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जमात-ए-इस्लामी हिंद और PFI की बैठकों में शामिल था शरजील इमाम, पुलिस की चार्जशीट में दावा 

अगस्त के शुरुआती हफ्ते में हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने बताया था कि चार दिसंबर 2019 को केंद्र सरकार ने CAA को मंजूरी दी उसके अगले दिन व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया. इस ग्रुप में शरजील इमाम एक्टिव मेंबर था. दंगों के षड्यंत्र को लेकर जैसे ही पहला मामला दर्ज हुआ वैसे ही सभी व्हाट्सएप ग्रुप डिलीट किए गए. ग्रुप में शामिल लोग दूसरे मैसेजिंग ऐप सिग्नल ( Signal ) का उपयोग करने लगे.

दिल्ली दंगे को लेकर पुलिस की चार्जशीट में शरजील इमाम के खिलाफ दिल्ली दंगे को लेकर पुलिस की चार्जशीट में शरजील इमाम के खिलाफ
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:05 PM IST

दिल्ली दंगों पर पुलिस ने जो चार्जशीट तैयार की है, उसमें उन्होंने शरजील इमाम पर गंभीर आरोप लगाए हैं. चार्जशीट के मुताबिक वह जमात-ए-इस्लामी हिंद और पीएफआई की बैठकों में शामिल हुआ था. शरजील इमाम ने MSJ के मुख्य सदस्यों के साथ बैठक की. इसके बाद ये सदस्य छात्रों को भड़काने के लिए जामिया गए थे, जिसके बाद जामिया में हिंसा हुई थी. 

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पीएफआई ने पुलिस के दावों की निंदा की

PFI के महासचिव अनीस अहमद ने दिल्ली पुलिस के दिल्ली हाई कोर्ट में दिए बयान की कड़ी निंदा की. उन्होंने में कहा, "जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने PFI के बारे में कई झूठे दावे किए हैं. पुलिस ने हमेशा फर्जी खबरें बनाकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की है. पुलिस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा को कैसे संभाला, इसकी आलोचना करने वाले कई मामले भी अदालतों में चल रहे हैं.”

शरजील इमाम ने लिखा था भाषण

दिल्ली हिंसा मामले में 1 अगस्त को उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद के भाषणों पर अपना पक्ष रखा. पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि CAA और NRC पर उमर खालिद के भाषणों के जरिए मुस्लिमों में डर पैदा करना था.

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दिल्ली पुलिस ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि भाषण का पर्चा शरजील इमाम ने लिखा था. पर्चे से यह बात निकलकर सामने आई है कि उनकी शिकायत CAA-NRC से नहीं थी. लेकिन CAA-NRC के भाषणों के जरिये मुलसमानों में डर पैदा किया गया.

एक धर्म से जुड़े हुए हैं शरजील के भाषण

पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि शरजील इमाम, खालिद सैफी और उमर खालिद के भाषण में जब बाबरी मस्जिद या तीन तलाक के बारे में बात करते हैं तो एक धर्म से संबंधित होते हैं. तीनों के भाषण में एक ही पैटर्न देखने को मिलता है. लेकिन कश्मीर के बारे में बात करते हैं तो यह धर्म का मुद्दा नहीं न होते हुए राष्ट्रीय एकता का मुद्दा बना जाता है. दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि लोगों  को उकसाने का काम स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि जेएनयू और दूसरे स्थानों से किया गया.

खारिज हो चुकी है अंतरिम जमानत याचिका

पूर्वी दिल्ली जिला की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 23 जुलाई को जामिया, एएमयू, गया और आसनसोल में दिए गए भाषणों से उपजे देशद्रोह मामले में शरजील इमाम की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. इमाम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर अंतरिम जमानत मांगी थी, जिसने देशद्रोह के सभी मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी.

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शरजील इमाम पर यूएपीए के तहत दर्ज है केस

शरजील इमाम पर आरोप है कि उन्होंने अपने भाषण में असम को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाले संकरे भूभाग यानी चिकेन नेक क्षेत्र को अलग करने की बात कही थी. शरजील के खिलाफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) के तहत भी केस दर्ज किया था.

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