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चुनाव, भाषण और भड़काऊ बयान... जानिए क्या है पूरा मामला जिसमें आजम खान को मिली सजा

यह मामला साल 2019 का है. तब देश में लोकसभा हो रहे थे. सपा नेता आजम खान उस वक्त एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए रामपुर के मिलक विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे. सभा स्थल पर काफी भीड़ थी. भारी संख्या में लोग आजम खान को सुनने के लिए पहुंचे थे.

आजम खान पर ये मामला साल 2019 में दर्ज किया गया था आजम खान पर ये मामला साल 2019 में दर्ज किया गया था
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:28 PM IST

समाजवादी पार्टी नेता और विधायक आजम खान को अदालत ने भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाई है. इससे पहले अदालत ने 21 अक्टूबर को दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो जाने के बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आखिर क्या था वो मामला? जिसने बढ़ा दी सपा के वरिष्ठ नेता की मुश्किलें...

ये था पूरा मामला
दरअसल, यह मामला साल 2019 का है. तब देश में लोकसभा हो रहे थे. सपा नेता आजम खान उस वक्त एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए रामपुर के मिलक विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे. सभा स्थल पर काफी भीड़ थी. भारी संख्या में लोग आजम खान को सुनने के लिए पहुंचे थे. इल्जाम है कि उस चुनावी सभा में कथित रूप से आजम खान ने आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणियां की थी. जिस पर विपक्षी दलों ने भी हंगामा किया था. 

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बीजेपी नेता ने दर्ज कराई थी शिकायत
इसी दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता आकाश सक्सेना ने उनके खिलाफ थाने में शिकायत दी थी. जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मिलक कोतवाली में आजम खान के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया था. पुलिस की जांच पड़ताल के बाद यह मामला रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में पहुंच गया था. 

21 अक्टूबर को पूरी हो गई थी सुनवाई
तभी से इस मामले की सुनवाई रामपुर कोर्ट में चल रही है. रामपुर की विशेष अदालत ने इसी माह 21 अक्टूबर को दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी कर ली थी. इसके बाद स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. बुधवार को इस मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और गुरुवार की तीन साल की सजा सुना दी गई.

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आगे है ये विकल्प
इस मामले में सजा का ऐलान होने के बाद कानूनी तौर पर सपा नेता आजम खान के सामने ऊपरी अदालत में जाने का विकल्प मौजूद है. सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता असगर खान बताते हैं कि रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने जो सजा सुनाई है, उसमें उसी अदालत को जमानत देने का अधिकार भी है. यदि सजा 3 साल से अधिक होती तो जमानत ऊपरी अदालत से मिलती. 

अधिवक्ता असगर खान का कहना है कि अब वे (आजम खान) इस फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट में जा सकते हैं. वहां उन्हें 30 दिनों के अंदर याचिका लगानी होगी. अगर वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिलती तो वे हाई कोर्ट जा सकते हैं. और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प भी खुला है.  

 

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