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भिंडरावाले की तरह अपनी फोर्स खड़ी कर रहा था अमृतपाल, अब परिवार को सता रहा एनकाउंटर का डर

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के गांव जल्लूपुर खेड़ा में अब सन्नाटा पसरा है. ये गांव अमृतपाल के 'वारिस पंजाब दे' का प्रमुख बनने के बाद सुर्खियों में आया था. अमृतपाल भिंडरावाले के नक्शेकदम पर आगे बढ़ रहा था. वो भिंडरावाले टाइगर फोर्स जैसा एक संगठन खड़ा कर रहा था. इसका नाम उसने आनंदपुर खालसा फौज रखा था. अमृतपाल भिंडरावाले की तरह अपनी प्राइवेट फौज के जरिए मनमानी का प्लान बना रहा था.

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह. (फाइल फोटो) खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह. (फाइल फोटो)
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 19 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 7:02 PM IST

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की तलाश में पंजाब पुलिस लगातार दूसरे दिन छापेमारी करती रही. हालांकि, बड़ी सफलता हाथ नहीं लग सकी है. इस बीच, पुलिस ने चौंकाने वाले बड़े दावे जरूर किए हैं. पुलिस ने बताया कि अमृतपाल के पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा स्थित घर की तलाशी ली. अमृतपाल भिंडरावाले टाइगर फोर्स जैसा एक संगठन खड़ा कर रहा था. उसके घर से AKF मार्क वाली जैकेट्स बरामद हुई हैं. पुलिस ने AKF का मतलब आनंदपुर खालसा फोर्स बताया है. इतना ही नहीं, घर के गेट और दीवार पर भी AKF लिखा मिला है. वहीं, पिता ने दावा किया है कि पुलिस ने अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया है.

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रविवार को पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह के पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा में छापा मारा और तलाश ली. यहां पर AKF मार्क वाली कुछ जैकेट बरामद कीं. अमृतपाल के घर के गेट पर भी स्टेंसिल से सफेद रंग से AKF लिखा पाया गया था. सामने वाली दीवार पर भी AKF लिखा मिला. पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी के डर से इधर-उधर भाग रहा अमृतपाल सिंह बड़ी साजिश रच रहा था. वो भिंडरावाले टाइगर फोर्स जैसा एक संगठन खड़ा कर रहा था. नाम था AKF जिसका मतलब है आनंदपुर खालसा फोर्स. ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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गांव में पसरा सन्नाटा, कोई बात करने को तैयार नहीं

आखिर अमृतपाल सिंह 'वारिस पंजाब दे' संगठन के अलावा AKF नाम की प्राइवेट आर्मी क्यों तैयार करना चाहता था. पुलिस इस सिलसिले में गिरफ्तार किए गए उसके साथियों से भी पूछताछ कर रही है. 'वारिस पंजाब दे' का मुखिया बनने के बाद अमृतपाल का पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा सुर्खियों में आ गया था, लेकिन अब अमृतपाल और उसके साथियों पर पुलिस की कार्रवाई के बाद गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है. आजतक ने गांव के लोगों से इस बारे में बातचीत करनी चाही, लेकिन कोई बात करने के लिए तैयार नहीं हुआ.

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अमृतपाल को बदनाम करने की साजिश : पिता

अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने आजतक से खास मुलाकात में कहा- "पंजाब पुलिस और सरकारें अमृतपाल को बदनाम करना चाहती हैं, इसलिए कभी उसका नाम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ जोड़ा जा रहा है तो कभी उस पर गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोप लगाए जा रहे हैं. तरसेम सिंह ने कहा कि दुबई से लौटने के बाद अमृतपाल सिंह के व्यवहार में अचानक परिवर्तन हो गया और उसका स्वभाव उग्र होने लगा. दुबई में वह किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था और उसने अपने बाल भी कटवा लिए थे."

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'अमृतपाल की अचानक धर्म में बढ़ी रुचि'

पिता कहते हैं कि बोलने पर भी अमृतपाल गुरुद्वारा नहीं जाता था, लेकिन पंजाब में जब धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामले बढ़ने लगे तो धर्म में उसकी रुचि बढ़ गई. अमृतपाल के पिता ने शक जताया है कि पुलिस उसकी गिरफ्तारी की सूचना ना देकर उसका एनकाउंटर करवा सकती है. अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने पुलिस से सवाल किया है कि गिरफ्तार ही करना था तो घर पर क्यों नहीं किया. उन्होंने ISI से कथित संबंध के आरोप को खारिज किया है. 

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अमृतपाल को लेकर हाई कोर्ट पहुंचा परिवार

अमृतपाल के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन उसकी जानकारी परिवार को नहीं दे रही है, जो गैरकानूनी है. अमृतपाल के पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस उस पर झूठे आरोप लगाकर उसे फंसाना चाहती है. वहीं, अब अमृतपाल के परिवार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (habeas corpus) याचिका दाखिल की है. अमृतपाल के घर पर लोगों का आना-जाना जारी है. रविवार को सिमरनजीत सिंह मान के बेटे मान सिंह मान और उनके वकील ने अमृतपाल के परिवार से मुलाकात की. परिवार को कानूनी सहायता देने की बात कही.

क्या खत्म हो जाएगा 'वारिस पंजाब दे' संगठन?

खालिस्तान के पैरोकार दीप सिद्धू ने किसान आंदोलन के दौरान 'वारिस पंजाब दे' नामक संगठन की शुरुआत की. उसकी मौत के बाद अमृतपाल सिंह ने इस संगठन को आगे बढ़ाया. अमृतपाल सिंह के गांव में ‘वारिस पंजाब दे’ का एक बड़ा पोस्टर लगा हुआ है, जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले, दीप सिद्धू और अमृतपाल सिंह की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हैं. भिंडरावाले के नाम के आगे संत और अमृतपाल सिंह के नाम से पहले भाई लिखा गया है, जबकि दीप सिद्धू के नाम से पहले कुछ भी नहीं लिखा गया है.

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अमृतपाल सिंह पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए छिपता फिर रहा है. उसके संगठन 'वारिस पंजाब दे' का भविष्य भी अंधकार में नजर आ रहा है. पुलिस ने अब तक उसके 100 से ज्यादा साथियों की गिरफ्तारी कर ली है. अमृतपाल पर खुद भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. जितनी संगीन धाराएं अमृतपाल सिंह के खिलाफ दर्ज मामलों में लगाई गई हैं उनको देखकर लगता है कि अगर उसे सजा मिलती है तो वह कई साल तक जेल से बाहर नहीं आ पाएगा. इसका सीधा सा मतलब है कि इस कट्टरपंथी संगठन का भविष्य भी खत्म हो जाएगा.

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