
सत्येंद्र जैन के तिहाड़ जेल से जो वीडियो सामने आए हैं, उसने चुनावी मौसम में बीजेपी को तो एक बड़ा मुद्दा दिया ही है, इसके अलावा जेल प्रशासन पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. जैसे, क्या सच में सत्येंद्र जैन को जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया? सत्येंद्र जैन के मसाज वाले वीडियो की सच्चाई क्या है? अब इन सवालों के जवाब जांच कमेटी की रिपोर्ट में तलाशे गए हैं. तीन सदस्य कमेटी द्वारा सत्येंद्र जैन मामले में एक रिपोर्ट फाइनल कर ली गई है. उसमें विस्तृत रूप से हर बात की जानकारी दी गई है.
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि सत्येंद्र जैन द्वारा अपने पद का गलत इस्तेमाल किया गया था. उनकी तरफ से जेल के कई नियम तोड़े गए थे और उसी वजह से उन्हें कई वो सुविधाएं भी मिलीं जो दूसरे कैदियों को नहीं मिलतीं. जांच में ये भी सामने आया है कि जेल में सत्येंद्र जैन की सर्विस में पांच कैदियों को लगाया गया था. इन सभी कैदियों को जेल प्रशासन द्वारा ही सत्येंद्र जैन की सेवा करने के लिए कहा गया था. बड़ी बात ये है कि इन कैदियों द्वारा श्रद्धा भाव में सत्येंद्र जैन के लिए काम नहीं किया, बल्कि उन्हें इस बात का डर था कि अगर वो काम नहीं किया गया तो जेल प्रशासन द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा. उस डर की वजह से ही सत्येंद्र जैन को वो सेवाएं दी जा रही थीं. जिन कैदियों को सत्येंद्र जैन की सेवा में लगाया गया था उसमें POCSO आरोपी रिंकू, POCSO आरोपी अफसर अली, मनीष, सोनू और दिलीप शामिल थे.
जेल अधिकारियों से करीबी रिश्ते, मिले खास अधिकार
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया है कि तब के DG Prison संदीप गोयल द्वारा सत्येंद्र जैन को काफी मदद दी गई थी. कहने को वे जेल में एक अधिकारी थे, लेकिन उनके सत्येंद्र जैन के साथ खास रिश्ते रहे. जेल रिकॉर्ड के मुताबिक इस साल 6 अक्टूबर को संदीप गोयल की जेल में ही सत्येंद्र जैन से करीब 50 मिनट की मुलाकात भी हुई थी. रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि सत्येंद्र जैन को अपने परिवार से मिलने की आजादी रहती थी. कई मौकों पर जेल में उनकी पत्नी पूनम जैन और दूसरे सदस्य उनसे मिलने आए थे. जांच कमेटी ने जोर देकर कहा कि ये अधिकार जैन को इसलिए मिल पाए क्योंकि जेल प्रशासन की इसमें मिलीभगत रही, संदीप गोयल और जेल अधीक्षक अजीत कुमार का सहयोग रहा.
जेल में जैन का खुद का 'कोर्ट'
जेल में कैदियों को तय प्रोटोकॉल का पालन करना होता है, लेकिन इस मामले में सत्येंद्र जैन को छूट मिली थी. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि जेल में ही सत्येंद्र जैन द्वारा अपना कोर्ट चलाया जाता था. जिस मामले में वे आरोपी हैं, उसी केस के दूसरे आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन के साथ उनकी मीटिंग हुआ करती थी. कर्फ्यू के प्रतिबंधित घंटों के दौरान भी जैन की ये बैठकें चलती रहती थीं. इन बैठकों में क्या चर्चा हुई, इसे लेकर रिपोर्ट में कुछ नहीं बताया गया है.
मसाज देने वाले रिंकू का बयान
जांच कमेटी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि सत्येंद्र जैन को जेल में जो मसाज दी गई थी, वो उनके वीआईपी ट्रीटमेंट का हिस्सा थी. उनके मुताबिक जो रिंकू, जैन को मसाज दे रहा था, उसे जेल प्रशासन ने ऐसा करने के लिए कहा था. मतलब रिंकू अपनी इच्छा से जैन को कोई मसाज नहीं दे रहा था, उस पर भी ऐसा करने के लिए ऊपर से दबाव था. रिपोर्ट में रिंकू के बयान को भी जगह दी गई है. मसाज विवाद पर रिंकू ने कहा है कि मैंने तो सत्येंद्र जैन को मसाज दी थी, वो जेल प्रशासन के कहने पर दी. मैंने कभी जैन के सेल में एक घूंट पानी भी नहीं पिया था. मुझे मसाज देने की कोई ट्रेनिंग भी नहीं है, मैंने आज से पहले कभी कोई फिजियोथेरेपी नहीं की. मेरा असल पेशा तो शादियों के दौरान दुल्हों को घोड़ी मुहैया करवाना है.
दूसरे कैदी बोले- डर के चलते जैन के लिए काम
अब रिंकू को लेकर तो जांच रिपोर्ट में खुलासा किया ही गया है, जो दूसरे आरोपी हैं उनके बयान भी दर्ज किए गए हैं. किसी ने मदद की आस में जैन को सुविधाएं दी हैं तो कोई किसी डर में ऐसा कर रहा था. रिपोर्ट में दूसरे आरोपी अफसर अली ने भी अपना बयान दर्ज करवाया है. उसने कहा है कि मुझे तो ऐसा लग रहा था कि सत्येंद्र जैन और संजय गुप्ता जेल से बाहर आने में मेरी मदद करेंगे. मेरा तो जेल वाला जो कोर्ड था, उसका इस्तेमाल भी संजय गुप्ता ही किया करते थे. वो ही उसे चला रहे थे.
इसी तरह आरोपी मनीष ने दावा किया है कि उसका जेल कार्ड भी सत्येंद्र जैन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. उसके मुताबित जेल वॉर्डन विकास उसके जेल कार्ड में रुपये डाला करता था, फिर उसी पैसों से वो कैंटीन में से जैन के लिए फल खरीदता था. मनीष ने बताया कि उसके कार्ड में तीन से चार बार पैसे जमा करवाए गए थे, हर बार 6900 रुपये डाले जाते थे. वो अपनी इच्छा से ये काम नहीं कर रहा था.
एक और आरोपी सोनू सिंह के बयान को भी जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट का हिस्सा बनाया है. उसने बताया है कि जेल के मुंशी के कहने पर वो सत्येंद्र जैन के लिए काम कर रहा था. उसने अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी साफ-सफाई का काम नहीं किया था. लेकिन यहां क्योंकि ऊपर से आदेश था, इसलिए वो ये सब कर रहा था. आरोपी ने ये भी खुलासा किया कि अगर वो काम करने से मना कर देता था, उस स्थिति में उसे जेल स्टॉफ के सामने पेश कर दिया जाता था. कुछ इसी तरह का बयान आरोपी दिलीप कुमार की तरफ से भी दिया गया. उसने भी यहीं बताया कि जेल प्रशासन के कहने पर वो सत्येंद्र जैन के सेल में साफ-सफाई का काम कर रहा था.
जेल कार्ड का हुआ गलत इस्तेमाल
जांच में ये भी सामने आया है कि जेल कार्ड जिसके जरिए कोई भी कैदी कैंटीन से अपनी जरूरत का सामान खरीद सकता है, वहां भी घपला किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे कैदियों के जेल कार्ड का इस्तेमाल भी सत्येंद्र जैन द्वारा किया जा रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि एक कार्ड में महीने के सिर्फ 7000 रुपये मिलते थे. ऐसे में किसी को पता ना चले और ज्यादा खरीदारी की जा सके, इसलिए दूसरे कैदियों के कार्ड का भी इस्तेमाल किया गया.