
राजस्थान के एक कारोबारी को राहत देते हुए मुंबई की एक अदालत ने कहा है कि उसकी अलग रह रही पत्नी रखरखाव (Maintenance) की हकदार नहीं है क्योंकि वह एक योग्य दंत चिकित्सक (Qualified dentist) है. कारोबारी राजस्थान से दो बार विधायक रह चुके एक नेता का बेटा है. हालांकि एक साल पहले ही उसके विधायक पिता का निधन हो गया था.
कारोबारी की पत्नी एक डेंटिस्ट के रूप में काम करती थी. बोरीवली मजिस्ट्रेट एसपी केकन ने महिला के बारे में कहा 'वह महानगर शहर यानी मुंबई में रहती है. उनसे एक डेंटिस्ट के रूप में चिकित्सा सेवा करने की उम्मीद की जाती है और बहुत आसानी से उन्हें मुंबई में ऐसा काम करने का अवसर मिल सकता है. ऐसी योग्य महिला इस मामले में पति से भरण-पोषण लेने की हकदार नहीं है.'
दरअसल, महिला ने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (डी.वी.एक्ट) के तहत अपने पति के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी. कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान, उस महिला ने अदालत में अपने पति से मेंटेनेंस की मांग की थी. उसने पति से अपने और अपने दो बच्चों (पांच वर्षीय बेटा और तीन वर्षीय बेटी) के लिए पैसे के रूप में अंतरिम राहत दिलाने की अर्जी लगाई थी.
मुंबई में अपने माता-पिता के साथ रहने वाली कारोबारी की पत्नी ने राजस्थान में अपना ससुराल छोड़ दिया था, उसका आरोप है कि पति और उसके परिवारवाले उसके साथ दुर्व्यवहार करते थे, इसलिए उसने ऐसा किया था. हालांकि उसके पति ने दुर्व्यवहार के सभी आरोपों से इनकार किया. पति ने आरोप लगाया कि पत्नी दूसरी डिलीवरी के लिए घर से निकली थी. लेकिन कई प्रयासों के बावजूद वह मायके से ससुराल वापस नहीं लौटी.
महिला ने अपनी अर्जी में उसी स्तर के घर की मांग की थी जो उसे पति के साथ रहने के दौरान मिलती थी. उसके पति का घर ग्राउंड प्लस फर्स्ट फ्लोर और टेरेस था. जिसका क्षेत्रफल लगभग 3500 वर्ग फुट था. वो सात बेड रूम का एक विला है, जिसमें हॉल और किचन के साथ-साथ पांच बाथरूम हैं. घर के सामने एक बगीचा और पार्किंग की जगह है. पति के परिवार के पास चार कार, एक मोटरसाइकिल मौजूद है. जबकि एक कार वो है जो पत्नी के भाई ने मांगने पर दी. इस परिवार के पास कृषि भूमि भी थी.
महिला अदालत से अपने और दो बच्चों के लिए 1,10,800 रुपये मासिक भरण-पोषण की अर्जी लगाई, जिसमें उसने 40,000 रुपये प्रति माह घर के किराए के रूप में शामिल किया था. उधर, उसके कारोबारी पति ने अपने बयान में बताया कि उसकी पत्नी काम करके अपना भरण-पोषण कर सकती है. और अगर उसे बच्चों की कस्टडी मिलती है तो वह बच्चों को पालने के लिए भी तैयार है. पति ने इस बात से भी इनकार किया कि उसकी प्रति माह 2 लाख रुपये की स्थिर आय थी. ऐसा दावा उसकी पत्नी ने किया है.
मजिस्ट्रेट ने पाया कि पत्नी मुंबई में आवास की मांग कर रही थी न कि राजस्थान में. उन्होंने कहा कि यह 'ये पत्नी के खिलाफ जाता है. वर्तमान में वह अपने माता-पिता के साथ रह रही है, जिसका अर्थ है कि पत्नी उस घर में रह रही है, जिसमें उसे रहने का पूरा अधिकार है क्योंकि माता-पिता की संपत्तियों में अधिकारों के मामले में कानून बेटी और बेटे को समान मानता है. मजिस्ट्रेट ने कहा कि मेरे विचार से पत्नी आवास जैसी किसी भी राहत की हकदार नहीं है.
हालांकि, अदालत ने महिला के कारोबारी पति को याद दिलाया कि वह बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है. बेशक, उसने अपने बच्चों के लिए कोई खर्च नहीं किया है. अदालत ने आदेश दिया कि पति दोनों बच्चों के भरण-पोषण के लिए पत्नी को प्रति माह 10,000 रुपये का भुगतान करेगा.