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क्रिप्टो से फंडिंग, टेलीग्राम से प्लानिंग और BJP दफ्तर पर निशाना... NIA की चार्जशीट में ISIS पर सनसनीखेज खुलासा

बेंगलुरु के हाई प्रोफाइल रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट केस में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है. आरोपियों की पहचान मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ के रूप में की गई है.

एनआईए बेंगलुरु के हाई प्रोफाइल रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट केस की जांच कर रही है. एनआईए बेंगलुरु के हाई प्रोफाइल रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट केस की जांच कर रही है.
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

बेंगलुरु के हाई प्रोफाइल रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट केस में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है. आरोपियों की पहचान मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ के रूप में की गई है. इनके खिलाफ आईपीसी, यूए(पी) अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पीडीएलपी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोपपत्र दायर किया गया है. 

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इस चार्जशीट में एनआईए ने कई बड़े खुलासे किए हैं. इसमें बताया गया है कि आईएसआईएस का साउथ मॉड्यूल ने 22 जनवरी को अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन बेंगलुरु के मल्लेश्वरम के बीजेपी जिला मुख्यालय में आईडी हमले की साजिश रची थी. इसके पीछे आईएसआईएस अल हिंद मॉड्यूल प्रमुख सूत्रधार है. विदेश से बैठकर आतंकी महबूब पाशा कोड नेम से मास्टरमाइंड को हमले का निर्देश दे रहे थे. लेकिन साजिश विफल होने के बाद कैफे में ब्लास्ट किया गया. 

इसी साल 1 मार्च को आईटीपीएल बेंगलुरु के ब्रुकफील्ड स्थित रामेश्वरम कैफे में हुए आईईडी विस्फोट में नौ लोग घायल हो गए थे. इस धमाके में होटल की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था. एनआईए ने 3 मार्च को इस मामले की जांच शुरू की थी. जांच से पता चला कि मुसाविर हुसैनशाजिब ही वह व्यक्ति था, जिसने बम लगाया था. साल 2020 में अल-हिंद मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद अब्दुल मथीन अहमद ताहा के साथ वो फरार हो गया था.

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बेंगलुरु के ब्रुकफील्ड स्थित रामेश्वरम कैफे में हुए आईईडी विस्फोट के मास्टरमाइंड.

रामेश्वरम कैफे विस्फोट के 42 दिन बाद पश्चिम बंगाल में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के रहने वाले ये दोनों लोग आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़े हुए हैं. उन्होंने पहले सीरिया में आईएसआईएस के इलाकों में हिजरा करने की साजिश रची थी. वे अन्य भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस की विचारधारा में कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय रूप से शामिल थे. माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ऐसे युवाओं में से थे.

ताहा और शाजिब ने धोखाधड़ी से सिम कार्ड और बैंक खातों का इस्तेमाल किया. डार्क वेब से डाउनलोड किए गए भारतीय और बांग्लादेशी पहचान दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया. जांच में आगे पता चला कि ताहा को आतंकी शोएब अहमद मिर्जा ने मोहम्मद शहीद फैसल से मिलवाया था, जो लश्कर के बेंगलुरु मॉड्यूल मामले में फरार है. ताहा ने फिर फैसल, अपने हैंडलर महबूब पाशा, अमीर खाजा मोहिदीन और बाद में माज मुनीर अहमद से मिलवाया.

उनके हैंडलर ने क्रिप्टो करेंसी के जरिए उन्हें फंड दिया था. ताहा ने विभिन्न टेलीग्राम आधारित पी2पी प्लेटफॉर्म की मदद से फिएट में बदल दिया. जांच में आगे पता चला कि आरोपियों ने बेंगलुरु में अलग-अलग जगहों पर हुई हिंसा को अंजाम देने के लिए फंड का इस्तेमाल किया. इनमें 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित भाजपा कार्यालय पर एक असफल आईईडी हमला भी शामिल है.

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