- 25 जुलाई 2009 से 16 अप्रैल 2011 पूरे 1 साल 8 महीने 21 दिन केपी सिंह इलाहाबाद के इंटेलिजेंस यूनिट में एडिशनल एसपी रहे.
- साल 2012 में कुंभ आयोजन के दौरान केपी सिंह 9 महीने यानी 23 जून 2012 से 25 मार्च 2013 के लिए एसपी कुंभ रहे.
- 25 मार्च 2013 को कुंभ खत्म हुआ तो अगले ही दिन वापस केपी सिंह को पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद में एसपी कार्मिक के पद पर तैनात कर दिया गया. वह 25 मार्च 2013 से 21 सितंबर 2015 तक यानी 2 साल 5 महीने 27 दिन तक एसपी इलाहाबाद पीएचयू रहे.
- केपी सिंह आईपीएस बने तो 10 फरवरी 2016 से 28 अप्रैल 2017 तक यानी 1 साल 2 महीने 18 दिन वह एसपी जीआरपी इलाहाबाद रहे.
- एसपी जीआरपी के पद से हटे तो साढे 4 महीने के लिए इलाहाबाद से सटे जिले फतेहपुर में एसपी रहे और फिर वापस 26 सितंबर 2017 को इलाहाबाद पीएसी में कमांडेंट बना दिए गए. जहां वह 1 साल 3 महीने 23 दिन यानी 18 जनवरी 2019 तक पद पर रहे.
- साल 2018 का कुंभ आया तो केपी सिंह को फिर 19 जनवरी 2018 से 01 जुलाई 2019 तक यानी 1 साल 5 महीने 11 दिन के लिए एसपी कुंभ मेला बना दिया गया.
- केपी सिंह डीआईजी बने तो 2 जुलाई 2019 को डीआईजी रेंज प्रयागराज बना दिए गए.
- जब केपी सिंह डीआईजी से 1 जनवरी 2020 को आईजी हुए तो आईजी रेंज प्रयागराज बना दिए गए.
- केपी सिंह का प्रयागराज रेंज में 2 साल 3 महीना और प्रयागराज में रहते हुए 4 साल 11 महीने का वक्त बीत चुका है.
- केपी सिंह ने 2018-19 का कुम्भ बतौर एसएसपी और डीआईजी संपन्न कराया. उससे पहले बतौर एडिशनल एसपी 2012-13 का कुंभ भी वो करवा चुके थे. 2 कुंभ संपन्न कराने का अनुभव और प्रयागराज में ही नौकरी के 18 साल 6 महीना का लम्बा वक्त उन्होंने इलाहाबाद में ही गुजारा. यही वजह थी कि केपी सिंह महंत नरेंद्र गिरि के बेहद करीबी थे. और आनंद गिरि से भी उनका बराबर का परिचय था.
- महंत नरेंद्र गिरि के करीबी होने का ही नतीजा था कि जब महंत की मौत हुई तो मठ के लोगों ने स्थानीय पुलिस के साथ आईजी केपी सिंह को भी सीधे फोन किया था. वहीं ब्लैकमेलिंग और आत्महत्या के लिए जिम्मेदार माने गए आनंद गिरि ने घटना की शाम हरिद्वार से जिन लोगों पर महंत नरेंद्र गिरि की हत्या साजिशन करवाने और उनको फंसाने का आरोप लगाया था, उसमें आईजी केपी सिंह का नाम भी शामिल था. फिलहाल इस मामले में सीबीआई हर उस शख्स से पूछताछ कर रही है, जो महंत नरेंद्र गिरि का करीबी था.