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संत बाबा राम सिंह की खुदकुशी का गहराता रहस्य! सुसाइड नोट में लिखी ये बात

किसानों के प्रदर्शन के दौरान संत बाबा राम सिंह की खुदकुशी से उनके अनुयायियों को गहरा सदमा लगा है. वहीं पुलिस जांच करने के साथ अभी कुछ भी कहने से बच रही है और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है.

संत बाबा राम सिंह (फाइल फोटो) संत बाबा राम सिंह (फाइल फोटो)
मनजीत सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST
  • संत बाबा राम सिंह की खुदकुशी से उनके अनुयायियों को सदमा
  • सिख प्रचारक के रूप में काम करते थे संत बाबा राम सिंह
  • संत बाबा राम सिंह की मौत से जुड़े मामले की जांच में जुटी पुलिस

किसानों के प्रदर्शन के बीच संत बाबा राम सिंह की खुदकुशी से उनके अनुयायियों  को गहरा सदमा लगा है. वहीं, पुलिस अभी कुछ भी कहने से बच रही है. फिलहाल, पुलिस फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. बता दें कि बाबा मूल रूप से पंजाब के जगरांव इलाके के रहने वाले थे और 1990 से एक ओंकार आश्रम और सिंगड़ा गांव में गुरुद्वारा चला रहे थे. वे अविवाहित थे और एक सिख प्रचारक के रूप में काम करते थे.

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अचानक उनके निधन की खबर मिलने के बाद से उनके अनुयायी बड़ी संख्या में गुरुद्वारा पहुंच रहे हैं. बाबा राम सिंह के पार्थिव शरीर को एक दिन के लिए गुरुद्वारा परिसर में रखा गया ताकि उनके अनुयायी अंतिम दर्शन कर सकें. शुक्रवार सुबह उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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खुदकुशी का रहस्य
पुलिस बाबा राम सिंह की आत्महत्या और उसके लिए बने हालात की कड़ियां जोड़ने की कोशिश कर रही है.  वहीं उनके अनुयायियों का कहना है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि उन किसानों के लिए 'बलिदान' है जो तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.

पुलिस सूत्रों का कहना है कि बाबा ने जब खुद को गोली मारी तब अपनी गाड़ी में वे अकेले थे. उनके साथ जो लोग आए थे, उनसे कुंडली में उन्होंने किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने को कहा और वे लोग गाड़ी से उतर गए. पुलिस अधिकारियों ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि बाबा का सुसाइड नोट भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा. सूत्रों ने कहा कि बाबा ने आत्महत्या करने के लिए अपने लाइसेंसी हथियार का इस्तेमाल किया. हालांकि, पुलिस के अधिकारी अभी कुछ कहने से बच रहे हैं और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.

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बाबा का शव सोनीपत के एक अस्पताल में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बाद में उनका शव करनाल के एक सरकारी अस्पताल में ले जाया गया जहां उनके समर्थकों ने डॉक्टरों को पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति नहीं दी. उनका शव बुधवार रात को दिल्ली-करनाल नेशनल हाईवे से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित सिंगड़ा गुरुद्वारा में रखा गया. राम सिंह के अनुयायियों के अनुसार, वे प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने नियमित रूप से दिल्ली बॉर्डर जा रहे थे और बुधवार को 500 कंबल बांटने के अलावा पांच लाख रुपये दान में दिए थे. 

बाबा राम सिंह के सुसाइड नोट में क्या है
नई दिल्ली के कुंडली बॉर्डर पर आत्महत्या करने से पहले बाबा राम सिंह ने हाथ से लिखा एक सुसाइड नोट छोड़ा है. पुलिस को मौके से बरामद सुसाइड नोट पंजाबी भाषा में है. सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा, "मैंने कुंडली बॉर्डर पर किसानों के दर्द और उनकी पीड़ा देखी है. वे न्याय पाने के लिए सड़क पर हैं. ये बहुत दुखद है कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है. यह दुखद है. किसी पर जुल्म करना पाप है और जुल्म सहना उससे भी बड़ा पाप है. लोगों ने किसानों के साथ  एकजुटता दिखाने के बहुत कुछ किया. कुछ ने गुस्सा जताया और कुछ ने अवॉर्ड लौटाए. ये दास किसानों के समर्थन में और सरकारी जुल्म के खिलाफ आत्महत्या कर रहा है. ये कदम जुल्म के खिलाफ और ​किसानों के हक में है."

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अकाली दल और कांग्रेस के नेता पहुंचे गुरुद्वारा
सत्तारूढ़ बीजेपी के नेताओं ने नानकसर गुरुद्वारा से दूरी बनाए रखी, लेकिन शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस नेताओं ने गुरुद्वारा का दौरा किया और उन्हें श्रद्धां​जलि अर्पित की. गुरुद्वारा का दौरा करने वाले अकाली दल के प्रमुख नेताओं में पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री व उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल शामिल हैं. अकाली दल के इन दोनों नेताओं ने केंद्र सरकार पर हमला बोला.

सुखबीर बादल ने भी बाबा राम सिंह की आत्महत्या को 'बड़ा बलिदान' करार दिया और कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 30 किसानों की जान जाने के बावजूद केंद्र सरकार अड़ी हुई है. बादल ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को अपना अहंकार छोड़ देना चाहिए और नए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए." पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शैलजा कुमारी ने भी सिंगड़ा गांव का दौरा किया.

 

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